पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१३९

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बधाना-बक सम्बन्धकी नियत परिपाटी। २ तालका सम । ३ पानी बसरी (हिं स्त्री० ) बसी देखो। रोकनेका धुस्स, बांध। ४ वह पदार्थ या धन जो इस बसलोचन ( हिं० पु० ) वांसका सार भाग जो उसके परिपाटीके अनुसार दिया या लिया जाय। । जल जानेके बाद सफेद रंगके छोटे छोटे टुकड़ोंके रूपमें बंधाना ( हि क्रि०) १ बांधनेका काम दूसरेसे कराना। पाया जाता है । वशलोचन देखो। २धारण कराना। ३कैद कराना। बंसार ( हि पु० ) बगसाल, भंडार। बधाल · हि पु०) नाव या जहाजमें वह स्थान जिसमें बसी ( हिं॰ स्त्री० ) १ एक प्रकारका वाजा जो बांसकी रस कर वा छेदों से आया हुआ पानी जमा होता है . नल का बना होता है। वंशी देखो । २ मछली और जो पोछे उलोच कर बाहर फेक दिया जाता है, फंसानेका एक औजार। इसमें एक लम्बी पतली गमतखाना। छड़ीके एक सिरे पर डोरी वधी होती है और बधिका ( हि स्त्री० ) वह डोरी जिससे तानेकी मांथी दूसरे सिरे पर अंकुशके आकारकी लोहेकी एक कटिया बाँधी जाती है। बधी रहती है। इसी कंटियामें चाग लपेट कर डोरीको बंधित (हिं पु०) ब ध्या, बांझ । जलमें फेकते हैं और छड़ीको शिकारी पकडे रहता है। बंधी (हिं. पु० ) वह जो बंधा हुआ हो, वह जिसमें . जब मछलो वह चारा खाने लगती है, तब वह कंटिया किसी प्रकारका बंधन हो। उसके गलेमें फस जाती है और वह खींच कर निकाली बंधुआ ( हिं० पु० ) कैदी, बदो। जाती है। २ मागधो मानमें ३० परमाणुकी तौल । ३ बधुवा (हि.पु.)धुआ देखो। बिष्णु, कृष्ण और रामजीके चरणोंका रेखाचित । ४ धान- बंधेज ( हि पु० ) १ नियत समय पर और नियत रूपसे के खेतोंमें होनेवाली एक प्रकारकी घास । इमको बाँसी मिलने या दिया जानेवाला पदार्थ या द्रष्य । २ प्रतिबन्ध, : भी कहते हैं। इसकी पत्तियाँ बांसको पत्तियोंके आकारकी रुकावट। ३ वीर्यको जल्दी स्खलित न होने देनेको होती हैं । इससे धानको भारी नुकसान होता है । ( पु०) क्रिया, बाजीकरण । ४ नियत समय पर या नियत रूपसे ५ एक प्रकारका गेहूं।। कुछ देनेकी क्रिया या भाव। ५ किसी वस्तुको रोकने बंसीधर ( हि पु० ) वशीधर, श्रीकृष्ण । या बांधनेको क्रिया या युक्ति। बहगी (हि.स्त्री०) भार ढोनेका एक उपकरण। यह बपुलिस (हि. स्त्री० ) मलत्यागके लिये म्युनिसपैलिटी : बाँसका बना होता है। इसके दोनों सिरों पर रस्सियोंके आदिका बनवाया हुआ वह स्थान जहां सर्वसाधा बड़े बड़े छींके लटका दिये जाते हैं। इन्हीं छीकोंमें रण बिना रोक-टोक जा सके। बोझ रख देते हैं और लकड़ीको बीचमेंसे कंधे पर रख बब ( हि स्त्री० ) १ ब ब शब्द, ब, ब, शिव शिव, हर कर ले चलते हैं। हर, इत्यादि शब्दोंकी ऊँची ध्वनि जो शैव लोग भक्तिकी बहिमन् ( स० पु० ) अयमेपामनिणयेन बहुलः बहुल इमन् उमगमें आ कर किया करते हैं । २ युद्धारम्भके वीरोंका (बहुल शब्दसत्र वहादेशः पा ६४९५७ ) अतिशय बहुल, उत्साहवद्ध क माद, रणनाद, हल्ला । ३ दुन्दुभी, नगारा। बहुत ज्यादा। बंबा (हिपु० ) १ जल-कल, पानीको कल । २ स्रोत, : बहिष्ठ ( स० वि० ) अतिशयेन वहुः बहु-इष्ट, प्रियस्थि सोत । ३ पानी बहानेकी नल। ! रेत्यादि इष्ट प्रत्ययः। अत्यधिक, बहुत ज्यादा। बंबाना (हि. कि. ) गौ आदि पशुओंका बाँ बाँ शब्द वहिष्ठ-कीर्तिर्य शसा वरिष्ठ” ( भट्टि २।४५) करना, रंभाना। बहीयस् (स' त्रि०) बहु-ईयसु, ततो बहोदेशः। अतिशय बंबू (हिं पु०) चंडू पीनेको बाँसकी छोटी पतली नलो। बहुल । बस ( हि पु०) वश देखो। बक ( पु०) बकते कुटिलोभवति बकि अच् पृषोदराठि बसकार (हिं पु०) वाँसुरी।

त्वात् न लोपः । १ स्वनामख्यात पक्षिविशेष, बगुला ।

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