पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

• सतरावर प्रतित होकर जगह जगा तूफान उत्पब बिन सा समुद्र काल पोरराष्टि चादि एमा कर देता है। फिर उण वाचुके सा होने पर गमन करती है, उन सब समुद्रों को पार यदि निरापद जाना काम प्रवास हारा पर्वत पर जानसे यदि वावांव पातो पाले वामानवी वारदजी उबतिको पोर योतप्रभावसे फिर बोतल, धनीभूत, और गुरु हो जाय सत्व करना पवख वर्तव्य । परोचा-बारा प्रमाणित तो अधिक भार कारप वा पर्वतपावर वेगसे पाकि पोलम या उसके निकटवर्ती सामने मोचेकी पोर बहती । सो प्रकार एक खानम १२ जब बम्बल पारदको पवनति होतो, तभी तूफान दिनतक एक ही दिया भीषण तूफान होता रहता। पाता है। बभी बना पारदको या पवनति २॥ ष तूफानको उत्पत्तिके सम्बन्ध पखितोंमें मतभेद तक हुषा करतो ।। तूफानी वीन्द्रसम्म पवनति प्रोफेसर टेलर (Taylor) साबका मत है, विखानीय सबसे अधिक होता है। बहुतोका साना, कि सभी तापके बारव जब किसी स्थानकी वाबु जपर जातो तब तूफान सम्वरूपसे पथवा एक पाने एक टेका मैपदण्ड • चारों पोरखे वायुप्रवाह इस स्थान पर दौड़ पाता। उसके के पास पोर पार लगाते हुए जात चोर उस पूर्वक । परस्पर प्रतिघातसे चौर एणोके पावतं नके लिए पूर्वबाबु बारव केन्द्रायसारिणो यक्षिके हारा केन्द्रले बाबुराम उत्पन होती है। फिर वितन पण्डित यह कहतविपरिधिको पोर. ममन करतो । कन्द्रसर पर पारदको परवर विपरोतमुखी दो वायुप्रयापक संघर्षपसे यह पवनति एवं प्रान्तमाम पर उबति होगवा यही कारण उत्पन होता है। मिलानकोड (Blanford) कहत । बहुतसे खोम रस पापत्ति दिखणापर करत कि विसो कारण . विसो स्थान पर वावु रानवाली कि तूफान-बार बार बार खगा करनहीं पाता। सभी जलराशि धूनीभूत हो कर मेघमें परिवर्तित हो जातो. समय रसकी कहाभिनुग्ण दौडमको प्राप्ति देखी जाती पोर वहाका वायुसागर प्रवनत हो जाता। सुतरी या भी वाकिब व कापसारिणी चारों दियापोंमें रहनेवालो वायु रस खानसे धावितको प्रतिसे या पवनति उत्पन होती, "तब उसका परि. कर तूफान उत्पन्न करतो है। शेषोत सिमान्त हो माग बहुत घट जाता । बोकि तफागका व्यास.. बहुत तछ ठोक प्रतीत होता है। अनेक प्रकारको परो- मौलर और प्रान्तमागर्म या प ७. मौसकी गये. सानों द्वारा पण्डित लोग इस सिमान्तको खोकार कर प्रवाहित होता है, तो भी इसको केन्द्रापसारिणी गति रहे है। जिस जिस स्थान पर वायुराधिको दाब शासका बास पारदको ३० से अधिक पवनत नहीं कर. होता है, चारों पोर रहनेवाला पधिक दावयुक्त खानले सकती। किन्तु सर्वत्र एक ष वा उससे भी अधिक उस पल्पदावयुक्त भूभाग पर वायुको गति एषा करतो पवनति होते देखी जाती है। : .. है। यदि चारों दियायों में रहनेवालो वायुराशिको दाब वो बातो तूफानके पास तथा समवासमै बाबु- घोड़ी थोड़ी वढतो जाय, तो वायुप्रवाह धीरे धोर ममन राशिको चापको असमता प्रदा वायुमानयल पारद. करता है, और यदि समीपहीमें, अधिक दाबयुत प्रदेश एक बार उस पर एक बार गोत्रा होता रहतास रहे, तो वायुराशि वेग दौड़तो।। कहीं भी इसका लिए यन्त्रल पारदका इस प्रकार सन्दन देख कर समः व्यतिजाम नहीं देखा जाता । किसो स्थान पर वायुका भना चाहिये कि तूफान अवश्यम्भावी ।।१८४.t 'रा Barometer पारदको पवनति देखने पर उस समय अकबर मासमें चोनसागरमें जिस तूफानसे गोमकुण्डा यदि पार्शवी देशों में सवति हुई हो तो समझना मामक युद्धनौका जसमें एजमी थी, उस तूफानी पार-

पापिये, किशोर की तूफान पनिवासा ।. नाविक' के पहले ही २४ घण्हे तक बाबुमानयन्वय पारद

लोग इसी उपायसे तूफान पादिका पाममन पाले में स्पन्दित पुपा था। किसी दूसरे जाने रस दुधनासे मान कर सावधान हो जाते र तथा पनिक दुर्घटनापीक बार पाया था, उसो समिषित तालिका पायी .शाब खान पाते। . .