पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१७७

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बदेश्वर-बावर्चस ५७१ प्रणयन कर गये हैं। बुढ़ापा आने पर ये सम्राट से ! सम्माजनीक्षिप्त तृणादिकी तरह धीरे धीरे अन्त्रनाडीके अनुमति ले कर बदाऊँ गये। वहां १००४ हिजरीमें भीतर संचित होता है । गुह्यद्वार में मल रुक जाता है और मुन्तखब-उल-तवारिख की रचना कर इन्होंने अक्षय कीर्ति : यदि बहुत कष्टसे होता भी है, तो थोड़ा। इससे हृदय प्राप्त की। कविता रचनाके सबबसे लोग इन्हें कादिरी, और नाभिके मध्यस्थलमें उदर परिवर्द्धित हो जाता है। कहा करते थे। इनका जन्म १४७ और मरण १००४ (भावप्र. ) सुश्रुतमें लिखा है, कि अन्न वा उपलेपो द्रव्य हिजरीमें हुआ था। वा क्षद्र अश्मखण्डका संयोग रहे वा न रहे, यदि अंतमें बदेश्वर-राजपूतानेके उदयपुर राज्यान्तर्गत एक गण्ड- दूषित मल जमा रह कर सोपानश्रेणोकी तरह ( अस्थि- प्राम। यह चित्तोरके दक्षिणपश्चिम पर्वतमालाके ऊपर मालाक्रमसे ) नाड़ोमें अवस्थित रहे और उससे मलाधार अवस्थित है। इसके चारों ओर दीवार दौड़ गई है। में पुरीष रुक कर बहुत कष्टसे थोड़ा थोड़ा निकले तथा इसको रक्षाके लिये पर्वत पर एक दुर्ग भी बनाया हुआ है। हृदय और नाभिके मध्यका ऊपरी भाग बढ़ आये और बदौलत ( फा० क्रि० वि०) कृपासे, आसरेसे । २ कारणसे, वमनमें विष्टा सी गन्ध हो, तो बद्धगुदरोग होता है। सबबसे। (सुध तनि०७ अ.) बदौसा-युक्तप्रदेशके बंदा जिलेकी एक तहसील। यह बद्धगुदोदर (सं० पु० ) पेटका एक रोग । इसमें हृदय और अक्षा० २५३ से २५ २७ उ० तथा देशा० ८० ५२ . नाभिके बोच पेट कुछ बढ़ आता है और मल रुक रुक पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ३३३ वर्ग मील कर थोड़ा थोड़ा निकलता है। बदगुद देखो। और जनसख्या हजारसे ऊपर है। इसमें १३२ प्राम बद्धजिह्व ( सं० वि०) जिन्हें जीभ हिलानेमें कष्ट मालूम लगते हैं, शहर एक भी नहीं है। बधैन नदी तहसीलके होता है। दक्षिण-पश्चिम दिशासे वह गई है। बद्धपरिकर ( म०वि० ) कमर बाँधे हुए, तैयार। बद्दल (हिं० पु०) बाद - देखो। बद्धपुरीष (सं त्रि०) जिसका मल रुक गया हो। बद्द (हि.पु.) १ अरबकी एक असभ्य जाति जो प्रायः बद्धप्पि ( स० क्ली०) बद्धपाणि, मुट्ठी। लूटपाट किया करती है। (वि० ) २ वदनाम । वद्धफल ( स० पु० ) बद्धानि फलानि यस्य। करज- बद्ध (संत्रि०) बध्यतेस्म इति बन्ध कमणि क्त। १ वृक्ष । बन्धनयुक्त, बंधा हुआ। पर्याय--सन्दानित, मूर्ण, : बद्धमुष्टि ( स० वि० ) बद्धा दूढ़ा दानान्निवृत्ता वा मुष्टि- उद्धित, सन्दित, सित, निगड़ित, नद्ध, कोलिन, यन्त्रित, यस्येति । १ दृढ़मुष्टि, जिसकी मुट्ठी बंधी हो । २ कृपण, सयत। २ अज्ञानमें फंसा हुआ, संसारके वधनमें कंजूस । पड़ा हुआ। ३ बैठा हुआ, जमा हुआ। ४ जुड़ा हुआ। बद्धमूल (सं० वि०) बद्ध मूल यस्येति । दृढमूल उत्पाटना ५ निर्धारित, निर्दिष्ट, ठहराया हुआ। ६ जिस पर किसी ' नह मूल, जिसने जड़ पकड़ ली हो। प्रकारका प्रतिबंध हो, जिसके लिये कोई रोक हो। ७ बद्धयुक्ति ( स० स्त्री० ) वंशी बजानेमें उसके छिदोसे जिसकी गति, क्रिया, व्यवहार आदि परिमित और ब्यवः . उगली हटा कर उसे खोलनेकी क्रिया।। स्थित हो। बद्धरसाल (स० पु० ) बद्धो रसेन आवृतः अतएव रसालः बद्धक (संपु०) वन्दी, कैदी। रसवान् । उत्तम जातिका एक प्रकारका आम। बद्धकोष्ट (सपु०) मल अच्छी तरह न निकलनेको पर्याय--चक्रतलाम्र, मध्वान, सितजास्त्रक, वनज्य, अवस्था या रोग, पेटका साफ न होना। : मन्मथानन्द, मदनेच्छाफल। इसके कोमलफलका गुण बद्धगुद (सं० क्ली० ) बद्ध'गुदपायुफैन । उदररोगविशेष। कटु, अम्ल, पित्त और दाहवर्द्धक, स्वादु, मधुर पुष्टि इसका लक्षण-जिसकी अम्बनाड़ी अन्न, शाक, शालुका वीये और बलप्रद माना गया है। (राजनिः बारा माच्छादित रहती है, उसका मल दूषित हो कर बद्धधवंस (सं० लि०) मलरोधक।