पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७१०

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६९८ तुवरीमत् -तुपन रोगनाशक है। । मोराष्ट्रमृत्तिका, गोपीचन्दन। १ वृद्धि, बढ़तो.। २ प्रज्ञा, बुद्धि, ज्ञान । ३ बल, ताकत । पर्याय-मृत्, सौराष्ट्रो. मृरखा, पासङ्ग, मसो, सगष्ट्रजा, तुविमन (स० वि०) जिसके बग्मनसे बहुतोका अनिष्ट हो। मृत्तालक, कालो, मृत्तिका, स्त ल्या, कानो, सुजाता। तुविगधस (सं० वि०) प्रभूत धनयुक्त, धनो, जिसके गुण-यह तिक्त, कट, कषाय, उष्ण, लेखन, चक्षु को हित- पास ख ब दोलत हो। कर, ग्राहो. छहि भोर पित्तके लिये जम्भानाशक है। सुविवाज ( म० त्रि.) प्रभूत बलयुक्त, बलवान्, ताकत- तुवरोमृत् (स' स्त्री०) मौराष्ट्रमृत्तिका, गोपीचन्दन वर। तुवरोशिम्ब (.पु.) तुवर्या व शिम्बा फलत्वक तुविशग्मम ( म. वि.) बहु सुखयुक्त, सुखी, जिसे यथेष्ट यस्य । चक्रामवृक्ष, चकबडका पेड, पवार। पाराम हो। रावि (म• स्त्रो०) तुम्बी पृषो. माधुः। । तम्बो। तुविशुम ( स० वि०) बहुबल, बलवान्, ताकतवर । सुंबी। २ वाशब्दार्थ, जिमके कई अर्थ हो। तुविश्रवम ( स० वि०) बहु अनयुक्त, जिसके पास बहुत तुविकूर्मि (म. वि. ) बहकर्मा, युद्ध में अनेक प्रकारके अनाज हो। काम करनेवाला। तुविष्टम ( स० वि०) बहुतम, क्लो, ताकतवर, जोग तुविद्य ( स . वि.) १ प्रभूतगमन, बहुत जल्द जाम वर। वाला। २ बहुत जोरसे शब्द करनेवाला। ३ बहुत सुविष्मत् ( स० वि० ) विम्-मतुप । १ प्रज्ञावान्, बुद्धि- खानेवाला। मान्। २ जोरावर । तुविग्राम ( स० वि० ) बहुग्राहक, जोरसे पकड़नेवाला । तुविष्वणम ( स० वि०) प्रभूतध्वनियुक्ता, जिससे बहुत सुविन (म० वि०) पूर्ण योव, बहुत प्रशंसनीय । शब्द निकलता हो। तविग्रिव (म' नि.) विस्तीर्ण कन्धर, जिसका कंधा तुविष्वणि (म० वि०) महाशब्दयुक्ता, जिससे खूब अावाज बहुत मजबूत हो। आतो हो। तुविजात (म.वि.)१ भोजखो, ताकतवर । २ जो तुविष्वन् (स' त्रि०) बह शब्दयुक्त, जिसमें बहुत शब्द हों। बहतोको रक्षाकं लिये उत्पन हुआ हो। जिससे बहुता- तुवीमद्य ( म० त्रि०) प्रभूत धनयुत्ता, बहुत धनी। को उत्पत्ति हो । यहाँ तुविजात इन्द्रका विशेषण है। तुवोरव ( स० वि०) बहु धब्दयुक्ता, जिममें बहुत आवाज तुविद्य न ( स.वि.) तुवि बहु धन धन यस्य। हो। प्रभूतधर्नन्द्र, जिसके पास बहुत धन हो। सुवीरवत् ( स० वि०) तुवो मत्वर्थोयो र सतो मतुप तुविजृम्न (स'• त्रि०) प्रभूत वलयुक्ता, जो बहुत ताकत मस्य व । बहु स्त्रोटयुक्त, जिनमें अनेक स्त्रोत्र हो। रखता हो। तुकोजम ( स० वि०.) तुवि प्रोजः यस्य । बहुबलयुक्ता, विप्रति ( स० वि० ) १ बहुप्रतिगन्ता, बहुतो से भेंट बहुत बलवान, जो खूध ताकत रखता हो। करनेवाला । २ बहुतोंसे मुकाबला करने वाला। तुशियार ( हि पु०) पश्चिम-हिमालयमें होनेवाला एक सुविबाध (स'• त्रि.) बहुपोड़क, बहुतोंको कष्ट पह. झाड़। पुरुनो इसके छिलकेसे रस्सियों बनाई जाती हैं। चानवाला। तुष (सं० पु. ) तुष क। १ धान्यत्वक, अबके अपरका तु विमान ( म. वि.) बहुस्तोत्र, जिसके पनक छिलका, भूमी। २ विभोतकवृक्ष, बहेड़े का पेड़ । स्तोत्रों। ३ के जपरका छिलका। तु विमध-तुवीमघ देगे। तुगग्रह (सं० पु० ) तुषेण यह यते ग्रह कम णि . पप । सुविमन्य, (सं० वि० ) प्रहमति, जिसका पक्का विचार अग्नि, पाग । सुषज (स० वि० ) तुषे जायते जन-ड। तुषजात पग्नि तु विस (सी .) तु छचो पूतौ वा पसि किच। प्रभृति, वह भाग जो भूसीसे निकली हो।