पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५९८

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५८६ जो मंगारी नियुक्त एए हैं, उनके अनुसन्धानले प्रका- हुई शगती है, पर थोड़ा जपर पल कर कुछ पन्तर पर थित पाए कि पारसनाथ पहाइमें १५०. फटमे ले कर होती है। पत्तियों के किनारे सोधे नही होते. टेढ़ मेले ३५०० फुटको अचाई पर तथा हिमालय के उत्तर-दक्षित होते हैं। फल गिखामके प्राकारका होता पोर जपर जांच इस जातिका भाव जालोकपम पाया गया है। चार दखोम विभत रहता है। फल सफेद रंगका जालो पोर खेतो तिलमें बात फर्क पडता है। खेतो होता है, केवल मुंह पर भोतरको भोर बैगनो धब्बे तिनका फल सफेट पोर जङ्गलोका काना होता है। दिवाई देते है। यह सब देख कर माल म पड़ता है, पत्ते डंठल और मूलमें भी पनक प्रभेद देखनमे कि तिल और धानको खेतो प्रायः एक हो समयसे प्रारम्भ पाते। हुई है। धान्य देखो। किसो किसो तिल को पकने में तोन मिनि और पेरिसमकं प्रन्योम जाना जाता है, कि तिल माम और किमोको ८१० मास लगते हैं। इसके का तेल गुजरात और मिन्धदेशम लोरितसागर गोता प्राचीन विषय का पता लगानेसे ऐसा विश्वाम होता है, हुमा यूरोपको जाता था। कि जितने प्रकार के तेलहन बीज हैं, उनमसे 'तिल ही भारम-र-पकाबरीमें खत तिम्ल और आष्ण तिलका सबसे पहले मनुष्यों के व्यवहारमें पाया पोर इमोका तेल उखा । यह पाचवा पाउम अनाजों में गिना गया संसारमें प्रथम तैल हुआ। है। पागरा, इलाहाबाद, पयोध्या, दिली, लाहोर, मुल पूर्व भारतमें तिल का पोधा स्वतन्त्ररूपसे जनमता है। ताम, मालवा पादि सूों में इसको खेतो होती थी। मफेद तिलको पत्तियां काले तिल को पत्तियोंमे चोड़ो चोही दिनोंसे इसका कारोबार बहुत बढ़ गया है, होतो है। फलशा रंग मटमैला पोर पत्तों का गाढ़ा विदेशों को भी यह भेजा जा रहा है। सजला, सम होता है। सफेद तिल का स्वाद मोठा, खेती-भारतवर्ष के प्राय: गरम देशों में इसकी खेती दाना मोटा और बड़ा होता है। होतो।योधमण्डलस्य प्रदेश में या शोसवालमा स्य भारतवर्ष भर में तिल को खेतो कहां पोर किस प्रकार दूसरी जगह शारद गय पोर शोत प्रदेशमें गोमवाल का होतो है, वह मोचे दिया जाता है- यस है। पजाब प्रदेश में वर्षाकालमें इसको खेती ढाका-लक्ष्मी नदो के किनारे रमको खेतो खच होतो होतो है। मध्यभारतमें और मन्द्रा जमें वसन्त तथा परत है। यह धाम के साथ ही मिला कर बोया जाता है। कालमें रसकी फसल दो बार उपजायो जातो है। खेत तैयार होनेके समय पहले वर्ष के धानको जड़ मध्यभारत पोर उत्तर भारतको पालुकामय भूमिमें यदि खेतमें रह गई हो, तो उसे जला देते हैं। बाद हल रसको जैसी हक्षिपौर पुष्टि देखी जातो , मध्य, पासाम चलाते हैं। जमोन यदि अधिक मुख गई हो, तो हलके पौर बाहालको सजन भूमिमें सो नहीं देखो साथ साथ हो चौको देनी चाहिये और यदि सरम हो, जाती। तिल साधारणत: चार श्रेणियों में विभक्त है। तो चौकी देनको जरुरत नहीं पड़ती। पहली बार लेकिन यह नहीं कह सकते कि, ये चार पियां जातिके खेत जीत जाने के पन्द्रह दिन बाद फिर एक बार तिरछे अनुसार है अथवा खेतोके अवस्थानुमार । वर्ष देख कर जोतते है। इमो प्रकार तीन चार बार जोत कर प्रति यदि रसको श्रेणो कायम को गई हो. तो भो इसको बोध में डेढ़ मेर तिल पोर १. दश सेर बामन धान संसाचार हो है। खेत, कण, रस्त पार धूमर। भारत. एकमय मिला कर बोते हैं। प्राधे फागुनमे ने कर चैत वामें कहीं भी इसका पोधा १८ सबसे अधिक ऊँचा तक बोनका अच्छा समय है। जब इसका कुर ४५ नहीं देखा गया है। कहीं कहीं तो इसकी ऊंचाई सका हो जाता है, तब खेतको एक बार कुदालसे देवल तीन हो चार फुट है। इसको पत्तियां पाठ-दश ___कोड़ते है पोर धर्म पोदे उंग्जने पर उनमेंमे किनेको चंगुल साबा पौर तोन-चार पंगुल चौड़ो होतो बाट डालते हैं। दश पन्द्रह दिन के बाद खेत को एक । नोचेको घोर तो. ठोक पामी सामी मिचो दफा और कोड़ देनेसे पब घास मर जातो है। जेठ