पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७६९

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matोसियते। • दिखीके दक्षिण-पशिम दुबारवती का तोमरावतो, घाटमदेव ... १९५५ बामका पा जिला पाण भी एक तोमरबंधीय सरदार सते है। ओमपुर चोर पालियर के बीच तोमर राजा बोरमादेव गढ़ वा दुबारगढ़ नामका को एक जिला पौर. दुर्म, बारदेव, विजय और सजीवन , , १४० बाकि जमीदार.मोसो तोमरयम है। गरपतिदेव १४१ रितीय पालक बाद तीन तोमरराज दिसोमें झवि रामपर गये। उनले पन्तिम बतीय बनायास बोतिराय कोमोति. भारपायके समय में पौधान विधालदेव दिसी पर कालयावसाय वा कलापमा अधिकार जमावा । कानिहमके मतानुसार या घटना मानमि -१९५११में घटो। • विनामादित्य विद्यालयकी पुत्र सीमिरले तोय पनापालकी राजा पोरमितेवर विसामादिवताको कन्या विवाह किया था। इसीके गर्भ से विश्वात यथार्थ में ग्वालियरक गणाए । विकास समव १५५५ पृथ्वीराज वा राय पिथोराका जन्म पा हिम खोटोने म्यालियर पर पिशार किया। मातामा मोद लिये गये। पोवाराणश जमींदार के रूप गिर्न जाने सम । ग्वालियर मायः ले शताव्दतक एक तोमर ने गजापोंके बाद मारायके पवर्म और मोकन एवं रान्च किया था। सानिया या वर्तमान तोमरगढ़ी राजाधीक नाम, "मिली है, जैसे- . जमींदार अपनेको दियो बनायास बजार बतखाते ग्रामसहाय १५ सबंशको इतिहास लेखन कविकाराय तोमर शशिकान HAR पंकी पाणशोशव काकरवन पर गये। . शामराय राजपूत लोग भी इसे खोकार परते। संपामसाय बनिम साहबको १५ में arta मौ. सहाय कारोंसे एका वंधपत्रिका मिलो यो। पिलाणिपिन भी बाद मोमरगढ़को पत्रिका में दो पौर नाम- बालियर राज तोमर नृपतिक नाम पाये मो। विषयमा.. . . पारायके इतिहास के साथ मिला कर कनिमयामि . परिसित . ........... यरकी तोमरराजवंश तालिका रस प्रकार खिर की। समाट पलायन खिलजीके समय योरसि । नाम . .सन देव बालियर खाधोग राजा हुए। यसब ऐतिमा.. तेजपाल १०८१ सिकोका कहनाकिन्तु १९१५ १ में पनामोनको ११.. मत्यु हुई, सतरा वीरसिंख्या पदव और समायोन- साहगिर ११३० को मृत्य, इन दो घटनापोंमें प्रायः 10. वर्षका पानी स्तमाि . १९५१ पड़ता।सारायनका समय बरते समय १९७१ कहा है कि दिन में नसरत् सा प्रधान वोर .. फिर १२.. पल पलो कहते, कि सिकन्दर प्रधान बोर बोस्सहाय १२२५ थे। इन दोनोवा नाम से कर यदि विचार किया जाये, मदनपाल ११. तो ऐसा अनुमान होता है, कि वीरसिंह त मुरके भारस १३०५ श्रमामय बारीक पाये विभूत हुए। सो Voi. Ix. 190 .