बंजारा-बंदर
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बजारा (हिं० पु० ) वनारा देखो।
बंद (फा० पु.) १ कोई वस्तु बांधनेका पदार्थ। २
बंजुल । हिं० पु० ) वजुल देखो।
पानी रोकनेका धुस्स, पुश्त, मेड़। ३ शरीरके गोहा
बझा (हिं० वि०) १ जिसके संतान न हो, वाँझ । (स्त्री०) कोई जोड़। ४ बन्धन, कैद । ५ पांच या छः चरण ।
२ वह स्त्री जिसमें सन्तान उत्पन्न करनेकी ताकत उर्दू कविताका टुकड़ा या पद । ६ अंगरखे, चोली आदि
न हो।
के पल्ले बांधनेका पतला सिला हुआ कपड़े का फni
बटना (हिं० क्रि०) १ विभाग होना, अलग अलग हिस्सा, ७ कागजका लम्या और बहुत कम चौड़ाग।
होना। २ कई प्राणियोंके बीच सबको प्रदान किया ! (वि०) ८ जो चारों ओरले घिरा हो, . . .
जाना। (पु.) २ षटना देखो।
ओरसे खुला न हो। जिला : या आगे:: ... .
बटवाई (हिं स्त्री० ) १ बांटनेकी मजदूरी। २ पिस- खुला न हो। १० जिसके मुह अपघा मा .
वानेका मेहनताना।
वाजा, ढकन या ताटा आदि लगा . .
बँटवाना (हि क्रि०) १ वितरण कराना, सबको अलग प्रकार घिरा हो, कि उनके अंदर कई जान
अलग करके दिलवाना । २ पिसवाना ।
। जो खुला न हो । १३ जो ऐसी स्थिति है ...
बटा ( हिं० पु०) १ गोल या चौकोर कुछ छोटा डब्वा। वस्तु अंदरसे बाहर न जा सके और नाम:
(वि० )२ छोटे आकारवाला, छोटे कदका।
अंदर हो आ सके। १४ जो किसी तरह की कैमें
बटाई (हिं० स्त्री० ) १ वितरण करना, बाँटनेका काम। १५ जिसका प्रचार, प्रकाशन या कार्य आदि रुक गमा
२ बाँटनेकी मजदूरी। ३ बाँटनेका भाव। ४ दुसरेको हो, जो जारी न हो। १६ जिस 1 2 भ्यागत या ।
खेत देनेका एक प्रकार । इसमें खेत जोतनेवालेसे मालिक हुआ हो . १७ जो गति या व्यापारयुक्त. न , * .
को लगानके रूपमें धन नहीं मिलता बल्कि उपजका कुछ हुआ।
अंश मिलता है।
बदगी (फा० स्त्री० ) १ भक्तिपूर्वक ईश्वरया बना ।।
बंटाना (हिं० कि० ) १ अंश ले लेना, भाग करा लेना। ईश्वराराधन। २ सेवा, खिदमत। ३ प्रणाम, २६. ..
२ किसी काममें हिस्सेदार होनेके लिये या दसरेका वोझ आदाब ।
हलका करनेके लिये शामिल करना।
बंदगोभी ( हि स्त्रो० १ करमकल्ला, पातगोभी।
बंटी। हि स्त्री०) हिरन आदि पशुओंको फंसानेका, रोचन, रोली। ३ इङ्गा, सिन्दुर ।
जाल या फंदा।
बंदन ( हि पु०) बदन देखो।
बैटैया ( हि पुः ) हिस्सा लेनेवाला. बटानेवाला। बंदनता ( हि स्त्री० ) आदर या बन्दना किया ।
बंडल ( ० पु०) कागज या कपड़े आदिमें बंधी हुई योग्यता।
छोटी गठरी, पुलिंदा।
वंदनवार (हि पु० ) वन्दनमाला, फूल, पत्न. व याद
बंडा (हि.पु०)१एक प्रकारका कच्चू । यह गोल की बनी हुई वह माला जो मंगल कार्यों के समय
गांठदार और लंबी होती है। २ अनाज रखनेका छोटी आदि पर लटकाई जाती है।
दीवारसे घिरा हुआ स्थान, बड़ी बखारी।
बंदना ( हि खी० ) वन्दना देखो।
बंडी (हि स्त्री०) १ बिना अस्तीनकी मिरजई, फतुही। बंदनी (हि. स्त्री०) स्त्रियोंका एक भूषण । इसे वे आगेको
२ बगलबंदी नामक पहननेका वस्त्र।
ओर सिर पर पहनती हैं।
बंडेरा (हि.पु. ) बडेरी देखो।
वंदनीमाला (हि. स्त्री०) यह लबी माला जो गलेसे पैरों
डेरी (हिं० स्त्री० ) वह लकड़ी जो खपरैलकी छाजनमें तक लटकती हो।
मंगरे पर लगती है। यह दो पलिया छाजनमें बीचो-बदर (हिं० पु०) एक प्रसिद्ध स्तनपायी चौपाया। विशेष
बीब लम्बाईमें लगाई जाती है।
विवरण वानर शब्दमें देखो।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१३७
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