पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६७०

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६५८ तुनौ-उमर २ उमा तहसील का एक शहर । या पक्षा. १७२२ तुन्दिफना (स.सी.) सु न्दिल त्फल यस्याः। ७० और देशा० ८२३२ पू० मन्द्रोजसे ४२५ मोलको विपुषो, खोर।। दूरी पर अवस्थित है। लोकसंख्या लगभग ८८४२ है। तुब ( सं पु० ) तुद-ता । १ नन्दि, सुनका पेड़। २ फटे तुनी (हिस्त्रो० ) तुनका पेड़। हुए कपड़े का ट, कड़ा। (त्रि०) ३ व्यथित, दुःखित । सुनोर (हिं पु० ) तूणीर देखें। ४ छिव, कटा या फटा हुआ। सन्सभ ( म • पु.) सर्वपक्ष, मरमौका पौधा। तबकारिका ( स. स्त्रो.) भूम्यामलकी, भूषविला । सुन्द ( स० को.) तुदतोमि तुददन् । भन्दादयश्य । उण तववाय (सं. पु. ) त छिन वयति त ब-वै-प्रणा । ४८ ) दर, पेट। सोचिक, कपड़ा सोने वाला, दरजो। . तुन्दपिका ( म स्त्रो०) तुन्दम्य कूपिकव। क्षुद्र कूप, तुबसेचनी (म. स्त्रो०) तुर्व छिन सोचतेऽनया सिन् नाभि, रहो। कारणे ल्य,ट. डोप । सूचोभेद, एक प्रकारका दरजी। वन्दकूपो (म स्त्री०) तुन्दस्य कूपोय स्म । नाभि, टु डो। तुपक ( हिं० नो०) १ छोटो तोप । २ बन्दुक, कड़ाबीन । तुन्द परिमाज (म त्रि.) तुन्दं पग्मिष्टि तुन्द परि- तुफग (हि. स्त्रो०) १ हवाई बन्दूक। २ एक लम्बो मुज-क तुन्द परि-मन- अण । मन्द, सुस्त ।। २ अलम, नलो। इसमें महो या पाटेको गोलियां तथा छोटे तोर अनमी। पादि डाल कर फकके जोरसे चनाएं जाते हैं। सन्दमृज (म त्रि०) तन्दं माष्टि-मृज-क। तभना (हि.क्रि.) स्तब्ध रहना, ठक रह जाना। तुन्दपरिमार्ज देखो . तुम (हि.स.) 'तू' शब्दका बहुवचन । तुम्दवत् ( स० वि० ) तुन्द विद्यते पस्य । तुन्द-मतुप । तुमकूर-१ महिसुर राज्यका एक जिला। यह पना. त न्दिन्न, तोदवाना, निकला हपा पटवाला। १२.४५ और १४६ ३० तथा देशा० ७६२१ ओर तुन्दादि (सं० पु० ) पाणिनिकथित गन्दगणविशेष, ७७२८ पू० के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ४१६८ . पस सुन्दादि पदके बाद अस्त्यर्थ में इलच प्रत्यय वर्गमील है। इसके उत्तर में मन्द्राज के अनन्तपुर जिला, पाता है। पूर्व में कोलर और बगल र जिला, दक्षिण में महिसर तुन्दि (म लो. ) तुद-न् वाहुलकात् नुमच । १ गन्धर्व जिला और पश्चिममें चितलद्रुग, कडुर तथा हमन विशेष एक गन्धर्व का नाम । (स्त्रो०) २ नाभि, हुड़ो। जिले ।। सन्दिक (म'० वि०) अतिशयित' तुन्दमुदर मस्त्यस्य सुन्द- जिलेका पूर्वीय भाग छोटे छोटे पहाडमि भरा है; पर्वत ठन् । विशाल जठरयुक्त, संदिवाला, बड़े पेटवाला। उत्सरमे दक्षिण तक फैले हुए हैं। यों तो यहां अनेक तुन्दिकर (मपु. ) तुन्दि करोति -प्रच। तुन्दिन, नदियां प्रवाहित हैं, पर जयमङ्गलो ओर शिमशा ये हो दो बई पेटवाला। प्रधान हैं । यहाँका जन्नवायु बहुत मनोरम तथा स्वास्थ्य सन्दिकफला (म० स्त्रो० ) खोरेको बेल । कर है। जिले का दक्षिणो भाग बहुत कुछ बगल र जिलेसे सुन्दिका ( म स्त्री० ) तु न्दिम-टाप । नाभि। मिलता जुलता है। वार्षिक दृष्टिपात ३८ इञ्च है। नन्दित (मंत्रि.) तुगिडल, जिसको नामो निकलो हो। कहते हैं, कि प्राचीन कालमें यह स्थान गणवश तुन्दिन (म त्रि०) तुन्दोऽस्ताम्य दनि । तुन्दयुक, निकले अधिकारमें था। पोछे यह होयमल राज शके हुए प्रेटवाला। अधिकारमें पाया। वे अधिक दिन तक राज्य तुन्दिभ ( म • वि. ) तु दि ईशा नाभिरस्त्यस्य तु न्दि-भ। न कर पाये। कालक्रमसे यह जिला विजयनगर के तुन्दिवलिवटेर्भ: । पा ५।२।१३८ । तुन्दिल, नोंदवाला। प्रधान आ गया। विजयनगर अध:पतन होने पर सुन्दिल (म..वि. ) तुम्दकस्याम्ति तुन्द-इलच । तुन्दा- १६३८ ई में बीजापुरराजने इस पर अपना पूरा दखल विभ्य इलम पा ५॥२॥११७ । स्थ लोदर, बड़े पेटबाला। जमाया और इमे शिवानीके पिता शाहजीके निरीक्षण में