पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६४९

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पैशावरमें तोसोमे गंडकर्म यवहार के लिये रस्मा पंटियोको साकार कागजी बलमै मैना बाथ, तो तैयार करते है। इसके अलावा पञ्जावमें पोर किमो दूसरे दोनों के लिये विशेष लाभ हो। काममें सोसो के सूतका व्यवहार नहीं होता है और तीसीका व्यवसाय--भारतवर्ष में तोसोका कितना न वहां के लोग रस मोर ध्यान हो देते हैं। किन्तु वहाँ वर्ष वह ठीक ठोक.जाना नहीं जाता। सदेचमें जो कुछ सूत तैयार होता है उसको गिनतो अच्छोमें तोमोको सुन्दर कल कही मी देखनेम नही पातो। है। युक्त प्रदेश में मां सूत तैयार नहीं होता है। यह इसको पका कर गाढ़ा करके एक प्रकारका वारनिय भी तोसोका बोज निकाल कर उसके पोधौंको घटियोंमें बनता है। धनो लोगों के घर में किवाड़ तथा झरोखम बाधते और उन्हें सात पाठ दिन तक तानायके जनमें जो सबा रंग देखा जाता है, वह यहो वारनिश । रख छोड़ते हैं। प्रति दिन पटियां उलटानो पड़ता है। प्रति वर्ष कई मोमन बोज विदेशमें मजे जात। ८ दिन बाद (अधिक गर्मों के समयमें ४५ दिन बाद) तीसीका व्यवहार। यदि प्रस्तुत कर सके तो इसकी इमको जड़ को फाड कर खना पड़ता है, कि पट वेके रेशे से रस्सो, चटारे, विधाल, पाल पादि बन सकते समान इसको डण्ठल पलग हुमा वा नहीं। ऐसा हैं। यदि मत निकाल न सके तो रसके पौधों को मुखा होने पर पन्द्रह दिन तक उन्हें बाहर ठंडमें पतला करके कर कागजको कलमें भेज देनेसे बहुत लाभ होता है। सुखाना पड़ता है। यदि दृष्टि होनेको पाया हो, तो लेथोके छापेको स्याही, रंगसाजी तथा वारनिय सिवा पंटियोंको कोणाकारमें बाहर जमा कर रखना चाहिये। इसके तेलसे नकल इण्डिया रबर पोर नरम सावन पोछे मोगरी या मुसलसे उठनको चूर चर करना पड़ता बनता है। तेल विण्डोने पर ये सब चोज की है। तब परिष्कार कर बन्डल में बांधकर रख छोड़त। बनती है। किन्तु भारतमें मिश्रित खासी पधिक। यह बम्बई हो कर विलायत भेजा जाता है। देशो स तोमो पोषपके काम भो पातो।सको बरी. कोंने भी इसका व्यवसाय प्रारम्भ नहीं किया है। को पोस कर उसकी पुतटिस बांधनेसे सूजन बातो मध्यभारतमें तोमोका पौधा एका फुटसे अधिक जंचा वा कचा कोड़ा योन पक कर बह जातादमी नहीं होता है, किन्तु तोमो बहुत ज्यादे निकलती है। कम जाता है। मृदु-काम-रोगमें भी वा काममें पातो इस देश में यह प्रायः रब्बो पादिके साथ बोई जातो है। मेह और मूत्ररोग तथा लिजयचनी पीड़ामि मोवा बरारमें भी ऐसा ही है। इन दो स्थानों में कहीं भी बहुत उपकारी है। दातव्य चिकित्सालयों में तासोबो नल. सूत नहीं होता है। ___ में सिद्ध कर उसे मेहरोगोको सेवन कराते । बोजक सिन्धुप्रदेशको उत्तरी सोमामें तोमोसे सूत तैयार चूर्ण को चौनोके साथ मिला कर खासे मेहरोग शान्त होता है, जमींदार लोग इसको रस्मो बनवाते हैं। होता तथा कामानि बढ़ती है । लण्ड में भो या तिलको मिन्धुके पोर किसो भागमें तोसोको खेतोका नाम भो 'नाई मिलाई जाती है। इस देश में तेल काम होता । नहीं है। बम्बई में बोजसे केवल तेल निकाला जाता है, इसलिये खरो भो कम होती है। किन्तु हसियामें पराचा सत कहीं भी तैयार नहीं होता। मन्द्राजमें भी वहो कर देखा गया है, कि खरी गोको खिलानेने उसके धर्म हाल है। बङ्गालमें यदि यन किया जाय तो सूतसे रस्मो, मक्खम अधिक होता है। चटाई प्रादि बन सकती है। कलकारी के निकट गङ्गाके तु (म' अव्य ) १ निरर्थक पादपूरण । २ भेद । ३ प दूसरे किनार कलसे एक समय तोसौके सूतका पान पोर धारण है । ममुच्चय ।५ पक्षान्तर । नियोग । ७ प्रशंसा । विपालका बहुत बढ़ियां कपड़ा तैयार हुमा था। निग्रह। सम्पर्क । १. किन्त । ११ पाधिया। ___ भारत में प्रभो सब जगह तीसोका बीज महोत तुजाल (हि.पु.) पुदने लगे हुए एक प्रकारका जाम्न । होता है। पौधा या तो मवेशीको खिलाया जाता या जला यह मक्खो पादिमे बचने के लिये घोड़ोंके अपर डाला दिया जाता है। यदि यह बरबाद न किया जाय, वर जाता है। Vol. Ix. 160