पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/११४

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१०८ भर कर और उन्हें स्तनमें लगा कर फूकना। ऐसा । फूफी (हिं० स्त्री० ) वापकी बहन, बूआ । करनेने गायें स्तनमें दूध चुरा नहीं सकती, सारा दूध फूष ( हिं० स्त्री० ) १ फूफी देखो। बाहर निकाल देती हैं। फूल ( हिं० पु० ) गर्भाधानवाले पौधोंमें वह फूद (हि. स्त्री०) फुलरो, झब्बा। प्रन्थि जिसमें फल उत्पन्न करनेको शक्ति फई ( हि स्त्री० ) १ घीका फूल या बुलबुलोंका समूह : होती है, पुरुष, व सुम। बड़े फूलोंके पांच भाग जो तपाते समय ऊपर आ जाता है। २ फफूदी, भुकड़ी। होते हैं....कटोरी, हरापुट, दल (पखड़ी ), गर्भकेशर फूट (हिं० स्त्री० ) फूने की क्रिया या भाव ।२ वैर,। और परागकेशर । नालके जिस चौड़े छोर पर अनबन। ३ एक प्रकारकी बड़ी ककड़ी जो खेतमें होती : फूलका सारा ढांचा रहता है उसे कटोरी कहते हैं। है और पकने पर फट जाती है। उस कटोरीके चारों ओर जो हरी पत्तियां सी होती हैं फूटन ( हि' स्त्री० ) १ वह टुकड़ा जो फूट कर अलग हो उनके पुटके भीतर कलोकी दशा में फूल बंद रहता है। गया हो । २ शरीरके जोड़में होनेवाली पीड़ा। ये आवरण पत्र एकसे नहीं होते, भिन्न भिन्न पौधोंमें भिन्न फूटना ( हि क्रि०) १ भग्न होना, खरो वस्तुओंका खंड भिन्न आकार प्रकारके होते हैं । घुडीके आकारका जो खंड होना । २ पक्ष छोड़ना, दूसरे पक्षमें हो जाना।३ मध्यभाग होता है उसके चारों ओर रंग बिरंगके शामाके रूपमें अलग हो कर किसी सीधमें जाना। ४ दल निकले होते हैं । वे सब दल पखड़ी कहलाते हैं। सङ्ग या समूहसे अलग होना, साथ छोड़ना ।५ विद्ध फूलोंकी शोभा इन्हों रंगीलो पखड़ियोंके कारण होती है। कर निकलना, भीतरसे झोंकके साथ बाहर आना।६ परन्तु फूलमें प्रधान वस्तु बीचको घुडी हो है जिस पर व्यक्त होना, प्रकाशित होना। ७ बोलना, मुहसे शब्द , परागकेशर और गर्भकेशर होता है। परागकेशरके निकलना । ८ ऐसी वस्तुका फटना जिसके ऊपर छिलका सिरे पर एक छोटी टिकिया सी होती है इसी टिकियामें हो और भीतर या तो पीला हो अथवा मुलायम या पतली पराग या धल रहती है। यह परागकेशर ५ जननेन्द्रिय चीज भरो हो। नष्ट होना, बिगड़ना । १० शरीर पर है। गर्भकेशर ठीक मध्यमें होते हैं । उनका निचला भाग दाने या घावके रूपमें प्रकट होना । ११ अवयव, जोड़ या या आधार कोशके आकारका होता है जिसके अन्दर गर्भाण्ड वृद्धिके रूपमें प्रकट होना, अंकुर, शाखा आदिका बन्द रहते हैं और उपरका छोर कुछ चौड़ा-सा होता निकलना। १२ अंकुरित होना, फट कर अंखुवा निक है। जब परागकेशरका पराग झड़ कर गर्भकेशरके इस लना। १३ व्याप्त होना, फैलना। १४ सयुक्त न रहना, मुंह पर पड़ता है तब भीतर ही भीतर वह गर्भकोशमें मिलापकी दशामें न रहना । १५ प्रस्फुटित होना, कलीका जाकर गर्भाण्डको गर्भित करता है जिससे धीरे धीरे वह खिलना। १६ शब्दका मुंहसे निकलना । १७ जोड़ोंमें बीजके रूपमें होता जाता है और फलकी उत्पत्ति होती दर्द होना । १८ पानी या और किसी पतली चीजका रस है। पुष्प देखो। कर इस पारसे उस पार निकल जाना । १६ गुह्य वातका २ श्वेत कुष्ट, सफेद दाग । ३ वह मद्य जो पहली बारका प्रकट होना, किसी भेदका खुल जाना । २० पानीका इतना उतारा हो, कड़ी देशी शराब । ४ स्त्रियोंका वह रक्त जो खौल जाना, कि उममें छोटे छोटे बुलबुलोंके समूह मासिक धर्ममें निकलता है । पुष्प देखो । ५ पीतल आदि- दिखाई देने लगे, पानीका खदखदाने लगा। २१ रोक या की गोल गांठ या घुडी जिसे शोभाके लिये छड़ी, किबाड़. परदेका दबावके कारण हट जाना। के जोड़ आदि पर जड़ते हैं, फुलिया। ६ फुलके फूटा (हिं वि० ) १ भग्न, फूटा हुआ । २ जोड़ोंका आकारके बेल बूटे या नक्काशी । ७ स्त्रियोंके पहननेका दर्द । फूलके आकारका गहना । ८ चिरागकी जलती बत्ती पर फूत्कार (सं० पु०) मुहसे हवा छोड़नेका शब्द ,फुफकार। पड़े हुए गोल दमकते दाने जो उभरे हुए मालूम होते हैं, फूफा ( हिं० पु० ) वापका बहनोई, फूफीका पति। : गुल । ६ आगको चिनगारी। १० आटे चीनी आदि का