पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५८

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टेलियाम टेलिकोन लण्डनमें परिवरित पोर संस्थत हो कर छयो थो। चुम्बक के प्रति निकट वह रहती है। लोडेको पत्तो ___ कुछ भी हो, ऐसे टेलिग्राफ बहुत समय महज और काष्ठक चौगके भोतर पारो तरफ कसा होता है तब सुविधाजनक होने पर भो कभी कभो अस्पष्ट और अक उनके बीच में चुम्बकके दूमरे तरफ बना रहता है। मंण्य हो जाता था। वायुराशि कन्झटिकामय होनेसे टेलिफोन हारा बातचीत करने के लिए इस तक दूरस्थ सहन टोखता नहीं था। बहुत दूरके शब्द आदि दो यन्त्रोंको जरूरत होती है, एक कहनेका और दूसरा भो सुनाई नहीं पड़ते थे। रस्मोमे दूरस्थ स्थानका घण्टा सुननेका। प्रथमतः उक्त दोनो नलोंको रेगममण्डित बजा कर मथा जन्न वा वायुपूर्ण मलमयोग करके सङ्केत तॉबके तारसे संयुक्त करना होगा । एक चुम्बक पर लपेटे किो जान है। किन्तु ऐसा टेलिग्राफ बहुत समय पमा हुए तॉब के तार के एक शेरको उक्त बन्धनोके हारा एक भव हो जाता था। पाखिर ताड़ित अर्थात् बिजलीका लम्ब नारके माथ संयुक्त करके दूमरेको एक स्क्र से कम भाविकार और धातुके तारों द्वारा इसका प्रतिशोघ्र देना चाहिये । अन्य दो क्र पांको या तो अन्य तार धारा स्थानान्तरमै परिचालनव्यवहार प्राविष्लत होने पर टेलि- परस्पर संयुक्त करें या प्रत्येकको क्षुद्र तार हारा पृथिवो- ग्राफका युग परिवर्तन हुआ। फिलहान सर्वत्र इसी के माथ मयुक्त कर दें। नर्म में एक चांगसे मुहबगा तगैकसे टेलिग्राफ होता है। बेतारके टेलिग्राफका भी कर बात कहनेमे अन्य व्यक्ति दूसरे चौगमें कान लगा पाविष्कार हो गया है। कर बह शब्द सुन सकता है। इसमें कण्ठस्वर पनि ताडितवार्तावह और बेतारका तार देखो। कांश क्षीण और ईषत् नासिकासुरको भौति हो जाने टेनिग्राम ( पु.) वर मवाद जो तारकं द्वारा भेजा पर भी बहुत दूरमे पूर्वपरिचित स्वर मालम हो सकता आता है। ' है और बात भी समझो आ मकता है। मागरमध्यस्थ टेलिफोन ( पु० या शब्द ग्रोक टलि-दूर और तार हारा प्रायः ६०/७० मोल तथा स्थलभागस्य जपरक फोमो श्रवण करना, इन दो शब्दों में उत्पन्न हुआ है। तार हारा प्रायः २०० मीन तक दूरोसे दो ममुख पसका अर्थ दूर-श्रवणयन्त्र है, अर्थात् जिसके द्वारा दूरसे आपस में बातचीत कर सकते है। यह वैधानिक पावि. सुमा आय वह यन्त्र। ब्रिाया पतीव पाचर्यजनक है। दो बास, कागज वा टमके चोंगाका एक तरफसे अब किस तरह दूरवर्ती मलमें प्रतिरूप शब्द उत्पन कागज, चाम या धातुको पत्तो हारा पाच्छादित करके होता है, उसका विवरण लिखा जाता है। शब्द वायु मध्यस्थल में एक नम्या सूत वा सार बाँध दें इस तरह दो राशिका कम्पन मात्र है। शब्द देखी। मुखसे निकली हई चोगोममें एकमें बात करनसे दूसरे में वह बह सुनाई, शब्द-सरण चौगाके मध्यस्थित वायुराशिको कम्पित करतो पड़ती है। हितोय नोंगको कान पर रखना चाहिये। यह है और उनके घात प्रतिधातमे नत्म'लम्न सूम लोडेको एक प्रकारका मरन टेलिफोन है। इससे थोड़ी दूर पत्तियों भी स्यन्दित इपा करती है। इस प्रकारका तकको बात सुनाई पड़ती है, पर ज्यादा होनेसे शब्द स्पन्दन मोहेकी पत्तियोका एक बार भागे और एकबार अस्पष्ट हो जाते हैं। समका नामिकाखर होता है। नीचे पीछे हटनेक मिवा और कुछ नहीं है। यह स्पन्दन इतना सातिप्रबार हारा जो टेलिफोन होता है, उसका दूत पौर अल्पदूरव्यापी है कि. हम उसको देव नाही मविप्रो वर्ष न किया जाता है। सकते। कुछ भी हो इस तरह के स्पन्दन के कारण निक- एक चम्ब कदगड़ के ऊपर ग्यमादि पपरिचालक सूत्र- टस्य चुम्बकदहको गति एक बार शास और एक बार मण्डित तविका तार लपेट कर उम सारके दोनों छोर वधिोती है तथा चुम्बकके चारो तरफको तार खाती- एक तरफ दो बन्धनो स्क्र के साथ कसे होते है। पोहे वह में एक बार एक तरफ और एक बार दूसरी तरफ सार सपेटामा चुम्बक एक नन्न के बीच में स्थापित होता साहिम स्रोत उत्पन्न होता है। बुम रेखो । याताड़ित- है और उसके किनारे एक बहुत पसलो लोहको पक्षी प्रबार तार डाग दूरस्थ टेपन पर पहुंचता है चोर