पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५४५

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प्रतिष्ठा पाल को मना न . रण और शमा करने ली। होने चपनो बासन विधिको एक ४३१०में ये राज-मिहामन पर बैठे। या एक विलहात् फलक में लिखा कर राज्य भरमें प्रचार कर दिया। पर पनिहत थे। राजपुस्तकालय में जितने ग्रन्थ थे, उन प्रजा-साधारणके माल के लिये दोवानो पोर दण्ड विधि मवको पालोचना करके वे विष धर्म मतके प्रचारमें प्रचलित हुई। ४६ वर्ष राज्य करने बाद राजा इस लग गये थे। इस समय गजदरवारमें दो दसके लोग लोकसे चल बसे । उनको बड़ी स्त्रो तये-पों मारके तोन थे, एक बौद्ध दल और दूसरा बौध विषो दल । बोह- पुत्र थे, जिनमें से बड़े मुनि-त-सन्यो पिव-मि हासन पर विषो मधिगच मर्वदा राजाको कमा करते थे, कि पारूढ़ हुए। ये नाबालिग अवस्था में गजा दए थे. इस- बोडधर्म से गज्यमें घोर घनिष्ट हो रहा है, इस कारण लिये उनके धार्मिक मन्त्रिगण उनके बदले राज्य शासन राज्यके कल्याण के लिये राज्यसे सभो बोडोंको भगा देना करते रहे । राजा मुनि-त मनपोने अपने प्रतापसे गन्धक उचित है। प्रधान मन्बो मषन भी सो दल में शामिल धनो दरिद्र उच्च मोच सभो मनुषोको एक सा बना थे। किन्तु बोधम पर राजाका प्रगाढ़ पनुराग था। दिया। धनी दरिद्रोका प्रभाव दूर करने के लिये अपनो बोस सम्प्रदाय के प्रधान मनुष्योंने देका और ज्योतिषि सम्पत्तिमेमे कुछ कुछ उन्हें बांटने लगे। मचमुच जो योको रिशवत दे कर अपने वश कर लिया। पब वे किसी राजाके ममय में न हुषा था, व इनके राजस्व करने लगे कि राजाका गौध हो पनिष्ट होनेकी सन्मा. कालमें रौंके यत्नसे हो गुजरा। किन्तु राजाने देखा कि बमा है। यदि मबसे धान दो राजकम चारो पन्धकार उनको सनो चेष्टा व्यर्थ जा रही है। दरिद्रोंको दरिद्रता वन्दरामें तीन मास बास करें, तो राजाको जीवन रक्षा घटती नहीं है और धनो मनुषों के धन वितरण करने हो सकती है । राजाने समाके सभी कर्मचारियोंको यह पर भी वे ज्यों के त्यो धर्म शासो बने हुए है। इस पर बात कह सुनाई और बाभो कहा, कि जो उनके लिये राजा बहुत विसित हुए । पहित और लोचव राजा- पामोमग करेंगे, उन्ह यथेष्ट उपहार दिये जायगे। को समझाया कि मानव अपने पूर्व जन्मको मुखाति और प्रधान मन्त्री मषन राजाके इस प्रस्ताव पर सहमत हो दुलतिके अनुसार सुख दुःख भुगने पोर अंच मोच हो मये । बौद्ध मन्त्रो गोने उनका अनुसरण किया। दोनाने कर जमवार करते हैं। जो कुरा हो, राजाके साथ पधकार कन्दरामें प्रवेश किया। तोन मनुष्योंको लम्बाई मायके लिये मरोव प्रजा तक भी उनका नाम लेने के ममान वह कमरा गहरी बो। दोपहर रातको सगो। किन्तु रम तरहके राजा बहुत काल तक राजस्व गों के बन्धुवान्धवों ने पूर्व सस्तके अनुसार एक पेड़में कर न सके । एक वर्ष मो मास नहीं होने पाया था कि. रसो लगा कर गोको बाहर निकाल लिया और एक बड़े उनकी माताने छोटे पुत्रको राजा बनामके लिये विष पत्थरसे उसकारो गुहाका मुंह बन्द कर दिया। इस खिलवा कर सबका प्राण नाश किया। छोटे भाई मुलिंग तरह प्रधान मन्त्री मवनको प्राणवायु ससौ गहरके समयोके राजा होने पर राजमाताको उपहा पूगैहुई। भीतर उड़ मई। राजाके क्यः प्रास होने पर वे मुंसिगने पद्मसम्भवके निकट विहा लाभ की थी। पाठ उबयनसे बान्तरचित चोर पडित पदमसम्भवको या नौ वर्षको अवस्खामें वे राज-सिंहासन पर बैठे। बुमा तिब्वतमें बौद्ध धर्म का प्रचार करने लगे । राजाको उनके समयमें राज्य को यथेष्ट श्रीहदि हुई थो पौर सहायतासे पद्मसम्भवने यहां मम्मे नामक एक बड़ा मठ तिम्पती भाषामें बहुतसे मस्कत कोह अनुवादित निर्माण किया। पनी राजाके समय यन महायान हुए थे। वृद्धावस्था पांच पुत्र छोड़कर के पर सोयाको चोबसे पा भ्रष्ट बौड मतका प्रचार कर निम्न श्रेणोक सिधार । पनके प्रथम दो पुत्रों ने बहुत घोड़े समय तक मनुष्योको पपी मतमें लाने म्हटी। भासतसे कमल राज्यशासन किया था। वो मन्त्रियों के षड़यन्त्रसे पल्प- शोखने पा कर मशाखीय तर्क पराजित किया। दिनों में से उनकी मात्व हुई। कनिष्ठ स्ल-पचनने सब राजा भो बोन धर्मावलसियों पर विशेष मो. मनियों के निर्वाचनसे रामपदमाम किया। Vol. Ix. 136