पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२८०

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बांकीपुर-बांकुड़ा

तथा देशा० ८४१२ से ५१७ पू०के मध्य अवस्थित है। तथा समुद्रपथके वाणिज्य प्रभाषसे इनका वाणिज्योथम भूपरिमाण ३३४ वर्ग मील और जनसंख्या साढ़े तोन बिलकुल जाता रहा । १७८४ ईमें अंगरेज, ओलन्दाज और लाखके करीब है । इसके उत्तरमें गङ्गा बहती है। जर्मनोंने मिल कर मुसलमान फौजदारके विरुद्ध अस्त्रधारण इसमें पटना और फुलवारी नामके २ शहर और ६७५ किया। मुसलमानी सेनाके बाकीपुरमें घेरा डालने पर ग्राम लगते हैं। अष्टेण्ड कम्पनीके एजेण्टने गोला वर्षण द्वारा उन्हें आहत २ उक्त विभागका एक प्रधान शहर। यह अक्षा० कर डाला जिससे वे सबके सब प्राण ले कर भागे। २५.३७ उ० तथा देशा० ८५ ८ गङ्गाके दाहिने किनारे जर्मन-बणिकसम्प्रदायको बाणिज्यरूपी आशा-लता जड़से अवस्थित है। प्राचीन पटना राजधानीके पश्चिम उप- उखाड़ दी गई । अवशिष्ट जर्मन कर्मचारिगण इस स्थान- कण्ठमें अवस्थित रहने और यूरोपीयगणके बास का परित्याग कर अपना बोराबधना ले यूरोप भागे। स्थान होनेके कारण यह स्थान विशेष समृद्धिशाली हो बाकुडा-- बङ्गालके वर्द्धमान विभागान्तर्गत एक जिला । गया है। प्राचीन गंगा नदीके खातके ऊपर राजकीय | यह अक्षा० २.३८ से २३३८ उ० तथा देशा०८६३६ अट्टालिका और अगरेजों के आवास-भवन अवस्थित है। से ८७°४६ पू०के मध्य अवस्थित है। इसके उत्तर और इस नगरके मिठापुर नामक विभागमें इष्ट इण्डिया और पूर्व में दामोदर नदी, दक्षिणमें मेदिनीपुर और पश्चिममें पटना-गया रेलवेका टेशन है। बांकीपुरसे प्राचीन मानभूम जिला है। भूपरिमाण १६२१ वर्गमील है। पटना राजधानीमें जाने आनेकी सुबिधाके लिये हालमें इसका पूर्वाश प्रायः समतल है । जितना ही उत्तर और एक और स्टेशन खोला गया है। यहांसे आध कोसकी पश्चिम बढ़ते जाय, उतना ही गण्डशैल और जङ्गलभूमि दूरी पर गोला नामक स्थान है । यहांका गोलघर नजर आती है। यह विस्तीर्ण शैलश्रेणी समुद्रपृष्ठसे देखने लायक है। स्टेशनके पास हो कारागार है १४०० फुट ऊंची है। सुशुनिया नामक पहाड़ जहां करीब पांच सौ कैदी रस्त्रे जाते हैं। १८८३ ई में १४४२ फुट ऊँचा है। उस पहाड़के शिखर पर राजा स्थापित 'बिहार नेशनल कालेज में बी० ए० तककी पढ़ाई चन्द्रवर्मदेवकी एक शिलालिपि पाई गई है। दामोदर और होती है। इसके अलावा यहां जनाना-हाई-स्कूल भो है ! दलकिशोर वा द्वारकेश्वर यहांकी प्रधान नदो है। वर्षा- जो पटना विश्वविद्यालयसे सम्बन्ध रखता है। ऋतुमें इनके कलेवरको वृद्धि होती है। इस समय पर्वत पटना देखो। परका जल हठात् बाढ़की तरह आ कर आस पासके बांकीपुर बारकपुरके उत्तर पलताके निकटवत्ती एक प्राचीन स्थानोंको बहा देता है। ऐसी बाढका आगमनकाल निश्चित ग्राम। यह हुगली नदीके किनारे अवस्थित है। पहले नहीं रहता जिससे सैकड़ों आदमी प्राणसे हाथ धो बैठते यहां अष्टेण्ड कम्पनी (Ostendl Compas)-को बाणिज्य- हैं। विष्णुपुर नगरके समीप पूर्वतन राजाओंको अक्षय कोठी थी। अष्ट्रियाराजने पूर्व भारतीय वाणिज्यका कोर्ति देखनेमें आती है। अंश लेनेकी आशासे १७२२:२३ ई०में यह बणिकसमिति पहले यह स्थान वद्ध मान चकलाके अन्तभुक्त था। संगठन की। इसके कर्मचारिगण अकसर अंगरेज और १७६० ई०की २७ वी सितम्बरको यह वृटिशगवर्मेण्टके ओलन्दाज लोग होते थे। जर्मन सम्राटके भारत-वाणिज्य हाथ लगा। अंगरेजोंके बंगालकी दीवानी पानेके बाद लूटनेसे उक्त गिक-समितिका अधःपतन हुआ । जर्मन भो बाकुड़ा ( उस समय विष्णुपुर जमींदारी नामसे र्वाणकदलने भारतवर्ष में आ कर मन्द्राजके कोभेला और प्रसिद्ध था ) वीरभूम जिलेके अन्तर्गत था। बङ्गालके बाकीपुरमें कोठी खोली । जर्मनोंके अभ्युदय पर विष्णुपुर राजवंशका इतिहास ले कर इस जिलेका अंगरेज, फरासी और ओलन्दाज बणिक सम्प्रदाय विच विस्तृत इतिहास बना है। ११वीं शताब्दीमें यह स्थान लित हो गये। १७२७ ई०में भियना राजदरबारके बाधा विशेष समृद्धिशाली था। राजप्रासाद, नाट्यशाला, डालने और धीरे धीरे अन्यान्य सम्प्रदायोंकी उन्नति अश्व और हस्तिशाला, सेनाबारिक, अस्त्रागार, धनागार,