पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२२८

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२२२ बला-- बलात्काराभिगम , राजा। महाबला, अतिवला और नागवलाके भेदसे चार प्रकारका पूणि ऋषिके एक शिष्यका नाम । ४ एक राक्षसका है। इनमेंसे वलाको वाट्यालिका, बाट्या और वाट्यालकः नाम। ५ जातुकर्ण मुनिके एक शिष्यको नाम । ६ स्व. महाबलाको पीनपुष्पा और सहदेवी ; अतिबलाको ऋथ्य- . नामख्यात व्याधविशेष । प्रोक्ता और कङ्कनिका तथा नागवलाको गाङ्ग रुकी और बलाका (सं० स्त्री०) बलते इति बल सम्बरणे (वलाकादशश्च । हस्वगवेधका कहते हैं। ये चारों प्रकारको वला शीतवीर्य उण ११४) इति अक, वा बलेन अकतीति बल-अक मधुर, बलबर्द्धक, कान्तिकारक, स्निग्ध, धारक और वायु, कुटिलगतौ पचाद्यच् । १ बकजातिविशेष, एक प्रकारका रक्तपित्त, रक्तदोष तथा क्षतविनाशक मानी गई हैं । वला- बगला । पर्याय -विपकण्ठिका, विपकण्ठी, बलाकी, कार. मूलकी छालके चूर्णको दृध और चीनीके साथ मिला कर यिका, लिङ्गलिका, विषकण्ठी, शुष्काङ्गा, दीर्घ कन्धरा, पान करनेसे मूत्रानिमार और प्रदर विनष्ट होता है। धर्मान्ता, कामुकी, श्येता, मेघानन्दा, जलाश्रया। इसके महाबलाके चूर्णको उक्त अनुपानके साथ पान करनेसे मांसका गुण --वायुनाशक, स्निग्ध, सृष्टमल, वृष्य, कफ- मूत्रकृच्छ दूर होता है तथा विपथगामो वायु स्वपथगामी पित्तहर हिम। यह पक्षी जलमें तैरता है, इस कारण होती है। अतिवला चूर्णको दृध और चीनीके साथ सेवन इसे प्लव जातिके अन्तर्गत माना है। (व देखो। करनेसे प्रमेहरोग जाता रहता है । ( भावप्र. पूर्वख०) २ कामुकी स्त्री । ३ वकश्रेणी, वगलोंकी पंक्ति । राजनिघण्टके मतसे यह अति तिक्त, मधुर पित्ताति- ४ गतिके अनुसार नृत्यका एक भेद । सारनाशक, बल और वीर्यवद्ध क, पुष्टि और कफरोधवि बलाकाकौशिक (स.पु. ) आचार्यभेद । शोधन है । इसके वीजका गुण - कामोद्दीपक, मेहनाशक, बलाकाश्व ( स० पु० ) १ हरिव शके अनुसार एक राजा- विरेचक और वेदनाशक । इसके रेशे (मूलतंतु) धारक : का नाम जो अजकके पुत्र थे। २ जल के वशके एक भौर बलकारक माने गये हैं। ___ अदरक और बलाके रेशका क्वाथ सविराम ज्वर- बलाकिका ( स० स्त्री०) क्षबलाकाभेद। में विशेष उपकारक माना गया है । पक्षाघात रोगमें बलाकी ( स० त्रि०) बलाका ब्रीह्यादित्वादिनि। १ इसके रेशे हिंगु, सैन्धव और लवणके साथ दिये । बलाकायुक्त। (पु.) २ धृतराष्ट्रके एक पुत्रका नाम । जाते हैं। बलान ( स० क्ली०) १ सेनापति । २ सेनाका अगला २ विद्याविशेष । यह विद्या ब्रह्मकन्या है। विश्वामित्रने भाग । (त्रि० ) ३ बलशाली, बली। रामचन्द को इस विद्याकी शिक्षा दी थी। इस विद्याके बलाङ्गक ( स०पु० ) वसन्तकाल, वसन्तऋतु । प्रभावसे युद्धक समय योद्धाको भूख और प्यास नहीं वलाञ्चिता (स० स्त्री० ) वलेन अञ्चिता । रामवीणा । लगती । बला और अतिबला विद्या समस्त ज्ञानकी बलाट ( स पु० ) बलेन अट्यते प्राप्यते इति अट-धञ् । मातृस्वरूपिणी हैं। ३ नाट्यशास्त्र अनुसार नाटकों मुद्ग, मूग। छोटी बहिनका संबोधन । ४ पृथिवी । ५ लक्ष्मी । ६ दक्ष- बलाट्य ( स० पु.) १ माष, उड़द । (वि०) २ बलवान् । प्रजापतिकी एक कन्याका नाम । ७ जैनियों के प्रन्थाः : बलात् (सं० अव्य० ) बलमलतीति बल-अत्-किम् । १ नुसार एक देनी जो वर्तमान अवसर्पिणीमें सत्रहवें बलपूर्वक, जबरदस्तीसे। २ हठात्, हठसे । अर्हत उपदेशोंका प्रचार करती है। ८ व। देखो। : बलात्कार (सं० पु०) बलात्करणं बलात् कृ-भावे-धम् । बला (अ० स्त्री० ) १ आपत्ति, आफत । २ कष्ट, दुःख । १किसीको इच्छाके विरुद्ध बलपूर्वक कोई काम करना । भूत, प्रेत। ३ व्याधि, रोग। - २ अत्याचार, अन्याय। ३ किसी स्त्रीके साथ उसकी बलाक ( स० पु०) बलेन अकतीति बल-अक-पचाय । इच्छाके विरुद्ध सम्भोग करना। . १ बकजाति, बगला । २ एक राजाका नाम जो भागवतके बलात्कारगण (सं० पु०) जैनसम्प्रदायभेद । अनुसार पुरुके पुत्र और जह के पौत्र थे। ३शाक- बलात्काराभिगम (संपु०) बलात्कारण अभिगमः ।