पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७१२

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पारकर तवारवर (.) हिमकर, ईमा। २ कार- गणवेतानको मस्या बारह है, किन्तु मन्वनीर मेंह, एक प्रकारका कपूर। के भेद इनके नाम बदला करते है। इनके नाम ये तवारवाल (सं. पु० ) तुषारख काल: ६-तत् । है-प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान, पच. श्रोत शीतकाल। रस, प्राण, स्वयं, बुद्धि और मन। (सारसुन्दरी) तषारकिरण ( पु.) रिमविरंग, चन्द्रमा।. ___ चाक्षुषमन्वन्तरमें सषित नामक बारह देवताोंने तुषारगिरि (म.पु.) हिमालय। पवस्वतमन्वन्तरक पाने पर मनुष्योंकी भलाई के लिये तुषारगीर ( वि.) तवारवत गौरः। १जो .हिमसा पदितिके गर्भ में जन्म लिया था, वैवखतमन्वन्तरमें ये उजला । (जी.)२ कपूर, कपूर। हादशादित्य के नामसे प्रसिद्ध हुए थे। (हरिव ३ अ०) तवारनविहार-प्रतापगढ़ जिलेके अन्तगत एक प्राचीन एनके नाम इस प्रकार है-तोष, प्रतोष, भद्र, शान्ति, शहर। पयोधा मध यह स्थान बहुत प्राचीन पौर, हम्पति, रथ, कवि, विभु, स्वाहा, सुदेव पोर रोचन । सुप्रसिदए। मुसलमानोंके शासनकाल में यह जिलेका कोई कोई तो इनकी संख्या ३६ भोर कोई १२ बसलात प्रधान यार पायो भो यह स्थान सूबा विहार नाम- है। किसीने इनको मप्रकार मोमांसा की है--एक एक से मगर गजके प्राचीन तलके अपर वह गा मन्वन्तरमे १२. महिसाब से सोम मन्वन्तरमें ३६ए। बसा है। नगर पश्चिमांश, अंचे महके स्तव, सो अभिप्रायसे "पनि शत् तुषिता मताः" ऐसा लिखा जिनर्मदे कहीं कहीं खोद कर प्रयतत्वविद कनिम गया है। २ विष्णु । ( भारत शान्ति ३८०) मागबने बड़ी बड़ी निकालो धों। उनके मतानु- ३ बौक्षमतानुसार एक स्वर्ग का नाम । सार चीन-परिव्राजकीय एमषाने जो पयोमुख वा ४ जनधर्मानुमार ब्रह्मवर्ग को दिशामोमें रहनेवाले ज्यमुख नामक स्थानका लेख किया वही यातुधारन सारस्वत आदित्य पादि पाठ प्रकार के लोकान्तिक • विचार हो सकता है। यहां पहले बोपमतका प्राधान्य देवो मेसे एक । ये तोय हरके तपकल्यागको पाते ओर था। अभी भो यहाक बुद्धपौर बुद्धिको मूर्ति प्रसिह उनके वैराग्यका अनुमोदन कर है। (तस्वार्थस्त्र ४।२५) .। ऐसा अनुमान किया जाता है कि पहले इस स्थान- तुषा न या तुषोत्य ( मं० लो• ) तुषात्तिष्ठति उद-खाक । तुषोदक, काजो। की तुवागराम-विहार करते थे, उसीके अपनपसे तुषा तुषोदक (सं.पु.) तुषस्य उदक, ६-तत्। १ तुषाम्बु, रन-विहार नाम पड़ा। यसका अष्टभुलाका मन्दिर ' छिलके समेत कूटे हुए जोको पानोमें सड़ा कर बनाई सोबत पुरकाजी। यह बग्नदोनिकारक, उदयग्राही, सोय, तपारपाषाण ( पु.) १ भोला। हिम, बरफ । उष्णवौर्य, पाचक, रक्तपित्तजनक एवं पाण्ड, कमि और तुवाग्मृति ( पु.) संधार मूर्तियो। हिमकर, " वस्तगत शलनाशक है। चन्द्रमा सौवीरक भो तुषोदकके समान गुगा-मम्पब है। तुषाररश्मि (म० पु० ) "तुषार मियं । हिमकर, कचे पथवां पर जौका.भूसी निकाल कर जो कांओ चन्द्रमा । बनाई जाती है, उसीको सोवीर कहते हैं। सोवोर और सुपाराष्ट्रि ( स० पु. ) तुषारस्य पद्रिः । सिमालय पर्वत । तुषोदकमें भेद यही है कि छिलके समेत जोको काजी स पहाड़ पर बहुत बरफ गिरता है, इसीसे रसका नाम का माम तुषोदक है और विना हिलकेको काजीका तुषारादिपड़ा है। . नाम सौषोर। सौवीर देखो। तवागमन (मक्ली.) नोहारका जल, कुहरेका पानी, तुष्ट ( स.वि.) तुष कतरिना मन्तोषयुत्व, हन। पोस। २ प्रसन, गजी, खुश । (पु.) ३ विष्णु । ये ही एक तुषित (स• पु०) तुष्यति त बाहुलकात कितच, तारका. मात्र पानन्दस्वरुप पौर भानन्दाय, सोसे तुष्ट शब्द दिलाब । १गर्दतामद, एक प्रकारचे काम से विण का बोध होता है।