पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/८९

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काग। बड़ी मिय। ४ प्या; जिससे पौंट शापी गहराईका ग म जी देत जोते नाम जाती है. सांचा। छूटा एषा कोना। उड़हो (हि.सी.) मछलीका एक भेद । डबरी ( सी.) शेटा महा। . उढ़ा-रा ( वि.) १ जिसके डाढ़े हो. दातवाला । डबल ( वि.) १ दोबार। दोरा (पु.) जी २ जिसके डाढ़ी हो। पैसा। . उढ़ियल (हि. वि.) डाढ़ीवाला, जिमके डाढ़ी बड़ी हो । उबलरोटी ( सी.) पावरोटी। डण्डमा (स.पु.) मला विशेष, एक मछली। उबलविक ( वि.) दोहरी बत्ती। उपट ( सी.) १ डांट, झिड़को। २ तेज, दौड, उबला (हि.पु.) कुल्हा, मीका पुरवा। सरपट चाल। उबोमा (हि.क्रि.)१ मन परमा, बोरना हुवामा। उपटना (हि.क्रि.) १ कठोर स्वरसे बोलना, डॉटना। २ मष्ट करना, बिगाड़ना। २ तेज दौडना। उम्बा (हि. पु० ) १ कोई गेस या भुरभुरी चीजें रखी डपोरम'ख (हि.पु.) १ व्यर्थ की अपनी बड़ाई करने जामका ठसानदार छोटा गहरा बरतन। २ रेलगाड़ोकी वाखा, डौंग हॉलनेवाला। २ वह जो देखनमें युवक एक कोठरी। हो पर उसकी बुद्धि बच्चाकोसी जान पड़े। उम्बू (जि. पु०) कटोरेके पाकारका एक बरतमा समें उप्पू (हि. वि.) बहुत मोटा, बहुत बड़ा। डाडोलमो राहतो और भोज इत्यादिम या कोई डफ (हि.पु.) एक प्रकारका बड़ा बाजा। इस पर चोज परोसने के कामम पाता है। चमड़ामढ़ा होता है और लकड़ीसे बजाया जाता है, उनका (हि. पु० ) वह पानो नो कुएं से तुरन्त निकाला डफला। २ लावनी बाजीका बाजा; चङ्ग। गया हो। उफर (हि.पु. जहाजका एक सरफका पाल। उभकोरी ( स्त्री.) उदरको पीठोको बरी। या उफला (हि. पु०) १ डफ नामका बाजा . २ आतिभेद। बिना तले हुए कड़ी में डाल दी जाती है। __' हाफला देखो। उम (म.पु.) नीचयोनित्वात् भौति माति-मा-का। डफली (हि.स्त्री०) छोटा डफ, खंजरो। वर्ण सहर जातिविशेष। अवैवर्त पुराणके मतो रस डफालची हि पु. ) डफाली देगे। जातिको उत्पत्ति लेट पोर चाखालीसे हुई। डफाली (पि. पु.) बह जो डफला बजाता हो । मुसल- गेम देखा। मानोंको एक जाति डफला बजाती तथा चमड़े से मढ़ डमर (सं.की.)म.भावे पच मरं पालन न वामन हुए बाजोंकी मरम्मत करती है। मर पलायन' ३-सत् । १ भयसे. पलायन, भगड । डब (हि.पु.) १ला, जब। २ वह चमड़ा जिससे इसके पर्याय-अगालिका, विद्रव और डिम्बा (पु.) कुप्पा बनाया जाता है। " डेन भयेन मरो मतिरिव यन, बहुव्री०। २परचक्रादि डबकमा (हिं बि०) १ किसी धातकी पदरको कटोरोके भय। एषन कला, उपद्रव, हसास। सके पर्याय प्राकारका गहरा बनाना । २ पीड़ा देना, टीस मारना। विक, डिम्ब, विम्ब पोर डामर । गड़ाना। डमरी (#पु० ) उमर-मिनि। छोटा उफ, खजरी। उबकोंहाँ (हि.वि.) पासून छाया हुषा, उबडबाया डमरू (सं• पु. ) उमित्यव्यायब्द' ऋति उमा-कु। मृगय्वादयश्च । अण् ॥३०॥ इति सूत्रेण निपातनात् साधुः। बडबामा (ह. कि.) प.पूर्ण होना, पावसे पाँसू वाचविशेष, एक बाजा। इसका पाकार बीच में भर पाना। पतला और दोनी सिरींची पोर बराबर चौड़ा होता अपरा ( पु.) १ पानी बनी निकालना और कम जाता है। इसके दोनी सिरीपरपमड़ा बढ़ाता है। Vol. IX.22