पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५७८

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५७४ तिकडैमकदर-तिरुणादी खित है। यहां प्राचीन मन्दिर में वो एक शिला. तिरुपदिरिलिपुर-दक्षिण प्रावट जिले में बदादर हर से ४ मोल उत्तरपत्रिममें अवस्थित एक माम| सके तिरुपुमरुदूर--एक ग्राम। यह तिब वेलि जिले के पास ही रेल-टेशन है। यहाँ एक उत्तम पिखवाय मध्य अम्बाममुद्रसे डेड कोस उत्तर-पूर्व में, जहाँ घटना विशिष्ट प्राचीन मन्दिर है, जिसमें बहतसे शिसा. नदो तामपणों के साथ मिलो है उनी सङ्गमस्थान लेखा। पर अवस्थित है। यह अनेक पवित्र देवमन्दिर है। प्रधान तरुप्यनन्दास-समोर जिले में कुम्भकोणम् शहरसे ११ मन्दिरमें १५ वौसे १७ वीं शताब्दोके मध्य प्रदत्त कोल. मोल सत्तर-पूर्व में प्रवस्थित एक ग्राम। यहाँ एक म्बाद पति का एक शिलाले ग्व और एक ताम्रशासन सम्पत्तिकालो शूद्र द्वारा प्रतिष्ठित मन्दिर है । उस मन्दिरमें देखने में पाता। तामिन भाषामें लिखे हुए बहुतसे प्राचीन ग्रन्थ पाये तिरुपुर-कोयम्बतुर जिले के अन्तर्गत एक शहर और जात । इसके सिवा मन्दिरमें एक तेलगू भाषाका पोर रेल सुशन। यह प्रक्षा० ११ ३७ उ०पौर देशा० तोन तामिल भाषाके ताम्रयामन । तुरस्युव नामक ७७४.३० पू०में अवस्थित है। यहाँको लोकसंख्या स्थान रस मन्दिरके लिये दान किया गया है जिसका प्रायः ४०००है। दानपत्र तेलगू भाषामें है और वर १७४४१०में धमगिरि 'तिस्पोलर-चङ्गलपट्ट जिले के अन्तर्गत कोमल शहर मामक स्याममे वटपतिरायके राजत्वकालमें खोदा कोस दक्षिण-पश्चिम और चङ्गालपा शहरसे ७ कोस गया है। उत्त तामिल भाषा के शासनों में से एक १७५३ उत्तर-पूर्व में अवस्थित एक स्थान। यह एक प्राचीन में रामेखरके पास उता मठको कुछ भूमिदान करने शिवमन्दिर है। ४० वर्ष पहले प्रधान परिष्ट एट कल- के लिए रामनाद सेतुपति सर हिरण्यगर्भ-याधि- करको इस मन्दिरके पास हो कर एक प्राचीन तास शासन मिले थे। कुमार मुत्त विजय रघुनाथ मेतुपति के हारा खुदाया गया है। तिरुप्य तिरुत्ति-तमोर जिले में सिरवाड़ीसे १ कोस परिममें पस्थित एक स्थान। यहाँ शिल्पकाय खचित एक तिरुणाकुन-मलवार जिले में बमबनाद तालुकका एक . प्राचीन शिवमन्दिर है, जिसमें बहुतसे शिलालेख । ग्राम। यह पादपुरसे ५ कोस उत्तर पूर्व में पवस्थित तिरप्यार-विशिरायसी जिलम मुसोरी तालुकका एक हैयहाँ ३८ डोलमेन (प्राचीन काल में प्रमभ्य जातियाँ- ग्राम। यह मुसोरो शहरसे १२ कोस पूर्व में अवस्थित में मत मनुष्योंके स्मृतिचित्र के लिये चार पत्थरों के जपर है। यहाँ एक प्राचीन शिवमन्दिर है और उसमें कई एक बड़ा चौड़ा पत्थर रख कर घासनवत् स्थान बनता 'एक शिलालेख है। था, इसीको डोलमेन कहते है)। तिवपत्त र-मदुरा जिलेके मध्य तिरुमाग्लम तालुकका तिरुप्पला डि-मदुरा जिले को रामनाद जमींदारोका एक ग्राम। यह तिरुमङ्गलम् शहरसे ! कोम उत्तर- एक स्थान, जो रामनाद शहरमे १८ मोल उत्तर-पूर्व में एक स्थान पश्चिममें पड़ता है। यहां एक प्राचीन शिवमन्दिर और समुद्र के किनारे पर है। यहाँ एक प्राचीन शिवमन्दिर उसमें बहुतसे शिलालेख हैं। है, जिसमें एक ताम्रशासन और मन्दिरके सामने तिप्पदिक्कुनम-चहलपर जिले के कालोपुर तालुकका बहुतसे शिलालेख। एक स्थान। यह काचोपुरसे १ कोस दक्षिण-पशिम, तिरुप्पलात्तर-विशिरापसी जिले का एक स्थान जो अवस्थित है, यहां एक प्राचीन, अत्यन्त सुन्दर शिल्पकार्य विशिरापो शहरमे २२ कोस उत्तर-पूर्वमें अवस्थित है। विशिष्ठ शिवमन्दिर है जिसमें बहुत से शिलालेखा एक यहां एक प्राचीन शिवमन्दिर है और उसमें एक शिला- शिलालेखकणदेव महाराज राजत्वकालका (१५१८का) मोख है। सदा एषा है। उसमें मन्दिरके लिये भूमि दानका तिरुप्पाबड़ी-मालपा, जिसके काचोपुर तालुकका एक खान। याकाचीपुर शारसेश कोस पविममें