पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६७९

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अभिप्राय इनसे कोई भी उन्हें किमो काम लिए बेगण। वऔर तोन चिधारी पाशा है, प्रादेशिक बाध्य नहीं कर सकता: किन्तु कुरानके मतानुसार उन्हें शासनकर्ता दो चित्रधारी पाशा और वगण एक चित्र चलना पड़ता है। कुरानकै अनुसार उनको विधि निषेध धागे हैं। बे-गण पाणा नौं कान्ताले । युद्ध के करने के लिये उनको एक पण्डित-समा है। ये सब पण्डितः सेनापति भी वजोरोको माई तीन विधारी है, इन्हें पच्छी तरह कुरान जानते है और वे 'उलमा' नाममे ! "शिरस्कर' कहते हैं। पुकारे जाते हैं। पण्डितसभाके सभापतिको मेख-उल- मम्म गो मामाज्य करएक प्रदेशों में विभक है। प्रत्येक इसलाम तथा मुखपात्रको मुफ तो कहते हैं। इस सभामे विभागमें एक पाणा शासनकर्ता, जिन्हें वाल!' धम -मम्बन्धीय, गजनीतिक, फौजदारो, दोवानी पौर (प्रतिनिधि Viceroy ) कहते है। वाखोंके अधीन सामरिक विषयकी मोमांसा करानके मतानुमार को रहने के कारण प्रत्येकको 'वालियत' कहते हैं। प्रत्येक जातो है। इसके सिवा और भी कई प्रकारको पाईन है। वालियत पुनः कई एक समजक वा लिबामें विभक्त कुरान के अनुमार जो सब विधि गज्यारम्भके ममयमे पाज है। प्रत्येक लिबामें एक 'काय-मकाम' ( सहकारी तक पगड़त-सभा तथा सुलतान हारा चलाई गई. वे प्रतिनिधि वा Lieutenant Governors) है। प्रत्येक हो 'कान म-मामो' नाममे चलो पा रही है। युध-स.न्ध- लिवा भो पुन: काई एक करजा ( जिला ) में विभत विग्रह के विषयमें सुलतान अकेले कुछ नहीं कर सकते, प्रत्यक करजा फिर कई एक 'महिज' (परगना वा मण्डल उन्ह पण्डितमभाका मत लेना पड़ता है। वा चकला )में विभक्त है । वालियत पोर सिवाके शासन- राजसभाका सम्मान र पद दो प्रकारका है- बर्माको उपाधि 'पाशा' है, काजा प्रभृतिके शासकोंको विद्याका मम्मान पोर अस्त्र का सम्मान । विद्याका सम्मान उपाधि 'वै है । पाशा हाथमें सामरिक, दोवामी, तोन प्रकारका है-रिजाल, ग्वाजा पोर आगा । राजाको फौजदारी पोर राजस्व विभागका पूरा पधिकार। मन्वि-सभा मटस्य' रिजान' कहाते हैं। इन लोगांके मुख. पाशाका अधीनस्थ थामनकर्तापोंके अपर प्रभुत्व, पात्र स्वयं प्रधान वजोर हैं। इनके क्ये याब (राजधानीस्थ सहो, किन्तु वह केवल नाममाव लिये। सब विभागाँके विभिन्न मन्त्रिगण), रईस-एफेन्दि (विदेशो यहांक अधिवासो प्रधानतः दो भागों में बटे- मन्विदल ). चाउग-बाशो (शामन-परिचालक मन्त्रो भोर गया। मुसलमान लोग ( तुर्की । कुर्द, परबी, और प्रधान कमचारिदल ) प्रधान है। राजस्व-विभागके बोसनियावासो मुसलमान, पालवेनिवासो मुसलमान प्रधान कर्मचारो 'खाना' कहलाते हैं। पहले, दूसरे और और प्राचीन एशियावामी मुसनमान ) माधारणतः ती तोमर प्रधान कर्मचारो दफरदार नामसे पुकारे जाते कहलाते हैं। विधर्मी विदेशी मात्र हो 'गया' नामसे हैं। निशानजो वाया ( सुलतामक मोहर-रक्षक ) और पुकार जाते। . दफ सर अमोनो (राजस्व विभागका. परिदर्शक ) इसो . इतिहास --पोसमान-नि-तुर्की एसियाको तानीय श्रेणोके अन्तगत है। इनको मन्त्रि-समाके सदस्य भो जातिको हो एक शाखा है। एशिया माइनर, कमरिया, वज़ोर कहलाते हैं। वजीर-मगडलोका नाम 'दीवान' काजाम प्रभृति स्थानों के ये हो. लोग प्रधान अधिवामो है। धनक तरह दीवाना और मामरिक कर्मचारी हैं। हिरोदोतमके ग्रन्वमें वर्तमान किट करके 'प्रागा' नामसे मशहूर है। नमसे "बसस्तनजो बायो" दक्षिण-पश्चिममें यरको' नामक एक जातिका ( पन्तःपुरोद्यानरचोके अध्यक्ष ) तोपजो वायो 'सोप मलेख है। इस जातिका वासस्थामा नाम उन्हींक खामा गोला गोलो, बारूद और तोके अध्यक्ष', मौरी- ग्रन्याम 'ती' कह कर अलिखित तिमीने चाम्सम (महम्मदका चिद्युत पताका-बाहक ) प्रभृति इसे 'तुर्की ( Turk) कहा है। यक नामक एक श्रेणोको भ्रमणशोलपादिम जाति अब भी एशिया- सामरिक सम्मान भी सोन प्रकारका है-मम्बो, पाशा माइनर तथा पारस्य में रहती है। तुर्की और तुरुक