पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५८१

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विमालकाचाम् कोह-विपरि शूल १७७ पामके पास ही एक बड़ा प्रस्तर निर्मित अहानिकाका तिरुवोर-या स्थान विवार, गज्यके पानामतीर्थसे भग्नावशेष पड़ा हुपा। ४कोस उत्तर-पश्चिममें अवस्थित है। यहां सामिल तिरुमालकात्तान् कोह-मदुरा जिलाके रामनादसे १७ अक्षरमें लिखे हुए दो प्रस्तरस्त । इसके अलावा कोस पविममें अवस्थित एक ग्राम। यहाँ एक पनि यहाँ एक ईसाइयोका प्राचीन गिर्जा भो है। पहले इस सुन्दर भास्करने पुण्ययुक्त पुरातन शिवमन्दिर है और प्रदेश में एक कुप्रथा थो कि उच्चश्रेणोको हिन्दू रमणियों के उसमें बहुतसे शिलालेख है। विसा निर्दिष्ट दिनमें बाहर निकलने पर पुलिया नामक तिरुमुक्कडल-विचिरापलीके कूलितलय शहरसे ८ कोस नोच दास माति उपकड़ कर ले जाती थी। यहां पश्चिममें एक पुण्यस्थान जो पमरावतो और कावेरी नदो. एक शिलामो खमें बम कुप्रथाको रोकने के लिये स्थानीय के संगम स्थान पर अवस्थित है। यहाँके पति प्राचीन राजाको पोरसे कठोर पाद श दिया गया है। शिवमन्दिरमें बहतमे शिलालेख मिलते। तिरुवधार-विवार के अन्तर्गत कलमलममे ३१ तिरुमुरुगनपूण्डि-कोयम्बतुर जिले के तिरुपुर रेस-टेशन- कोस उत्तर-पश्चिममें अवस्थित एक ग्राम। बजाँ अनेक . से २ कोस उत्तर पश्चिममें अवस्थित एक ग्राम । यहाँके प्राचोन देवमन्दिर है जिसमें बिमालेख भो देखे दो प्राचीन मन्दिरामें बहुत से शिलालेख देखे जाते है। जाते है। तिरुमूर्तिकावित-कोयम्बतुर जिले का एक प्राचीन तिरुपड़न्दै- पह, जिले के चङ्गन्लप महरमे कोम ग्राम। यह अक्षा० १०२७२० पोर देशा० ७७.१२° उत्तर पूर्व तथा कोवलासे ३ काम दक्षिण-पश्चिम ममुद पू०में अवस्थित है ! यहाँ एक बडे पोर सुन्दर मन्दिर के किनारे पास्थित एक ग्राम । यहाँ एक प्राचीन शिव ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वरको मूर्ति याँ विराजमान, मन्दिर है जिनमें सत्कोण शिलालिपि भी देखो इन्हीं लिए यहाँका स्थान मशहर। स्थलपराणम' जाता है। इनका माहात्मा मविस्तर वर्णित है। यहाँ प्रति रवि सिलवड़ादूर-तमोर जिम में कुम्भकोणम् तालुकके अन्त- वारको यात्रो जुटी है। र्गत एक शहर । यह पक्षा. १९३० पोर देशा ७० देवताके वार्षिक उत्सव के ममय यहां हजारों मनुष्य २७ पू• कुम्भकोणम् शहरमे ३ कोम उत्तर-पूर्व वोर एकत्र होते हैं। यहाँक सहस्र स्तम्भ मण्डप देखने सोलनार नदोके किनारे पपस्थित है। यहा रेलवे स्थान योग्य है । ग्रामके पास ही एक पहाड़ है। पहाड़ पर कहीं है। लोकमख्या प्रायः ११२३७ होगी। यहाँ एक पति कहाँ विणुके पदचित्र खदे हुए दोख पड़ते हैं। प्राचीन शिवमन्दिर इजसम तमिल भाषाम उत्का तिरुमोकूर-यह ग्राम मदुरा जिलेके मदुरा शहरमे २ १५४४ १० के गमराज वल देवराय के गजवकालका कोस दक्षिण-पश्चिममें अवस्थित है। यहां अति प्राचीन एक शिलालेख मिलता है। मन्दिरका शिम-नैपुण्य शिवमन्दिर और विष्णु मन्दिर है। दोनों मन्दिरों में देखने योग्य है। इस मामने एक सुन्दर गोपुर है। बहुतसे शिलालेख मिन्नते है। एक शिलाफलकमें तिरुवड़ि-तिरूपयार देखे।। लिखा है कि १६२२ ई. में दलवाय सेतुपतिने यहांक तिरुवड़ि शूल-एक ग्राम । यस चलपा जिले में चहल- शिवमन्दिाका संस्कार किया था। पहु तालुकके पूर्व एक पहाड़ पर अवस्थित है। यहां सिरुवकरै-दक्षिण-प्राकट जिले के विल्वपुरम शहरसे ६ एक प्रसिद्ध मन्दिर है। कहा जाता है कि कुरुम्बरोंने कोस उत्तर-पश्चिममें अवस्थित एक ग्राम। यहां एक यहां भी एक दुर्ग ११वों मदोमें निर्माण किया था। प्राचीन शिवमन्दिर है। जिसमें एक गोपुर भी है और विजयनगरके प्रतापके ममय दो सर्दार यहांक दुर्गका उसके चारों पोर अनेक तरहके शिलालेख दृष्टिगत संस्कार कर विजयनगरके प्रभुत्वको प्रवाहला करते थे । होते हैं। कहा जाता है कि यह मन्दिर बल्लरके किमी विखामघातकसे उनका नाश होने पर दुगं भो विनष्ट राजा बारा निर्माण किया गया है। हो गया। इस विषयको पनेक कहानियां सुमो जातो।। Vol. Ix. 145