पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६५८

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तुकाराम तुकोजीराव होलकर पर्थात "ब्रह्ममें देहममर्पण" नामसे परिचित है। जवके प्रति अनुकम्पा, चरित्रको निर्ममता, पानी दूसरे दिन सबेरे उन्होंने कोर्तन कर मियों को अनेक नुभूति ये सब धर्म के लक्षण है । शरीरमें भस्म लगाना, प्रकारके उपदेश देते हुए कहा 'मैं वैकुण्ठ जाऊंगा' यह मिर्फ धर्मका निलष्ट पश। बाद पपनो स्त्रो अनलाईको भो यह मबाद भेजा कि ५। हिज, शूद, खो, पुरुष प्रभृति सबके सब भगवान- 'तुम्हें वकुण्ठ जाना हो पायो, हम दान मिल कर को कपाके अधिकारी है। . एक साथ बैकुण्ठको चलें।' प्रबनाईने भोचा, कि प्रभु भगवान के साथ जोवोंका सम्बन्ध अत्यन्त निकट सायद कोई तीर्थ जा रहे हैं। यह मोच कर उगको तथा अत्यन्त मधुर है। वे हम लोगोंसे दूर नहीं है। प्रकाश नहीं करने खबर दी कि 'एक तो मैं गर्भवतो हूँ व्याकुल पदयसे पुकारने पर हमें दर्शन देते हैं। दूमरे इस ममारको फेंक कर क्यों कर जाऊं, इस ये हो तुकाराम प्रचारित धर्म के मुलमन्त्र है, तथा तरह तुकाराम सभोसे विदा ले कर नाम-घोषणा करते उन्होंसे उन्होंने महाराष्ट्र देशको भाषालावनिताको हुए बाहर निकले । तुकाराममे सत्य हो ओ महा. मोहित किया था। प्रस्थान किया वह किमो को भो विखाम न एमा। त कोजोराव होलकर-इन्दौरके एक अधिपति। मल. १५७२ को फाला ना माणा हितोया तिथिमें हाररावके पुत्र खण्ड रावके पिता के जीवन कालमें ही तुकारामगे महाप्रस्थान किया। उस दिनर्स तु का. (१०५४ ई.) कुम्भके दुर्ग घेरनेके समय मारे गये थे। • राम फिर कभी नहीं देखे गये। तुकाराम खण्डेरावका विवाह भारतप्रमिद अहल्यावाईसे हुषा अन्तधान हो गये हैं, यह मम्बाद चारों ओर विजलीको था। उसके गर्भ मे महिरावने जन्म ग्रहण किया। भाई फैल गया। सब कोई हाहाकार करने लगे। . लहाररावके मरने पर मझिगव मिहामन पर अभि- उनके चरित्र लेखकाने ऐमा निर्देश किया है कि वे स्व. पिक पा। भिन्तु उसमे अधिक दिन राज्य नहीं किया। शरोरसे स्वग को चले गये । तुकारामन जाते समय अपनी अभिषेकके ८ मास बाद हो वे कालग्राममें पतित हुए। सो अवलाईको कहा था कि तुम्हारे गर्भ से इस बार ओ इस समय मलहाररावके और कोई उत्तराधिकारो न सन्तान उत्पब होगो उसका नाम नारायण रखना और थे। पहल्यावाईको एक कन्या थो सही किन्तु एक भित्र यह सन्तान विशेष भतिवाम होगो। तुकारामकी यह श्रेणौके सामन्तके साथ उसका विवाह हुमा था, इस. भविष्यवाणो सफल हुई थो। यथार्थ में नारायण विशेष लिए हिन्दूधर्मशास्त्रानुसार वह उत्तराधिकारी न हो हरिभकिपरायण निकले। कुछ दिन बाद शिवाओ मको। इसी ममय अहल्यावाईने अपने हाथ में राज्य हरि-भाता शिशुको देखने के लिए देहत ग्राम पाये थे और शासन दण्ड ग्रहण किया। किन्तु मन्यपरिचालना इन्होंने इस परिवारके भरण-पोषण के लिए कोई एक ग्राम करना स्त्रियों के लिए संगत नहीं है, या मोच कर उमः आगोर दो थोपाज भी उनके वंशीयगण म आगोर ने स्वजातीय तुकोजी होशकरको १७६७ में सेना. का भोग कर रहे है। पतित्वमें नियुक्त किया। इन्दौरके इतिहासमै तुकोजी • तुकारामने जिन सब अभङ्गोको रचना की थो वे होलकरका अभिषेक सो ममयसे गिना जाता है। • सब प्रायः निम्नलिखित भावों में लिखे गये- मलहारराव होलकरकं साथ तकोजीका कोई निकट १। सुग्व, दुःख, सम्पदः, विपद् सब अवस्थामं भग- मम्पर्क न था। वे मलहाररावके प्रधान काम करते वानकी भक्ति करनी चालिये। थे। उनको वोरता, प्रभु-भक्ति और साहससे सन्तुष्ट हो २ माता और शरणमें पाये हुए व्यक्तिको अभयदान । कर महाररावने उन्हें बहुत सो सेमाओ के नायकपद देना चाहिए। पर नियुक्त किया। बुद्धिमति अहल्याबाईने तुकोजोको शखर वन भक्ति-मभ्य है। बाद्यानुष्ठानसे वे दक्षता और विचक्षणतासे मन्तुष्ट हो कर उन्हें राज्यका प्रास नहीं किए आ सकी। प्रधान बनाया। पास्यावाईको अनुमतिके अनुसार