पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१६२

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१५६ बड़-घड़ौदा बउ (हिं० वि०) १ अधिक विस्तृतका, खूब लम्बा चौड़ा। की छोटी छोटी सुखाई हुई टिकिया जिसे तल कर खाते २ अवस्थामें अधिक, जिसकी उम्र ज्यादा हो। ३ गुण, हैं, कुम्हड़ौरी। २ मांसकी बोटी। प्रभाव मादिमें अधिक या उत्तम, जिसका असर या बड़ीइलायची ( हि स्त्री० ) इलायची देखो। मतीजा ज्यादा हो, भारी । ४ किसो बातमें अधिक, बढ़कर। बड़ी कटाई ( हिं० स्त्री० ) बृहत् कण्टकारी, वडी जातिकी ५गुरु श्रेष्ठ, बुजगं।६परिमाण, विस्तार या अवस्थाका भटकटैया। बहा (हिं० पु० ) १ एक पकवान जो ममाला मिली हुई वडीगोटी ( हि स्त्री० ) चौपायोंकी एक बीमारी। उद की पीठीकी गोल चक्राकार टिकियोंको धी या तेलमें बडीदाख (हिं स्त्री०) बड़ी जातिका अंगुर । इसमें बोज तल कर बनता है। २ उत्तरीय भारतके पटपरोंमें होने होते है और इसे सुखा कर मुनक्का बनाते हैं। वाली एक बरसाती घास । इसे सुखा कर घोडी और बडीमाता (हि० स्त्री० ) शीतला, चेचक । चौपायोंकों खिलाते है। बडीमैल (हि स्त्री०) खाकी रंगकी एक चिडि.या। बहाई (हिं स्त्री०) १ परिमाण या विस्तारकी अधिकता। बडीमौसली ( हिंस्त्री० ) थालीमें नक्काशी बनानेके लिये २परिमाणका विस्तार । ३ महिमा, प्रशसा, तारीफ। लोहेका एक ठप्पा जिससे तोसीके आगे नक्काशी बनाते ४ पद, मान, मर्यादा, वयस, विद्या बुद्धि आदिकी हैं। अधिकता ; इज्जत, दरजे, उम्र वगैरहको ज्यादती। बीराई ( हिं० स्त्री० ) लाल रंगको एक प्रकारको बडाकुधार (हि. पु० ) केवड के आकारका एक पेड। सरसों, लाही। इसकी पत्तियां किरिचकी तरह बहुत लंबी लंबी निकली बमोतीका फूल ( हिं० पु. ) बड़ोमांसला देखो। होती हैं। बडरर (हि • पु०) चक्रवात, बवंडर । बडा कुलंजन (हि. पु० ) वृहत्कुल जन, मोथा कुलंजन। डरा ( हि पु० ) १ छाजनमें बीचको लकडी जो बडादिन (हिं पु०) १ वह दिन जिसका मान बडा हो। लम्बाईके वल होती है और जिस पर सारा ठाट होता है। २२५ दिसम्बरका दिन जो ईसाइयोंके त्योहारका दिन है। २ कुएँ पर दो खंभोंके ऊपर ठहराई हुई वह लकड़ी जिस इस दिन ईसाके जन्मका उत्सव मनाया जाता है। में घिरनी लगी रहती है। बडापीलू (हिं० पु. ) एक प्रकारके रेशमका कीडा। बडे लाट (हिं० पु०) भारतवर्ष में अगरेजी साम्राज्यके प्रधान बडाबोल (हि.पु.) अहङ्कारका शब्द, घमण्ड। शासक। बडासवरा (हिं० पु० ) वह यन्त्र जिससे कसेरे टांका बाँखा (हि. पु०) एक प्रकारका लंबा और नरम गन्ना। लगाते है. बरतनमें जोड लगानेका औजार। बडौदा..बम्बई के गजगत प्रदेश के अन्तर्गत एक प्रसिद्ध बडिश ( स० क्ली० ) बलिनो मत्स्यान् श्यति नाशयतीति देशीयराज्य । यह अक्षा० २१ ५१ से २२ ४६ उ० तथा शोक, लस्य इत्यं । मत्स्यधारणाथै वकलौहकण्टक- देशा० ७२ ५३ से ७३ ५५ पू०के मध्य अवस्थित है। विशेष, मछली फंसानेका एक औजार, बंसी। पर्याय- भूपरिमाण ८१३५२ वर्गमील है। गायकवाड, राजवंश मत्स्यधेधन, वलिश, वड़िशी, पलिशी, मत्स्यवेधनी, ; द्वारा यह परिचालित होता है । वृटिश सरकार के सामन्त बलिसी, मत्स्यभेद । राज्यभुक्त नहीं होने पर भी इसकी राजकीय कार्यावली "यस्ते कण्ठमनुप्राप्तो निगीणं वढिशं तथा। भारत सरकारके साथ संश्लिष्ट है। दहंदङ्गारवत् पुन ! तं विद्यात् ब्राह्मणभम् ॥” : बडोदा राज्य साधारणतः चार भागोंमें विभक्त है। (भारत १।२८।१०) श्ला उत्तर वा कडी विभाग । इसमें पत्तन, कडी, वीज घड़िशी (सं० स्त्री० ) बड़िशगौरादित्वात् ङीषु । बड़िश, . पुर, विषपुर, देहगांव, कलोल, बदावसिद्धपुर, खेरालू और बंसी। मेसान आदि जिले हैं। रेमें बडोदा विभाग है, यह वड़ी ( हि स्त्री० ) १ आलू, पेठा आदि मिली हुई पीठी- वडोदा, चोरन्दा, जरौद. पेत्लाद, पत्रा, दभोई, मिनोई