पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१५४

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बौंडा-गजरबट्टू राजाओंके हाथसे यथाक्रम परास्त और विध्वस्त यहांके अधिवासी मुसलमान और जाट हैं । सरदार- होने पर भी यह स्थान भार जातिके अधिकारमें रहा। वश भी मुसलमान हैं। १८०७ ई०में अंगरेजोंके साथ उसी साल जौनपुर-राज सुलतान इब्राहिमने इस इनकी मित्रता हुई। यहांका राजस्व ७१००० २० है स्थान पर अधिकार जमाया। इब्राहिमने अपने जिनमेंसे ८ हजार रु० घृटिश-गवर्मेण्टको कर स्वरूप देना कर्मचारी काजी सुलतानको यह सम्पत्ति दान कर दी। पड़ता है। सैन्य-संख्या २३२ है । राजाको गोद लेनेका इसके बाद कुर्मी और बाईगणने पुनः उनके वंशधरोंके अधिकार नहीं है। हाथसे छीन लो। बजना ( हिं० कि० ) १ किसी प्रकारके आघात या हवाके २ उक्त जिलेके दिग्विजयगज तहसीलका प्रधान नगर जोरसे बाजे आदिमेंसे शब्द उत्पन्न होना।२ प्रख्याति और सदर । यहां पांच शिव मन्दिर हैं। पाना, प्रसिद्ध होना, कहलाना। ३ अउ ना, हठ करना। बलौटा (हिं०५०) वह चंदा जो हिस्सेके मुताबिक लगाया। ४ शस्त्रोंका चलना। ५ प्रहार होना, आघात पडना । (पु०) या लिया जाय। ६ बजनेवाला बाजा । ७ रुपया । (वि०) ८ बजानेवाला । बजंत्री ( हिं० पु० ) बाजा बजानेवाला, बजनियां। बजनियाँ (हि.पु. स्त्री० ) वह जो बाजा बजाता या बज ( सं० पु०) ओषधिविशेष । बजाती हो। बजकंद (हिं० पु० ) भारतके जंगलों में पैदा होनेवाली एक बजमिहाँ (हि.पु.) बनियां देखो। बड़ी लता। इसकी जड़ विषैली और मादक होती है । वजनी (हिं० वि० ) बजनेवाला, जो बजता हो। परन्तु उबालनेसे खाने योग्य हो सकती है। बजरंग (हिं० वि० ) बजके समान दूढ़ शरीरवाला। वजकना ( हिं० क्रि०) किसी तरल पदार्थका सड़ कर या । बजरंगबली ( हिं० पु० ) महावीर, हनुमान । बहुत गन्दा हो कर बुलबुले फेकना, बजबजाना। बजरंगीबैठक (हिं स्त्री० ) एक प्रकारको बैठक । बजका ( हि० पु. ) चनेकी दाल या बेसनकी बनी हुई बजरणगढ़-१ ग्वालियर राज्यके अन्तर्गत एक सुवाहत । वड़ी बड़ी पकौड़ियाँ जो पानीमें भिगो कर दहीमें डाली सूबादार ही यहांके सरदार हैं। ये ग्वालियर-राजके जाती हैं। । अधीन हैं। बजट ( . स्त्री० ) आगामी वर्ष या मास आदिके लिये २ उक्त सूवाकी राजधानी। यह अक्षा० २४ ३४ उ० भिन्न भिन्न विभागोंमें होनेवाले आय और व्ययका लेखा, और देशा० ७७१८ पू०के मध्य अवस्थित है। यहां जो पहलेसे तैयार करके मंजूर कराया जाता है। . कार्तिक मासमें १५ दिन तक मेला लगता है। वजड ना ( हि क्रि० ) १ टकराना। २ पहुंचना। बजरबट्ट ( हिं० पु.) एक वृक्षके फलका दाना वा बीज बजड ( हि पु० ) बजग देखो। जो काले रंगका होता है और जिसकी माला लोग बच्चों- वजनक (हिं पु०) पिस्तेका फूल जो रेशम रंगनेके काममें : को नजरसे बचने के लिये पहनाते हैं। इसका पेड. ताडकी आता है। , जातिका है और मलावारमें समुद्र के किनारे तथा लंकामें बजना--बम्बई की काठियावाड़ एजेन्सीका एक सामन्त-: उत्पन्न होता है । बङ्गाल और धर्मामें भी इसे लोग बोते गज्य । यह अक्षा० २२५८ से २३ १० उ० देशा० और लगाते हैं। इसके पत्ते बहुत बडे और तीन साढ़े ७.४० से ७१५८ पूल के मध्य अवस्थित है। भूपरि- तीन हाथ व्यासके होते है। लोग इससे पंखे, चटाई, माण १८३ वर्ग मील और जनसंख्या ४० हजारसे ऊपर छाते आदि बनाते हैं। यूरोपमें इसके नरम और कोमल है। सब तरहके शस्य और रुई यहाँका प्रधान उत्पन्न द्रव्य पत्तोंसे अनेक प्रकारके कटावदार फीते बनाये जाते है। कोई नद नदी न रहनेके कारण लोग कुए के पानी-. हैं और इसके रेशेसे बुरुश बनाये और जाल बुने जाते से अपना काम चलाते हैं। निकटवत्ती ढोलेरा नामक हैं। इसकी रस्सियाँ भी बटी जा सकती हैं। इसके स्थानमें यहांका धाणिज्य होता है। फल बहुत कड़े होते हैं और यूरोपमें उनसे बटन, मालाके