पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१७४

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बदहवास-बदाऊँ बदहवास ( फा० वि . ) १ बेहोश, अचेत । २ व्याकुल, ! बास किया था। किन्तु यहांके रहनेवाले हिन्दू राजाओं विकल। ३ श्रान्त, शिथिल । 1 ने जब उसके विरुद्ध हथियार उठाया तब वह विशेष क्षति- बदाऊँ युक्तप्रदेशका छोटे लाटके अधीन एक जिला । यह प्रस्त हो वहांसे भाग गया। ११९६ ईमें गयासुद्दोनके अक्षा० २७°४० से २८ २६ उ० तथा देशा० ७८.१६ से प्रतिनिधि कुत्बुद्दीन ऐबकने बदाऊदुर्ग पर हमला कर ७६३ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण १६८७ लूटपाट मचा दी । संग्राममें कातिहरके राजपूत राजा काम वर्गभील है। इसके उनरमें मुरारावाद, उत्तरपूर्वमें रामपुर आये और अहिच्छत्रापुरी पर मुसलमानोंका कब्जा हो राज्य और बरेली जिला, दक्षिण पूर्व में शाहजहानपुर और : गया । मुसलमानी अमलमें बदाऊँ 'विचार सदर' दक्षिण-पश्चिममें गङ्गा है। गङ्गाके साथ इसकी प्राकृतिक बजने लगा। सम्सुद्दीन अलतमस् इस प्रदेश के बादशाह सुन्दरतामें कोई विशेष पृथकना नहीं देखी जाती । हुए। कुछ अर्से के बाद १२१० ई०में वे दिल्लीके तख्त वनविभागको छोड. सव स्थान इसके मनोहर पर बैठनेको चले। सम्राट हो कर भी बदाऊँ से उनको हैं। अन्यान्य स्थानविशेषकी भूमि खेतीके मुहब्बत जरा भी न हटी। ६२० हिजरीमें उत्कोण लिये उपयोगी है और अन्यान्य स्थान वालू जुम्मा मसजिदकी शिलालिपि ही इसका जीता जागता कटकमय हैं। इसके मध्यभागमें सोत नामकी नदी उदाहरण है। पांच साल गुजरने बाद उन्होंने अपने बहती है। इसी सोननदीके किनारे बदाऊ नगर बसा बड़े लड़के रुकन-उद्दीन फिरोजको(२) बदाऊ की सलत- हुआ है। इसको छाड. इसमें अरिल, अन्धेरी, छोइया नत सौंपी। यहांकी जुम्मा मसजिद शार्मासोको उन्होंने और नकानदो प्रवाहित हैं। ही बनवाया था । दस्तकारीके लिये उन्होंने खूब खरचा इम जिलेका कोई प्राचीन इतिहास नहीं मिलता। उठाया था। १३वीं और १४वीं सदीमें इस प्रदेशमें केवल स्थानीय ब्रात्मणों के मतसे इसका पूर्वनाम 'वेदमाया' खून-खराबी होती रही थी। यह विद्रोहवहि मुगलशासन- अथवा वेदमी था। दिल्लीके तोमरवंशोय नरपति महो- के पहले न बुझ न सकी। पालने यहां एक दुर्गका निर्माण किया था। दुर्गमें वर्त. १३१५ ई०में शासनकर्ता महावत् खाने बागी हो मान बदाऊँ का पश्चिमांश बना हुआ है। प्राचीन ! बादशाहके विरुद्ध तलवार उठाई। सम्राट खिजिरखां स्कृति का दृष्टान्त स्वरूप मिट्टोका स्तूप आज भी देखा : उसको किसी प्रकारसे भी वशमें न ला सके। आखिर जाता है। उक्त महापालने 'हरमन्दिर' नामक एक मंदिर ग्यारह वर्षके बाद उनके पुत्र मुवारक शाह दुरा- बनवाया था। मुसलमानोंने उम मन्दिरको नष्ट कर चारी महावत् खाँको काबू करनेमें समर्थ हुए थे। । ४३५ उसके स्थानमें जुम्मा मजिद तैयार की थी। स्थानीय ई०में बागी सूबेदार मालिक जुमनने सैयद राजाओंका अधिवासियोंका कहना है, कि इस मसजिदमें प्राचीन अधीनता-पाश तोड़ डाला। १४४६ ई०में आलमशाह बदाऊ मंदिरकी देवमूर्तियां गड़ी हुई हैं। नगरको देने आये। इस समय उनके वजीर बहोल कोई काई कहते हैं, कि बुद्ध नामके एक अहीर राजा- लोदीके साथ षड्यंत्र रच उसने बादशाहको तख्तसे उतार ने १०५ ई में इस नगरको बमाया था। इसके वंशधरोंने दिया । १४७६ ई० तक उन्होंने उस सम्पत्तिका प्रायः एक सदी नक यहां राज्य किया था ।(१) गजनीपति : मजा उड़ाया । अन्तमें मौतने उन्हें आ घेरा महम्मदके भानजे सैयद सलार मसाउद गाजीने १०२८ और वे दुनियांसे कूच कर गये। उनकी मृत्युके ई०में रोहिलखण्ड आक्रमण करते समय यहां आ कर बाद दामाद हुसेन शाह शरकीने इस प्रदेश पर हुकूमत


... ... ... . --- ... ... . . . . . चलाना शुरू किया,किन्तु बहोल लोदीने उनको ज्यादा

(१) अब भी इस जिले। अहीरों का प्रभाव ज्यादा है। दिन तक टिकने न दिया। उन्होंने हुसेनको बुरी तरहसे अहीरों क रहने के लिये वुधने बुधापन नगर बनाने की बहुत लोग :. कलपना करते हैं। (२) १२६६ ई.में वे विकी के बादशाह हुए ।