पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६६७

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तुगीपति-णि लोह निकलते देखा जाता है।पर, पाम, रोमाच, तुज (स.बी.) तुज-क्षिप । रक्षणसमर्थ, वह जो बेदना, वमन, पतीसार, तृणा, दाह, पत्यन्त शोत, रक्षा करनेमें समर्थ थे। शोफ, हिमा, दास, मोह, कम्य, खाम, ग्रन्धि, महला- तुजि (स• वि०) बलवान, ताकतवर । कार चित्र, दव, कणि का, विस प्रभृति, कोड़े को प्रतिः तुज ( पु.) एक राजाका नाम । के अनुसार ये समस्त उपद्रव होते है। सुजा (हि. स्त्रो. ) धनुष, कमान । .. (वृत प८ म.) . तुज्य (सं.वि.) तुज हिंसायां पादयति यत्। तुङ्गोपति (म० पु. ) तङ्गय रातः पतिः । चन्द्रमा। बिस्य, हिंसा करने योग्य । तुङ्गोग (स• पु० । तुङ्गी सर्व प्रधाना: ईगः, कर्मधा। तुञ्ज (स• पु०) तुजिवले पच । १ वण । १ त फल १ शिव। २ कष्ण । ३ सूर्य । सङ्गया ईश:, 4-तत्। दानकर्ता। ४ चन्द्रमा । तुनीम (सपु० ) काश्मोरके एक राजाका नाम। सुच (म. पु. ) त्वच् विप सम्मामारणं तुज-क्लिप, पृषो. तुटिलुट (म• पु० ) शिव । दगदित्वात् साधुः । १ अपत्य, सन्तान । सुटुम (#० पु० जो. ) तुर्टात नाशयति द्रष्यजातं तुट दुच्छ( सलो) तौति मारत्वं गच्छति त छ । छोह वाहुलकात् उम । न्दर, चला। दिकचिभ्यांशुतुम्यान्त कित् पीपूडो स्वश्च । उगा २३॥ तुड़वाना ( हि नि० ) तोड़नेका काम किसी दूसरेसे १पुलाक, भूसी, किलका । २ होन, बुद्र नाचोज । (वि.) कराना। तु किप, तेन न वा छहोति को क । ३ शून्य, निःमार, तुड़ाई (हिस्सो ) १ तुड़ानेकी निया या भाव । खोखला । ४ अल्प, थोड़ा। (पु.) ५ मोलोहन, नोलका तुझाना (हि.नि.) १ तोड़ने का काम किसी दूसरेसे पौधा । ६ त त्य, तूतिया। • कराना । २ बन्धन छुड़ाना । ३ सम्बन्ध तोड़ना । ४ रुपया त छज्ञान (म० क्ली० ) तुच्छस्य जान ६-तत् । सामान्ध तुड़ाना, भुनामा। बोध । सुड़ि (सं० स्त्री०) तुइ-मन-किच। नोड़न, तोड़नेको तुच्छता (संस्त्री० ) तच्छस्य भावः तल-टाप । सामा- लिया। न्यता, हीनता. नोचता । २ पुद्रता, पोछापन। तुडुम (Eि• पु० ) तुरहो, बिगुग्न । ३ अल्पता। तुणि ( स० पु..) तुण संकोचे न पृषोदरादित्वात् माधु: तच्छत्व ( स० लो०) तुच्छस्य भावः। यता, हीनता। वा पति महोचयति तुग-गन् ( सर्वभातु इन । २द्रता, पोछापन । वण ।।११३) तुववृक्ष, तुमका पड़। वा उत्तरोय भारत में तुकट्ठ (सं० पु०) तुच्छो होनोरक्षा कर्मधा० । एरण्ड. सिन्धु नदोसे लेकर सिक्किम और भूटान तक होता। वृक्ष, रेडीका पेड़। यह चालोमसे लेकर पचाम हाथ तक जचा और दय तधान्यक (म को.) तुच्छ धान्य 'पस्यायें कन्। बारह हाथ मोटा होता है। शिशिरमतुमें इनके सब पुलाक, भूसो, हिलका। पत्री गिर जाते है। वमन्तके प्रारम्भमें हो रसमें नीम स.च्छा ( स० क्ली. ) तच्छ बैदे स्वार्थ रार्थे वा यत्। फमकी तरहके छोटे छोटे फस गुच्छोम सगतान १ तुच्छशब्दार्थ । २ तुच्छकल्प। फलोंसे एक प्रकारका पोसा बसन्ती रंग निकलता है। तच्छा (मो० ) तुच्छ-टाप। १ तुत्य, तूतिया। इसके फल जब झड़ जाते है तो रंग बनाने के लिये लोग २ भोलीहत, नीलका पेड़ । ३ सूक्ष्म सा, शेटी इलायची। उन्हें इकट्ठा करके सुखा लेते हैं। इसकी लकड़ो साल तुच्छोलत ( स० वि० ) पछताछ मत अभूततजावे रंगको और बहुत मजबूत होती है । इसमें दोमक पोर वि । प्रबनात, जिसका अपमान किया गया हो। घुन लगनेका हर नहीं रहता है। इसका संसहात तच्छातित ( स० वि०) पत्यन्त छोटे छोटा। पर्याय-तुनि, तुबक, पापोन, तुनिककच्छवा, ठेरक,