पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१४७

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पक्स-बखरा हैं। यहा मातण्ड पीखर वा सूर्यकुण्ड नामकी एक हैं। यहांका कार्तिकी पूर्णिमा और माघी अमावस्या पुष्करिणी है। कोई कोई इस पुष्करिणीको वुद्धकुण्ड का मेला ही प्रधान है । १८५७ ई०में कानपुर हत्याकाण्ड कहते हैं। प्रतिवर्ष सूर्यकुण्डके किनारे एक मेला लगता के समय इस स्थान पर अगरेजोंकी दृष्टि पड़ी। मेजर है। इस समय दूर दूर स्थानोंके यात्री यहां स्नान करने . डिः लाफोसे आदि कई पलातक अग्रेज सेनापतिने आ आते हैं। इसका प्राचीन नाम अजमपुर है। कर यहांके राजा दिग्विजयसिंहका आश्रय लिया था। महाभारतमें यह स्थान वेत्रकोयगृ: नामसे उल्लिखित बक सरखाल - -शोण और गङ्गकी संयोजक एक खाल हुआ है । प्रवाद है, कि महावीर भोमने यहां बक नामक बक मरके निकट मिलनेके कारण इसका यह नाम पड़ा असुरको मारा था। है। कृषिकार्य तथा बाणिज्यको उन्नतिके लिये गवर्मेण्ट- बक्स ( हिं० पु. ) वकस देखो। से यह नहर काटी गई है। बक्सर-..१ बङ्गालके शाहाबाद जिलेका एक उपविभाग। बकमा १ जलपाईगुड़ी जिले के अन्तर्गत एक उपविभाग। यह अक्षा० १५१६ से २४ ४३ उ० तथा देशा० ८३७६से अलीपुर इसका मदर है। ८४२२ पू० के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ३६६ वर्ग- २ उक्त जिलेका अगरेजी सेना-निवास । यह अक्षा. मील और जनसंख्या ४ लाखसे ऊपर है। यहां बक्सर २६.४६ उ० तथा देशा० ८६३६ पू० मध्य कोच और दुमरीन नामके २ शहर और ६३७ ग्राम लगते हैं। बिहार नगरसे १६ कोसके फासले पर अवस्थित है। २ उक्त जिलेका एक शहर । यह अक्षा० २५३४ और जनसंख्या प्रायः ५८१ है। यहां आने जानेके लिये एक दशा० ८३५८ पू० गङ्गाके किनारे अबस्थित है। जन- विस्तृत पथ भी है । १८६४-६५ ६०के भूटान-युद्ध के संख्या प्रायः १३६४५ है। यहां इष्ट इण्डिया रेलपथका समय यहां सेनाकी छावनी स्थापित हुई। दुआ प्रदेश एक स्टेशन है। चीनी, रूई, सूती कपड़ा और लवण यहां जीतनेके बाद पर्वतकी उपत्यकाभूमि पर एक दुर्ग बनाया का प्रधान व्यवसाय है। १७६४ ई०में मुर्शिदाबादके गया है। अन्तिम नवाब मीरकासिम सर हेकर मनरोसे इसी बक्सोखाल हुगली जिले के अन्तगत रूपनागपण नदी स्थान पर परास्त हुए थे। यहां गौरीशङ्करका मन्दिर की एक शाखा। यह दामोदर और रूपनारायण नदीके और बक्सर नामकी एक पुष्करिणी है। कोई कोई मध्यभागमें बहती है। उस पुष्करिणीको 'व्याघ्रमर' कहते हैं। शायद इसीसे बखत ( हि पु० ) १ वक्त देग्यो । २ वमत देखो। बक्सर नाम पड़ा है। सिवाय इसके यहां रामेश्वर, विश्वा- · बखतगढ़ मध्यभारतके भील एजेन्सीके अन्तर्गत एक मित्राश्रम और परशुराम आदि पवित्र तीर्थक्षेत्र हैं। 'ठाकुरात' सम्पत्ति । १८६६ ई०में धार दरबारकी अनु प्रवाद है, कि वेदमन्त्रद्रष्टा अनेक अपि यहां वास करते मति ले कर विधवारानीने वन मान ठाकुरराज प्रताप- ' सिंहको गोद लिया। १८८२ ई०में बालिग हो कर इन्होंने बक सर --अयोध्या प्रदेशके उनाव जिलान्तर्गत एक गण्ड- कुल अधिकार अपने हाथ किया। ये धार-राजको वार्षिक प्राम । यह गङ्गाके बाएं किनारे अवस्थित है। राजा उभय, १६ हजार रुपये कर देते हैं। चाँदसे यह स्थान जीते जानेके बाद यहां बाई जातिका बखतर ( हि पु० ) बकतर देखा। पास स्थापित हुआ। प्रवाद है, कि श्रीकृष्णने यहां बखर : हि० पु. १ बाखर देखो। २ बक्खर देखो। बकासुरको मारा था, इस कारण इसका बक सर नाम बखरा (फा० पु०, १ भाग, हिस्सा । २ बाखर । ३ घोड़े की पड़ा है। बक्सरघाट पर नागेश्वर नामक एक शिव- , पीठ पर पलान आदिके नीचे रखनेके लिये फाल या मन्दिर है जहां वर्ष में कई बार मेला लगता है। इनमेंसे सूखी घास आदिका दोहरा किया हुआ वह मुट्ठा जिस कार्तिकी पूर्णिमामे गङ्गाके किनारे चण्डिका देवीके पर टाट आदि लपेटा जाता है। यह घोड़े की पीठ पर सामने जो मेला लगता है उसमें लाखसे ऊपर मनुष्य जुटत घाव होनेसे बचाने के लिये रखा जाता है। Vol. xr. 36