पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२०४

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बरकदप-बरदना बरकदम ( फा० स्त्री० ) एक प्रकारकी चटनी। इसकी बरजोर (हिं० वि०) १ प्रबल, जबरदस्त । २ अत्याचार प्रस्तुन प्रणाली....पहले कच्चे आमको भून कर उसका अथवा अनुचित बलप्रयोग करनेवाला। (फि० वि०) ३ पना निकाल लेते हैं और तब उसमें चीनी, मिर्च, शीतल ' बलपूर्वक, जबरदस्ती। ४ बहुत जोरसे। चीनी, केसर, इलायची आदि डालते हैं। बरट ( स० पु०) शष्यविशेष, एक प्रकारका अनाज । बरकना (हि० क्रि०) १ निवारण होना, जचना । २ अलग बरत ( हि पु० ) १ परमार्थ साधनके लिये किया हुआ रहना, हटना। . उपवास। बत देखो। (स्त्री० ) २ रस्सी। ३ नटको बरकरार (फा० वि०) १ स्थिर, कायम। २ उपस्थित, : रस्सी जिस पर चढ़ कर वह खेल करता है। मौजूद। बरतन (हिं० पु०) १ मट्टी या धातु आदिको इस प्रकार वरकाज ( हि० पु० ) १ व्याह, शादी। बनी वस्तु कि उसमें कोई वस्तु-विशेषतः खाने पीनेकी बरकाना (हिं क्रि०) १ पीछा छुड़ाना, फुसलाना । २. चीज रख सकें। २ व्यवहार, बरताव । निवारण करना, बचाना। , वरतना ( हिं० कि०) १ किसीके साथ किसी प्रकारका बरखना (हिं कि० ) वर्षा होना, पानी बरसना।। ध्यवहार करना, बरताव करना। २ व्यवहारमें लाना, बरखा ( हिं॰ स्त्रो०) १ मेह गिरना, वृष्टि। २ वर्षाऋतु, . इस्तेमाल करना । बरसातका मौसिम। बरतनो ( हिं॰ स्त्री० ) १ लकड़ी आदिकी बनी एक प्रकार- बरखास्त (फा० वि०) १ जो नौकरीसे हटा दिया गया की कलम । इससे विद्यार्थी लोग मट्टी या गुलाल आदि हो, मौकूफ। २ जिसका विसर्जन कर दिया गया हो, विछा कर उस पर अक्षर लिखते हैं अथवा तान्त्रिक लोग जिसकी बैठक समाप्त हो गई हो। यन्त्र आदि भरते हैं। २ लेख-प्रणाली, लिखनेका ढंग । बरखिलाफ (फा०क्रि०वि०) प्रतिकूल, उलटा। बरतर (फा०वि०)श्रेष्ठतर, अधिक अच्छा। बरगन्ध (हिं पु०) सुगन्धित मसाला । बरतरफ (फा० वि०) १ एक ओर, किनारे, अलग। २ बरग (फा० पु. ) पत्र, पत्ता। किसो कार्य, पद, नौकरी आदिसे अलग, मौकूफ । बरगद (हिं० पु० ) बड़का पेड़ । विशेष विवरण बट शब्दमें बरताना ( हिं० कि०) वितरण करना, बाँटना। देखो। बरताव ( हि पु० ) व्यवहार, वह कम जो किसीके प्रति, बरगेल ( हिं० पु०) एक प्रकारका लवा पक्षी जिसके पंजे किसीके सम्बन्धमें किया जाय। कुछ छोटे होते हैं और जो पाला जाता है। बरतो ( हि० स्त्री० ) १ एक प्रकारका पेड़ । २ बत्ती (वि०) बरचर ( हिं० पु०) एक प्रकारका देवदार वृक्ष जो हिमा- ३ जिसने व्रत रखा हो, जिसने उपवास किया हो। लयमें होता है। इसकी लकड़ो भूरे रंगकी होती है, बरतेला (हि स्त्री० ) जुलाहोंकी वह खूटी जो करघेकी घेसी। दाहिनी ओर रहती है। इसमें तानेको कसा रखने के लिये बरचस (हिं० पु०) मल, विष्ठा । उसमें बंधी हुई अन्तिम रस्सी या जोतेका दूसरा सिरा बरछा ( हिं० पु०) भाला नामक हथियार जिसे फेंक कर : 'पिडा' या 'हथेला' पीछेसे घुमा कर लाया और बांधा अथवा भोंक कर पारते हैं। इसमें प्रायः एक बित्ता लंबा जाता है । यह खूटी करघेको दाहिनी भोर बुननेवालेके लोहेका फल होता है और एक बड़ी लाठोके सिरे पर दाहिने हाथके पास इसलिये रहती है, कि जिसमें वह जड़ा होता है। यह प्रायः सिपाहियों या शिकारियोंके आवश्यकतानुसार जोतेको ढोला करता रहे और उसके कामका हाता है। इसे भाला भी कहते हैं। कारण ताना आगे बढ़ता आवे। बरछैत (हि पु० ) भाला-बर्दार, परछा चलानेवाला। बरतोर (हि. पु०) वह फुसी या फोड़ा जो बाल उखड़ने- बरजबान (फा० वि० ) मुस्खन, कण्ठस्थ, जो जबानी याद के कारण हो । वरदना (हि क्रि० ) वरदाना देखो।