पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२३७

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२५ दक्षिण अमेरिकाके पेरुवासी बलिदानके विशेष पक्ष- विरोचनसे उसका जन्म हुआ था। बलिके एक सौ पुत्र पाती थे। सर्दारोंके पीड़ित होने पर रुष्ट देवताकी थे जिनमेंसे बड़े का नाम वाण था। (विष्णुपु. १२२१ तृप्तिके लिये उनके पुत्रोंकी बलि दी जाती थी। आरो- भ.) बलिको बांधने स्वयं विष्णु भगवान् वामनरूप कानियन तिक पुलाकन (Pruloucon)-उत्सवमें मृत- धारण कर भूमण्डल पर अवतीर्ण हुप थे। सैन्यकी प्रेतात्माको संतुष्ट करनेके लिये शनुसेनाके वामन देखो। बंदियोंको बलि देनेकी प्रथा थी। एतद्भिन्न प्रशान्त बलिने अश्वमेध यज्ञ कर दान देना शुरू किया । महासागरस्थ द्वीपवासी, मुरिरुम्बाइट और बदोन प्रभृति विष्णु भगवान् वामनरूप धारण कर उसके सामने 'आफ्रिक जाति, तातार, तुर्क, मुगल, भोट, यावा, सुमात्रा, उपस्थित हुए। बलिने उस वामनकी अत्यन्त आदरसे भएडमन, जापान और चीन वासियोंमें थोड़ा बहुत नर- पूजा कर उसके आनेका कारण पूछा। बामन रूपधारी नाश या नरमांस भोजनका इतिहास पाया जाता है। विष्णुने उसकी खूब प्रशंसा की और अपने पैरोंसे तीन टेलर साहव स्वकीय प्रन्थमें उल्लेख करते हैं, कि बहुतसे पैर प्रमाण भूमि मांगी। इस पर बलिने ब्राह्मणसे कहा, गण्यमान्य मनुष्य प्रेतात्माओंको सन्तुष्ट करने उनको “तूने वृद्ध पुरुषों की तरह मेरी सुमिष्ट वाक्यों से प्रशंसा समाधि पर अपनी अपनी स्त्री और क्रीतदासोंको कर मुझे संतोषित किया । अब अझकी तरह यह बलि दिया करते थे। असाण्टि और यूकेटन वासियोंके : सामान्य भूमि क्यों मांगते हो, प्रभूत भूमि और धन यहां किसी भी धर्मोत्सवके होने पर कारागारसे बंदियों मांगो, मैं तुझे देता है। क्योंकि जो मेरे पास मांगने को ला उनकी बलि दी जाती थी। इङ्गलैण्डके इतिहास- आता है उसे दूसरेके यहां जानेकी जरूरत नहीं रह में धर्मके लिये अनेक जीवनत्यागियों ( Myrters)का जाती। अच्छा हो! यदि तुम मुझसे और कोई बहु- उल्लेख पाया जाता है। वहां कोई तो राजानुशाके द्वारा मूल्य वस्तु मांगो, मैं उसे दूंगा।' यह सुन कर वामन अस्त्राघातसे खण्ड खण्ड किया जाता था, कोई अग्निदग्ध बोले, "महाराज ! जो मुझे आवश्यक था उसे मैंने आप- हो कर मनुष्यजन्मकी लीलाको समाप्त करता था। ये से कह दिया। क्योंकि विद्वान् अपने प्रयोजनसे अति- या तो राजशन की तरफ या प्रचलित धर्मके विपक्ष जाने- रिक्त वस्तु प्रहण नहीं करते।” वामनके ये उपयुक्त से नरबलि रूपमें मारे जाते थे। यह देखा जाता है, कि बचन सुन बलि उतनी ही जमीन देने राजी हुए। शुक्रा- आजकल शक्तिपूजामें मेष, महिष, छाग, कुष्माण्ड और चार्य विष्णुको पहचान गये और बलिका तिरस्कार कर इक्ष दण्डकी बलि दी जाती है। इन बलियोंमें छागबलि बोले, 'ये साक्षात् सनातन विष्णु भगवान हैं, कश्यपकी ही ज्यादा प्रचलित है। ४ दैत्यभेद, यह सावणि मन्व- भार्या अदितिके गर्भसे वामन रूपमें इन्होंने अन्मप्रहण न्तरमें इन्द्र हुआ था। (मार्कण्डेयपु. ८०।१०) किया है । तुम बिना विचारे भूमि देनेको राजी हुए हो । बलि ( स० पु.) कोई एक असुरराज। प्रहादके पुत्र ये अपने एक पैरसे पृथ्वी लेंगे, दूसरेसे स्वर्ग। इनके विशाल शरीरसे गगनमण्डल व्याप्त हो जावेगा। तीसरे पैर रखनेका स्थान नहीं मिलेगा और नहीं देनेसे तुम्हें देती थी। १४८६ ई०में हिटजिल पोचलिके मन्दिरमें नरक जाना पड़ेगा। अतएव जिस दानसे विपत्ति लक्षाधिक नरबलि हुई थी। अनावष्टि होने पर वे जल- देवता रनलोकको तप्त करने शिशबलि और तेजकाटल- उठानी पड़े, वह दान प्रशंसित नहीं होता। अतः अब पोकाको पूजामें भी सुन्दर सुन्दर सुकुमारका बलि देते। तुम यदि अपनी भलाई नाहो, तो उसे दान मत दो। यही थे। पश्चिम उडिसावासी खोन्दगण तारिपेल्नू नामको एक उपाय तुम्हारी रक्षाका है और नहीं है। इसमें एक खसुमाताके उत्सव में नरबलि अर्पण करते थे। विस्तृत लाभ यह भी है, कि तुमको इससे झूठका पाप भी नहीं विवरण (Prescott's Conquest of Mexico Vol. 1. | लगेगा। क्योंकि परिहासवृत्ति-रक्षा का प्राणसङ्कट p.22, 67-68 &71-74 and Heaviside'sIAmerican Antiquities.) के समय भूठ बोलनेसे दोष नहीं लगता। इस समय