पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७७

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उडेरी जननाई खटेरा (हि.पु.) जो भात पीट पीट कर बरसन उड़िया (छि पु.) प्रकारका नेचा जिसको निगाली बनाता है, बसेरा । २ ज्वार, बाजरका डंठल। बिलकुल खड़ी होती है। ठेरा-एक हिन्दजाति । ताँबे और पीतल के बरतन बनाना ठण्डा (हि.पु.) १रीढ़, पसलो। २ पतग में लगी हुई तथा बचना ही इन लोगों की अपजीविका है। कमेरा खड़ी कमाची। पौर ठठेग दोनों एक ही श्रेगोके अन्तर्गत हैं। मि. उदिया (हि.स्त्री.) काठको क'ची पोखली। नेमफिल्डका कहना है, कि कमेरा तांब, टोन और जस्ते ठण्डीराम-हिन्दोके एक पच्छ कवि। इनकी कविता पादिको गला कर तरह तरहके बरतन बनाते हैं और बड़ो हो मरम और भतिपूर्ण होतो थी। उदाहरणार्थ ठठेरा उन्हीं सब बरतनों में पोप चढ़ाते तथा बेल दूटे उखा- एक नीचे दी जाती है- इते हैं। किन्तु बहुतोका मत है, कि ठठेरे लोग केवल सत्गुरु बारे जग जंजाल कृपा कर कर किए निहाल । असभ्य जातिके उपयुक टीन. रांगे आदि के गहना बनाने कंठी बांध कियो जिन सेवक नाम सुनायो श्रीगोपाल ॥ है। मिरजापुर के ठठेरा कहते हैं, कि उन लोगोंका ओंकारको तिलक बताओ नाम जपनकों तुलसीमाल । श्रादिम वास बङ्गालमें था। लगभग तीन चार पुरुष पूजाकी सब रीति बनाई एसे करिया करो त्रिकाल। हए कि वे लोग शाहाबाद जिले के नमोरगञ्जमें पा कर तिभिर दूर कर ज्ञान दिखाओ घटमें दीपक दीनो बाल । बम गये हैं। लखनऊकै ठठेरै अपनको क्षत्रिय-वंशेड्य महानभावके पद बतलाए समय समयके सुन्दर ख्याल ॥ बसलात। उन लोगोंका कहना है, कि परशरामने सप्त सुरन और तीन ग्राम भलो राग रागिनी भो सुलतान । जब जगत् को क्षत्रियरहित कर डाला था, तभी उनमेसे ऐसे ठंडीराम गुरुस्वामी विष्णुदासकी करी प्रतिपाल ॥' एक गर्भवती क्षत्रियाणोने कामगडलु ऋषिके यहां प्रावय ठन (हि.स्त्री.) व शब्द जो किसी धातु पर पाघात लिया था। उसके गर्भ से जो सन्तान उत्पन्न हुई, वह पड़नेसे होता है। ठठेरा कहलाने लगी। वे लोग अपना आदिम वास उनक (हिं. स्त्री.) १ मृदङ्ग इत्यादिका शब्द । २ ठहर दक्षिणप्रदेशके रतनगढ़में बतलाते हैं। बनारसके ठठेरे ठहर कर होनेवाला दर्द, चसक, टीस। यज्ञोपवीत पहनते और क्षत्रिय तथा वैश्य के बाद अपना ठनकना (हि• क्रि० ) १ ठन ठन शब्द करना। २ ठार ही स्थान समझते हैं। ठहर कर पीड़ा होना। इन लोगोंका विवाह सनातन धर्मावलम्बियोंमा होता ठनका (हि पु०) १ धातु खण्ड प्रादि पर पाघात पड़ने है। विधवा-विवाहकी प्रथा भी जारी है। महावीर, पांच का शब्द । २ पाघात, ठोकर । १ ठहर ठहर कर होने पौर, भगवतो तथा कालो इन लोगों का उपास्य देवी है। वाली पीडा। ये लोग ब्राह्मण, राजपून और हलवाईके यहां केवल उनकाना (हि' क्रि०) बजाना, शब्द निकालमा । पको रसोई खाते हैं और कच्चो उसी हालसमें खा मकते उनकार (हिं पु०) धातुखण्ड के बजानिका शब्द। यदि उसोको जातिमेसे किसने बनाई हो। मुजफ्फर- ठनगन (हिं० पु०) वह इठ जो पुरस्कार पानवाले विवाह नगर, फरुखाबाद, शाहजहानपुर, इलाहाबाद, झांसी, आदि मङ्गल पवसरो पर करते है। बनारस, मिरजापुर, बस्ती, पाजमगढ़, गोण्डा, प्रतापगढ़ ठमठन ( हि क्रि० ) धातुखण्डके बजानेका शब्द । पादि देशों में ये अधिक संख्या में पाये जाते हैं। ठमठनगोपाल ( पु.) १ वा वख जिसके भीतर उठेरो (हि.सी०) १ ठठेराकी स्त्री। २ ठठेरेका काम, कुछ भी न हो, नि:सार वस्तु । २ निर्धन मनुष्य, गरीब . बरतन बनानका काम। पादमी। उठोल (हि.पु.) १ विनोदप्रिय, दिशगीबाज । २ उप. उनठनाना (हिं कि०) बजाना, पावाज निकालना। कास, हंसी। ठनमा (हिं• क्रि०) १ पनुष्ठित होना, समारम्भ होना, उठोली (हि.स.) उपहास, ईसी, दिखगी। छिड़ना। २ निचित होना, खिर होमा, पका होना। Vol. IX. 19