पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७४३

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तेसीसवी तेवमी-मारवाड़के एक राजपूत कवि। इनकी सभी बाप या पावे पोर भवन देख परमाने राजा. कविताए सराहनीय होतो थीं। वो पाचय दिया। विमान अपने पर प्रभावले पनि तेजवार (सं.वि.) तेजः करोति बट। जोछरि से एक पा-पाया था। कारक, तेज बढ़ानेवाला। "विदूषणने परिवारका बारा राजाको सेवा-टास तेजस (सं.वि.) तेजसि साधु-यत्। १ तेजसाधन । कराई पोर सोनेको एक उमदा मान भी दिया । उनको (पु.)२ महादेव। शरीर रचाव लिये पाप रात भर बनता होने तेजस्व (म.पु.) महादेव, शिव । पर राजा छठ पर बा देखते कि विदूषक बोर्डको तेजस्वत् (म०वि०) तेजस् पस्स्वर्थे मत ममाय । तेजों- भली भांति सजा पर सामने खना। राजा घोई बुत तेजस्खो, तेजयुत। पर सवार हो अपने नगरको सोट पाए। राजाको देश तेजसतो (संसो . ) गुणवर्माको कन्या। कथासरित् कर रामोके पानन्दका पारावार मरा। रावाने m. सागरमें इसको कथा इस प्रकार लिखी है सताके उपवार सरूप विदूषकको एक सौ गावका उब्जयिनो में पाहित्यमेन नामक एक राजा थे। एक दिन प्राधिपत्य और राजपोरोहित्य अपंग किया। विपकने ससन्ध गङ्गाके किनार टाल रहे थे । उस प्रदेयके गुवः अपनी सारी सम्पत्ति मन्दिरके प्राणों को दोबार वर्मा नामक किसो धनी व्यक्षिके तेजस्लो नामकी एक दिन बाद माया लोग विदूषकको पनाकार पापसमें कन्या थो । गुणवर्माने पादिबसेनको उपयुक्त पर जान भागने लगे। इस बीच चार लामक एक बात अपनी लड़कोका विवाह उनके साथ कर दिया। राजा वा पाप और बोले, 'तम लोगोंमें एक भावकाका तेजस्वतो के रूप और गुण पर मोहित हो राजकार्य भो होना पावसकर पता तममसे जो पधिया सासी, भूल गये थे। कुछ दिन बाद एमके गर्म से एक कन्या | बहो इस गांवका नायक होगा।' तब सभीन मायक उत्पन्न हुई। राजा तेजस्यतोके रूपसे इतने मुग्ध हो गये होने को अपनी अपनी इच्छा प्रकाट को।सपर सार- थे कि एक दण भी उन्हें अलग नहीं रख सकते थे। एक ने उन लोगों से कहा देखी! याममें तोगपरशूलसे दिन राजाने उन्हें हाथी पर चढ़ा और पाप घोड़े पर | मरे पड़े , हममेसे जो उनको नाक बाद सापेमा, चढ़ गन -राज्य पर चढ़ाई करनेके लिये प्रस्थान किया। वही नायकके योग्य होगा। यह काम कर चोर समान रास्ते में महिषोको खुश करने के लिये गजान बहुत तेज- तो अपनी पनिका प्रगट को, मगर विदूषक पिच तयार में अपना घोड़ा छोड़ा। मुशर्त भरमै घोड़ा पांचोंको हो गये। पोहे विदूषकम अग्निदत्त की दो पार पोट हो गया। पनक अनुसन्धान करने पर भी जब रातको समानको पोर प्रणाम किया। वही राजा न मिले, तब अमात्यगण महिषोका गजधानो बहुत डर मानम पुपा पोर जब सोनों सदर पास वापिस लाये। उधर गजा दिमात हो विभ्याटवौके पहुंचे तो वे भूत पियाच बन कर उन मुधिप्रहार मयाजा पहुंचे। पाप बहुत थके थे, पतः घोड़े को अपने बरने लगे। तब विदूषकन भूतका वा दूर करने के लिये रानुसार चलने दिया । घोड़ा भी अपनी जातोय बुद्धि तसवारसे वार किया और सोनीको नाक काट पापड़े में के बलसे राजाको उब्जयिनोको पोर से चला। इसी बांध लो। पोहे सौटते समय वे क्या देखते . कि एक समय रात हो गई, मगरका दरवाजा बन्द हो गया। मनुष सबके अपर बैठ कर जप करता । विश्वक राजा भो घोड़े पर घूमतं घूमते थक हो गये । थानके, याकाण शिपके देखने लगे। बाल बाद पास- निकट शन्दस बाणोंका एक गांव वा, वहीं राजा | नख भव भूतके कर्म को कर कुमार करने लगा, पाल्मात् जा पहुं।गांवके बीच एक मन्दिर था। जब जिससे उसके सुमसे पनि पोर नामिव सरसों निकलने राजा मन्दिर में प्रवेश करने लगे, तब वहाँक लोगोंके साथ | लगौ । योगोने सरमों साली पोर वासकर उसे तमाचा इनका विवादा । इसी बीच में विषय नामक एक | मारा। बाद वह उठकरड़ा हो गया। योगी