पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६१६

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६.४ DAMHEN . . .. INSh

लोकमान्य बालगङ्गाधर तिलक । तिलक महाराजके रस दगड के प्रतिवाद करने के लिए से अहमदाबाद भेजे गये। परन्तु मालम नहीं, सर- महाराष्ट, प्रदेश में प्रबल आन्दोलन और उत्तेजना फैल कारने क्या मोच कर, उन्हें पान्दामन नहीं भेजा। गई । मध्यवित्त व्यक्तियों ने एक सलाह तक कोई काम- छः वर्ष तक पाप मन्दालयमें हो रक्खे गये। अहमदा. काज हो नहीं किया। देशो और विदेशो प्राय: सभो बाद पहुंचते ही सरकारने जुर्माने के एक हजार रुपये मवादपत्रमें इस दण्डानाके विरुद्ध प्रतिवाद-प्रकाशित माफ कर दिये थे। आपके पात्मीय बन्धु जब पुआ था। जनता तिलकके लिए इतनो सुन्ध हो गई कि हाई कोर्टमें बार बार आवेदन दे कर व्यर्थ मनोरथ हो शहरमें जहां-तहां दङ्गा-फिसाद होने लगा। इसके दमन- गये, तब प्रिविकौन्सिलमें अपील कामेके लिये मि० खापर्ड के लिए शहरमें सेना लाई गई; जिनका गोलियोंसे १५ को विलायत भेजा। परन्तु प्रिविकोमिलका विचार भो पादमी मर गये और १८ घायल हुए । मध्यवित्त शिक्षित भारत गवर्मेण्ट के पराम नुसार होता है, इसलिए समाजने भी एक सलाहके लिये अपना व्यापार बन्द उसमे भो कोई सुफल नहीं हुआ। रक्सा था। मन्दालयमें मिप्तिमके समय तिलक महागाने दलाचा अनुसार तिलक महाराज शोघ्र हो बम्बई- अपने प्रिय अन्य 'बोमदभगवदगोता' को पासोचना