पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१५०

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बगलबंदी -बगुड़ा बगलब'दी ( हि': स्त्री० ) एक प्रकारकी मिरजई। इसके छेद करते हैं। ७ स्रो-वक, बगला नामक पक्षीकी बंद बगलके नीचे लगते हैं। मादा। बगला ( हि० पु० । १ मफेद रंगका एक प्रसिद्ध पक्षो। बगलीटांग ( हिं० स्त्री० ) कुश्तीका एक पेच । इसमें ब देखो। एक झाड़ीदार पौधा । इसे गमलोंमें शोभा । प्रतिपक्षीके सामने आते ही उसे अपनी बगल में ला कर के लिये लगाया जाता है। और उसकी टांग पर अपना पैर मार कर उसे गिरा देते बगलामुखी ( हिं . स्त्री० ) तान्त्रिकों के अनुमार एक देवी। हैं। वगा मुम्ब देखो। बगली बांह ( हि स्त्री० ) एक प्रकारकी कमरत । इममें बगलियाना ( हिं० कि० ) , बगलसे हो कर जाना, गह दो आदमी बराबर बगवर खड़े हो कर अपनी बांहसे काट कर निकलना । २ पृथक निकालना, अलग करना। दृमरेकी बाँह पर धक्का देते हैं। २ बगल में लाना या करना। बगली लंगोट ( हिं० पु० ) कुश्तीका एक पेच । बगलो ( हि. वि० ) १ वगलमै संवध रम्नानेवाला, बगल. वगार ( हि पु० ) गांय बांधनेका स्थान, घाटी। का। ( स्त्री० ) २ ऊंटोंका एक दोष । इसमें चलने समय बगारना (हिं० क्रि० ) १ पमारना, फैलाना । बगराना उनकी जांघकी ग्ग पेटमें लगती है। ३ मुग्दर हिलाने- देखो। का एक ढंग । उममें पहले मुग्दरको ऊपर उठाते हैं और बगावत ( अ० स्त्री० ) , बागी होनेका भाव । २ विद्रोह, उसे कंधे पर इस प्रकार रखते है, कि हाथ मुठिया पकड़े बलवा। ३राजद्रोह । नोचेको मीधा होता है और मुग्दरका दृमग मिरा कंधे बगीचा ( फा० पु० ) उपवन, छोटा बाग । पर होता है। फिर एक हाथको ऊपर ले जा कर मुग्दर- बगुड़ा--पूर्वीय बङ्गाल और आसामके गजशाही विभागका को पोछे मरकाते जाते हैं, यहां तक कि वह पीट पर जिला। यह अक्षा० १४३२ से २५१६ उ० तथा देशा० लटक जाता है। इसी बीचमें दूसरे हाथके मुग्दरको ८५२ से८६°४१ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण पहले जैमा ऊपर ले जाते हैं इसके बाद पहले हाथके १३५६ वर्ग मील है। यहां निस्ता, ब्रह्मपुत्र, यमुना, मुग्दरको हाथ नीचे ले जा कर कंधे पर इस प्रकार लाते नागर, करतोया, बंगाली और मानस नदी बहती हैं। हैं, कि उनका दूसरा सिरा फिर कंधे पर आ जाता है। १७८७ ई०की भीषण बाढ़ के पहले करतोया नदी इसी तरह बराबर करते रहते हैं। ४ वह सेंध जो किवाड़- तिस्ताके जलको अपने साथ लेती हुई गङ्गामें की बगलमें मिटकिनीकी सीधमें चोर इसलिये खोदते है, मिलती थी, उस समय इसमें बड़े बड़े जहाज आते कि उसमेंसे हाथ डाल कर सिटकिनी खसका कर जाते थे। इसी . कारण प्राचीनकालमें इस नदीका किवाड़ खोल लें। ४ अंगे, कुरते आदिमें कपड़े का विशेष गौरब था। बाढ़के बादसे इसकी गति पलट टुकड़ा जो अस्तीनके साथ कंधेके नीचे लगाया जाता गई है। यद्यपि आज भी वह प्राचीन गड ढ़ा देखा जाता है। ५ वह थैली जिसमें दजी सूई तागा रखते हैं और है पर उसमें स्रोत बिलकुल नहीं है। जिसको वे चलने समय कंधे पर लटका लेते हैं। यह राजशाहीके कुछ थानोंको ले कर १८२१ ई में यह चौकोर कपड़े की होती है। इसके तीन पाट दोहर जिला संगठित हुआ है। उस समय यहां नील और दोहर कर सी दिये जाते हैं और चौथेमें एक डोरी लगा रेशमकी अच्छी खेती होती था। उस समय उकैतोंका दी जाती है जिसे थैली पर लपेट कर बाँधते हैं। यह भी भारी उपदव था, पर वृटिश सरकारने उनका थैली चौकोर होती है और इसके दो ओर एक फोता वा थोड़े ही दिनोंके अन्दर अच्छी तरह दमन किया । दूरवत्ती डोरीके दोनों सिरे टांके रहते है जिसे बगलमें लटकाते जिलेसे विचारको सुबिधा न होती देख यहां एक ज्वाइण्ट समय जनेऊको तरह गलेमें पहन लेते हैं। ६ वह मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए। वे ही राजस्व विभागका कुल लकड़ी जिसमें हुक्केवाले गड़गड़े को भटका कर उसमें काम करते थे। क्रमशः बगुड़ा जिलेकी उन्नति होती गई।