पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/११३

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१०७ फुहारा-फूंका दूसरे मुख हो कर बाहर गिर पड़ता है और प्रथम मुखकी आदि शहरों में सरकको बगल में ऐसे अनेक फु हारे देखने ऊँचाईके साथ अपर मुखके जलके ऊपरी तलकी ऊँचाई : में आते हैं। श्रीवृन्दावन, दिल्ली आदि नगरों में भी समान पड़ती है। इस प्रणालीके आधार पर फुहारा सहज- बहुत पुराने समयके बने हुए फु हारे दृष्टिगोचर होते हैं। में प्रस्तुत हो जाता है। कृत्रिम उपायसे नाना प्रकारके फ हारे बनाये जाते हैं। ___ उद्यानमें साधारणतः इसी उपायसे कृत्रिम फहारे प्रस्रवणका जो ऊपर उल्लेख किया गया है, बहुत बनाये जाते हैं । अट्टालिकाकी छत पर एक टैंक ( जल प्राचीनकालसे उसे पवित्र मानते आ रहे हैं। सीता . रखनेका लोहेका चहबच्चा ) रख कर उसमें जल भर दिया कुण्ड आदि तीर्थोंमें आज भी पूजा देनेको विधि है । जाता है। पीछे उस टैंकसे पक नल (जलकी कलका यूरोपमें भी पहले प्रस्रवणके सामने वलि और पूजा होती पाइप ) लगा कर नीचेकी ओर मट्टीमें उसे फैला देते है। · थी। होरेसने 'फन्सब्लान्दुसी' नामक रोमनगरीके एक उस संयोगस्थल पर जो एक टैप (चावी ) रहता है, उसे फ हारेकी पवित्रताका उल्लेख किया है। प्रोकराजधानियों घुमानेसे जल नलमुख हो कर बहने लगता है और जरू- में (विशेषतः करिन्थमें) हाकुलेनियम और पम्पिके ध्वंसा- रत पड़ने पर उसे वन्द भी कर सकते हैं। अब उस : वशेषके मध्य वह निदर्शन पाया जाता है । रोम, ट्रफी, नलको बराबर ला कर यथास्थान पर निर्मित एक उत्कृष्ट पालिन, सानपिद्रो, पारी, भार्सल और सेल्टक्लभ नगर चहबच्चे के मध्यस्थ मनोहर दृश्य स्तम्भ वा पुत्तलोमें : तथा इङ्गलैण्डके स्फटिक-प्रासादका अति अद्भुत शिल्प- प्रवेश करावे । अब ऊपरवाला टैप खोल देनेसे फुहारेके मय भास्करकीर्तिसंयुक्त फुहारे जगत्में अतुलनीय हैं। मुखसे जल निकलने लगेगा। २ जलका महीन छोंटा । स्वभावसिद्ध गुणसे जल नलके मुखसे निकल कर फ हो ( हि स्त्री० ) १ सूक्ष्म जलकण, पानीका महीन उपरिस्थित टैंकके जलतलके साथ समतारक्षणमें क्रिया- छींटा। २ महीन महीन बू'दों को झड़ी। शील देखा जाता है। इसी कारण स्वभावतः ही फुहारे- क ( हि स्त्री० ) १ वह हवा जो ओठोंको चारों ओरसे का जल संकीर्ण मुखसे बड़ी तेजी और वेगके माथ दवा कर झोंकसे निकाली जाय । २ मन्त्र पढ़ कर मुंहसे निकलता है। किन्तु नलका मुख अपेक्षाकृत मोटा होनेसे छोड़ी हुई वायु जो उस ममुण्यकी ओर छोड़ी जाती है जलका वेग कम होते देखा जाता है। चाप भी (IPressure) जिस पर मन्त्रका प्रभाव डालना होता है। ३ साँस, जलकी उन्मुखगतिका अन्यतम कारण है। उपस्थित मुहकी हवा। जलकी चापसे नीचेका जल अधिक चापयुक्त हो वेगवान् फूकना ( हिं० क्रि० ) १ ओठोंको चारों ओरसे दबा कर गतिको प्राप्त होता है। इस चापके प्रभावसे नोचेका : झोंकसे हवा छोड़ना। २ प्रकाशित कर देना, चारों जल भी ऊपर उठता है। पम्प ( Pump') नामक यन्त्र-- ओर फैला देना। ३ दुःख देना, सताना । ४ नए करना, की प्रक्रियाके बलसे जल चापयुक्त हो नलके मुखसे व्यर्थ ध्यय कर देना। ५ शंख, बांसुरी आदि मुंहसे बाहर निकलता है। चापके वलसे जल स्वभावतः ही बजाए जानेवाले बाजोंको फूक कर बजाना। ६ मन्त्र ३० फुट ऊपर उठता है। इस कारण ऊपरमें जल आदि पढ़ कर किसी पर झूक मारना । ७ फूक कर नहीं रखनेसे भी चाप द्वारा फुहारेका कार्य सम्पन्न हो । प्रज्वलित करना। ८ भस्म करना, जलाना । धातुओं को रसायनको रोतिसे जड़ी बूटियोंकी सहायतासे भस्म ___माज कल बहुतसे शौकीन मनुष्य घरको सजानेके करना। लिये अपने घरमें फुहारा बनाते हैं। जलनिर्गमके लिये फूका (हि. पु० ) १ भाथी वा नलीसे आग पर फूक नूतन नूतन मुख भी आविष्कृत हुआ है। बहुतसे लोगों- मारना, फूक मारनेकी क्रिया । २ फोड़ा फफोला। ने धर्म कमानेकी कामनासे राहमें, घाटमें इस प्रकारके : ३ बांस आदिकी नली जिससे फूका मारा जाता है। भनेक फ हारे बना दिये हैं। कलकत्ता, लीवरपुर, लण्डन ४ बाँसको नलीमें जलन पैदा करनेवाली भोषधियां