पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२७०

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षडमान-बहुरूपाष्टक बहुमाग ( स० क्ली० ) बहवो मार्गा यस्मिन्, चतुर्विक्ष | बहुरना (हिं. क्रि०) १ लौटना, वापस आना । २ पथवत्वात् तथात्वं । १ चत्वर, चौरस्ता । (लि.)२/ फिर हाथमें आना, फिर मिलना। अनेक पथयुक्त। बहुरसा (सं० स्त्री०) बहूरसो यस्याः। महाज्योति- बहुमुख ( स० पु०) अनेक मुख, बहुतसे मुंह। ष्मती लता । २ रसवती स्त्री। (नि.) ३ बहु- बहुमून ( स० पु०) १ रोगविशेष, एक रोग जिसमें रोगी- रसयुक्त। को मूत्र बहुत उतरता है। (नि.) २ .बहुमूत्ररोगी। बहुरामपुर-तैरभुक्तके अन्तगत एक प्राचीन नगर। प्रहम देखो। (मत्र. ४४२४४) बहुमूत्रता (सं० स्त्री०) बहुमत्ररोग। | बहुराशिक (सपु० ) गणितभेद । एक राशिक बहुमूर्ति ( स० स्त्रो०) वह्नी मूर्तिर्यस्याः । १ वन- द्वारा दूसर करा द्वारा दूसरे राशिककी निदिष्ट राशि जाननेको ही कार्पास, बनकपास। (पु० ) २ विष्णु । (त्रि) बहुराशिक कहते हैं। त्रैराशिक देशो । बहुमूर्तिधर, बहुरूपिया । बहुरिया (हिं स्त्री० ) नई बहू । बहुमूद्धन (सं० पु० ) बहवो मूर्धानो यस्य, 'सहस्रशीर्षा बहुरिबन्द-मध्यप्रदेश के अन्तर्गत एक प्रचीन नगर । यह पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्' इति श्रुनेस्तथात्व। जब्बलपुर नगरसे १६ कोस उत्तर कैमूर गिरिमालाकी विष्णु । अधित्यका भूमि पर अवस्थित है। इस पहाड़ीभूमिमें बहुमूल (सं० पु० ) बहूनि मूलानि यस्य । १ इक्कट, | जल अटकानेके लिये ४५ बांध हैं। वे सब बांध यदि नरसल। २ शिग्रु, सैंजना । ३ स्थूलशर, रामशर, | न होते, तो यह स्थान जलान्य मरुभूमि हो जाता। सरकंडा। (त्रि०) ४ अनेक मूलयुक्त। पूर्वोक्त बांध द्वारा ३६ झोल बन गई हैं। वे सब बांध बहुमूलक (सं० क्लो० ) बहुमूल-कन् । १ उशीर, खस। निकटवस्ती प्रामोंके नामसे ही पुकारे जाते हैं । मुनिया- बोरण, आदिकी जातिके तृण । ३ इक्कट, सरकंडा। ताल नामक बांध लक्ष्मणसिह परिहारके भाई यमुना- बहुमूला ( स० स्त्री०) बहुमूल-टाप । १ शतावरी। २ सिंहसे बनाया गया है। यहां अनेक प्राचीन कीर्तियोंका आमातकवृक्ष, अमड़े का पेड़ । ३ माकन्दी, एक ध्वंसावशेष देखनेमें आता है। प्रकारका कंद । बहुरी (हिंस्त्री०) चर्वण, चबेना। बहुमूल्य (सं० वि०) बहूनि मल्यानि यस्य । महा- बहुरुहा (स स्त्री०) बहु यथातथा रोहतीति रुह-क- ध्य वस्तु, अधिक मूल्यका, कीमती। राप। कन्दगुड़ ची। बहुयज्वन् (सं० वि०) बहुपूजाकारी। बहुरूप (सपु०) वहनि-रूपाणि यस्य । १ सज रस । बहुयाजिन् ( स० वि०) बहुयझके कर्ता। २ शिव । ३ विष्णु। ४ कामदेव। ५ सरट, गिर- बह योजना (सं० स्त्री०) स्कन्दानुचर मातृकाभेद ।। गिट। ६ ब्रह्मा। ७ केश। ८ रुद्र । ६ प्रियव्रतके बहुरंगा (हिं० वि० ) १ चित्रविचित्र, कई रंगका। २ पुन मेधातिथिके एक पुनका नाम । १० वर्षमेद । १९ बहुरूपधारी। ३ अस्थिर चित्तका, मनमौजी। बुद्धविशेष। १२ ताण्डव नृत्यका एक भेद जिसमें बहुरंगी (हि. वि०) १ बहुरूपिया, अनेक प्रकारके रूप- | अनेक प्रकारके रूप धारण करके नाचते हैं। १३ शाल- धारण करनेवाला। २ अनेक रंग दिखलानेवाला। निर्यास, धूना। १४ नानाकपयुक्त, अनेक रूप धारण बहुरथ ( स० पु० ) एक राजा। करनेवाला। बहुरद (सं.पु.) जातिविशेष, किसी किसीने इन्हें बहुरूपक (सपु०) बहुरूप-साथै कन् । जाहकजन्तु । 'बाहुबाघ' बतलाया है। बहुरूपा (सं० स्त्री०) बहुरूपस्य शिवस्य स्त्री-टाप् । १ बहुरन्धिका ( स० स्त्री० ) बहूनि रन्धाणि यस्याः, | दुर्गा। २ मम्निकी सात जिहाओमसे एक। बहुरन्ध-टाप, संज्ञायां कन्-टापि मतइत्थं। मेदा। बसपाठक (सी०) तन्नविशेष । ब्राह्मी, माहेश्वरी,