पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६६५

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मोनाटिका पोर पनि भन, मर्य. में शेने यो फल होनासकामाम, सच माल पौर चन्द्र ये मित्र, स्पति और बुध येन पोर दशम स्थान केन्द्र माना जाता है। (कोशीपदीप ) तो पोरन मिना पोर धनुराशिके छठे यो ८किसका ना१. प्रधान। ११ बत। केनुका उच्चांश समझना चाहिये। (पु०) १२ शिव, महादेव । १३ वियपुत्र । लोने सपके मेषमें रवि, उपमें चन्द्र, कन्या में बुध, कुलोरमें गुरु. प्रभावसे नाराबपको सन्तटार योजनामा सहय मौकम शुक्र, मकरम माल एवं तलाम शनिक रहनेसे एक पुत्र प्राप्त किया था । १४ एक प्रसिद्ध सानिव राम। तनवास • पु.) ता खायक संजाय बन वा। १ पुबाग "आदिस्यमेषे वृषभे शशांक कन्यागते च गुरौ कुलीरे। बुद्ध, नामसर । (ल.) २ जी शब्दार्थ. परस- मीने च शुक मकर महीने शनौ दलायामिति गेहाः॥ रूप तोर्च मद, एक तोर्यका नाम। पासे यहां सारखा (समयायत ) मुनि सषियोंको वेद पढ़ाया करती। एक बार जब तजका फल-रवि अपने घर में रहमेसे मनुथ पडित, वेदमष्ट से गये तब पहिराक पुनने ' mat धार्मिक, धोरखभावसम्पन, परोगो. बहुतों के प्रति बबाविधि धारण किया था। इस पदक सवार पासक, दाता, बहुमुखम भीगकारी तथा मलबार ___सायो पूर्वाभ्यस्त सब वेद व्यखित हो गया। तब नृपति होता है। कृषि और देवणण, वरण पनि, प्रजापति, सिमारा. जन्म समयमें बुध यदि पपने उच्च स्थानमें रहे, तो यब, भगवान पितामह स्यादिने महापतिको मानव कन्या, पुत्र और उत्तम रससम्पब राजा माम- यज्ञ करनेके लिये नियुक्त किया। वं यथाविधि मोय. राज्यक एकदियका अधिकारो, पाखालापम पामोद वियों के अधीन यन्त्र करने लगे। पान्यारा पनि युता तथा सर्वदा सौभाग्यविशिष्ट होता है। सन्तुष्ट को गी । बाद देवता चोर ऋषि पपने पनि खान जन्म समय में हस्पति यदि पवनो उच्च राशिम रहे · को गये। यह परखा ताकतो नामले प्रसि । तो मनुष्य उत्तम मन्त्रिसम्पब, पत्यन्त बलवान. मानः · पुरुष या खोके रस स्थानमें जानसे सब पाप मोजात नोय, क्रोधो, अत्यन्त धनवान तो, अश, यान पोर : १ और एक मास यहारासोकाको प्रातिलोती. उत्तम स्त्रोका स्वामो तथा बहुत मनुषोंक्षा प्रतिपालकः , तथा सब कालका उदार होता .. यूट (स: पु०) तामूटमस पर्वतभेद, जन्म समय में एक यदि अपनो उच्च राशिम है, तो , ऊँची चोटोका एक पहाड़। मनुथ मिष्टाबमोजो, सकस गुपयुख, राजमन्यो, दीर्घायु तता (सो .) तजस्व भाव ल । . स्ता , दाता, देववाणभत्ता तथा उत्तम भोगी होता 1 संचार। जन्म समय में शनि यदि अपने सच महमें रही तो तत्व (सलो. ) राजस्य भावः भाव वा ससा, मनुन, श्री विलासकर जमा कीर्तिशाली, पत्यन्त जंचाई। बसवान, दोध जीवो, राज्य एकादेशका अधिपति, तुगधन्छन् (पु.) तर धनुयस बब्रोही पखित, दाता तथा भोता होता। ध बादेश उच्च धनु । . "एको भवेशोगी वितुंगे व धनेश्वर राजनाथ (म' पु.) हिमालय पर एक शिवनि पौर त्रितु'गेच भवेदामा चतुर्षे मार्तन: " सो स्थान। .. . जन्मकालीन एक होनेसें भोगी, दो ग्रहमें धने नाम (स. १०) अनानिय व गावो । बोटमैद, भार. तोमर्म राजा और चारमें राजचत्राव होता है। एक प्रकारका विषमता कोड़ा। दामास देखो । यदि निधन और व्ययपृहम ग्रामण ताहो तो तुजप्रस्य (सं० पु. ) रामगढ़ के निकटस्थ एक पर्वत। पावित क्षमा कमव्यय होते बोर केन्द्रमा विकीपावल (म.पु.) देवा। . Vol. IX. 164.