पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६३५

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Mar, अत: बाम वरने गोहानाय पास होता। यानतो4-4 लाल वामिको भौति बारावतोबा पिडारकतीर्थ-या पदचियुत होति और सास गोदाम तुला फल होता है। हमार• सदा और शूशचित्रित पद्म अब भी देखने में पाते। बोटितीर्थ- यह मान ता पिड पोर देवतागोका महादेव स्वयं इस खाममें । यह बाम करनेसे पूजन करनेसे गवामयनयाग जैसा पास होता है। बडू-

सुवर्षदान यजसदृश फल प्राप्त होता है।

बोटितीर्थ-यहाँ एक करोड़ प्राषियों ने मिलकर ऐसा समुसिन्धुसाम-यहां जान पौर पितरोका सपण प्रण किया था कि म पाले महादेवको देखेंगे। इसके करनेसे वहणलोककी प्रालि होतो । विमोनोर्थ- प्रणाम करने पर बद्र सन्तुष्ट हो कर यहाँ कोटी हुए थे। यहां महादेव.सय विराजित है। खान परमेये पम यहां स्नान करनेसे पणामेध याका फल और कुममा मेधका फल पौर महादेव दर्शन वा पूजनले सम्म बार होता है। मरस्वतोमामलो-या जनार्दन पाप नष्ट होते है। वसुधारातीर्थ-सके दान करने खयं विराजते । प्रतः स्नान करनेसे बहुमुवर्षयागका से भसमेधका फल, खान पोर तणारा पिसोकाको फल पास होता है। सयावसामतीर्थ-वजानिये प्राशि होती है। सितमतीर्घ-यहां बान करनेसे सास गोदामका फल होता। पायातल्य फल प्राह होता । यदुजतोय-गड़बुरवितोय-यहो जामो समस्त पापोका माश जानिये प्रलोकको प्राधि होती है। खुमारिका और चोर मयंक गारंपालको पूजा करने सास भवतीर्थ-या खान करनेसे सम्म यी पापोका मा गोकमका पल होता . । विपखान- होता है। पनदतीर्थ-समें पञ्चायतका फल प्राप्त होता यहबान चोर दर्शनारने पक्षमा फसमोर है। भीमास्थानतोर्य- यहां जान करने मष दयो विलोपामि गमन होता है। परिपावतोब-सा पुत्र होता है और सहला गोदामतुख फस मिखता है। पनिटोम और प्रतिराव बसवा पल मिलता है। गिरिजातीर्थ-यह स्वयममा विराजित ।। रधिको तोघं-यह सास गोदाम तुष्य फल होता। उनको प्रणाम करनेसे सास गोदामतच, फल होता शालकिनीतीध-खान पर सास गोदामका पल है। विमलतीर्थ-प्रब भो यहां सौवर्ण और रजत मरथ तासर्विवोतो-वजनिस पनिटोमा पाल मौजटासान पोर पानहारा वाचपिय साय फस पास और नागमोकको प्राव होतो। पर्वकारवाल होता है। वितस्तामदो-यहां तप करनेसे वापिय सोच-यहा रानिवास करनेसे सास. गोदामका : पास फल और स्वर्ग लोक गमन होता है। काश्मोरी वितस्ता होता है। नामक तक्षक नामसदन तीर्थ में बान करने वाजपेय पचनदतो- यहाँ बान करने पवमा फल फस और स्वर्ग लोक प्राप्त होता है । NARIतो!- होना । पखितीर्थ-फल, उत्तमरूप, वरा- यst सधाकालमें स्नान और समाधि को पए प्रदान हो-फल, पम्निष्टोमतुल्य । जयन्ततोध-फस, राज- करनसे सहस्र प्रखमेधता फल प्राप्त होता है। स्थयातुल्य । एकमती-फल, सहन मोदामना। . रुद्रामदतीर्थ-यहां महादेवो दर्शन करनेसे सशोधतोय-फल, पुडरोवाया था . अश्वमेध सदृश फल होता है। मतिमानू पर्वत- सच्चावटतीर्थ-या महादेवका बाम या एक . यहां तीन दिन उपवास करनेसे मोतिष्टोम सहय फल गवि वास करने गाणपत्यको प्राणिोतों । नाम- होता है। देविकानदी-यह महादेवका स्थानदग्न्यातपुष्कर तीर्थ-यहां बान पूजा करण्यमयका यहां स्नान, महादेवके दर्शन और महादेवको परु फल होता है। रामदतीर्थ-परसरामके क्षत्रियों के . प्रदान करनेसे समस्त कासमायोको सिद्धि और दीर्घ विनाश करने पर उनके रक्षावेद सत्यनाए थे। यहां , मत, राजसूय पोर पवमेधवा, पास होता है। विन- पितरोंका तप करने बाबायका फल होता नतोष-या स्नान करनेसे वाजपेय महरा मास होता है। मामूलकनीक-यहोवारने कुखका बार