पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२१२

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२०४ परास-परिवारा भादरका पदार्थ है । इसके पास ही पटना-गया रेलपथका बरिजानगढ़-पूर्णिया जिलेके कृष्णगा उपविभागान्तर्गत बेला नामक स्टेशन है। इस पर्वतके सर्वोच्च शिखर पर एक प्राचीन दुर्ग। सिद्ध श्वर नामक प्राचीन मन्दिर प्रतिष्ठित है। दिनाज- बरिदहाटी --२४ परगनेके बारुईपुर उपविभागके अन्तर्गत पुरके असुराज बाराने यह मन्दिर बनवाया था। स्थानीय एक राजस्व-विभाग। विष्णुपुर, बनमालीपुर, जयनगर, प्रवाद है, कि उस असुरराजने श्रीकृष्णके साथ युद्ध किया मथुरापुर और मगराहाट आदि स्थान इसके अन्तर्गत था । प्रति वर्षके भाद्रमासमें यहां एक मेला लगता है। पर्वतके दक्षिणतट पर नाना देवमूर्तियां सुशोभित देखी वरिदशाही-दाक्षिणात्यके मुसलमान-राजवंश । वाह मनी जाती हैं। यहांके एक पर्वतमें सात गुहाएँ हैं जिन्हें लोग राजवंशके अधःपतनके समय दक्षिणभारतमें पांच 'सातघर' कहते हैं। उस गुहाके निकट पालिभाषामें लिखी मुसलमान राजवंश प्रतिष्ठित हुए। बरिदशाही उनमेंसे हुई जो शिलालिपि पाई गई है उससे जाना जाता है, कि एक है। इस वंशकी प्रतिष्ठा तुकी-वशीय नामक एक उनमेंसे चार गुहाएँ ३५७ ई०सन्के पहले बनाई गई थीं। क्रोतदासने को थी। वे वाह मनी-राज श्य महमूदके शेष ३ गुहा नागार्जुन पर्वत पर अवस्थित है। इसके प्रधान मन्त्री थे। १५०४ ई०में उनकी मृत्यु होने पर पास पातालगङ्गा नामक पवित्र प्रस्रवण है। काकदेश | उनके लड़के अमीर बरिद मन्त्री-पद पर अभिषिक्त हुए। नामक शिखरके निम्नभागमें एक प्रकाण्ड वुद्धमूर्ति और इन्होंने बालक बाह मनीराज श्य अहमदको अपने हाथका इधर उधर पड़ी हुई देवमूर्तियां देखी जाती हैं। इस पर्वत खिलौना बना लिया था। एक एक करके इन्होंने अला- पर बहुत पहलेसे बौद्धप्रभाव फैला हुआ था । आचार्य उद्दीन वलि उल्ला और कलाम उल्ला आदि तीन व्यक्तियों- श्रीयोगानद, विदेशवासी वसु, योगिकर्ममार्ग भयङ्करनाथ को राजतख्त पर बिठाया था। १५२७ ई०में कलाम आदि जैन भदन्तगण इस स्थानको देख गये हैं। कुछ | राज्ययुत हो कर अहमद नगरको भागा । इस समय अमीर जैम यतियोंके रहने के लिये अशोक और उनके पोते दश बरिद बामनी राजधानीमें ही अपनेको स्वाधीन राजा रथमे यह स्थान निर्दिष्ट कर दिया था। उस समय इस बतला कर घोपणा कर दी। इस्माइल आदिलशाहसे स्थानको लोग 'खलतिक' कहते थे। बिदार नगर पा कर उन्होंने वहां राजधानी बसाई । उनके ६ठों शताब्दीमें राजा शार्दूल वर्मा और अनन्तवर्माके लड़के अलीकी बरिदशाह उपाधि थी। उसने अहमद- अधिकार-कालमें यहां ब्राह्मण्य धर्म फैलानेके लिये देव-! नगर-पति बुर्हानशाहके साथ लड़ कर अपनी सारी माता कात्यायनी और महादेव आदि हिन्दू देवमूर्तियां सम्पत्ति खो दी। प्रतिष्ठित हुई। ७वीं शताब्दीमें यह स्थान ब्राह्मणके विदार वा अहमदाबादके परिदशाही-राजवंश । भधिकारमें रहने के कारण चीनपरिव्राजक यूएनचुवंगने कासिम बरिद १४६२-१५०४ ई० इस स्थामका कोई उल्लेख नहीं किया। अमीर वरिद १५०४-१५४६, बरास ( हि पु०) १ एक प्रकारका कपूर जो भीमसेनी अली बरिदशाह १५४१-१५६२ कपूर भी कहलाता है। कपूर देखो । २ जहाजमें पालकी इब्राहिम बरिदशाह १५६२-१५६६ वह रस्सी जिसकी सहायतासे पालको घुमाते हैं। कासिम बरिदशाह बराह (हिं. पु० ) वराह देखो। मीर्जाभली परिदशाह १५७२-१६०१ , बराह ( फा० कि० वि०) १ के तौर पर। २ द्वारा, अमीर वरिदशाह (श्य) १३०६ , जरिवेसे। बरियारा (हि पु० ) हाथ सवा हाथ था एक छोटा बराही ( हि स्त्री० ) एक प्रकारकी घटिया ऊख । भाड़दार छतनारा पौधा। इसकी पत्तियां तुलसीकी बरिभात (हिं. पु०) रात देखो। सी पर कुछ बड़ी और खुलते रंगकी होती हैं। इसमें परिच्छा ( हि पु०) वरच्छा देखो। पीले पीले फूल लगते हैं। जब फूल झड़ जाते हैं