पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२८१

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बांकुड़ा-यांना २७१ देवमन्दिर और पुष्करिणी आदिसे नगरने अपूर्व शोभा कालेज है। स्कूल के अलावा १० अस्पताल और कुष्ठा- धारण की थी। परवर्तीकालमें यहांके हिन्दूराजगण | श्रम हैं। कभी तो शलभावमें मुसलमान नवाबों के प्रतिकुलाचरण २ उक्त जिलेका पश्चिम उपविभाग। यह अक्षा० करते थे और कभी मित्रभावमें उन्हें सहायता पहुंचाते २२३८ मे २३३८ उ० तथा देशा० ४६ ३६ से ८७ थे। ये लोग कभी भी मुर्शिदाबादके राजदरवारमें ! २५ पूछके मध्य अवस्थित है । भूपरिमाण १९२१ वर्ग- हाजिर नहीं होते थे। १८वीं शताब्दीमें इस राज्ञवंशकी मील और जनसंख्या ७ लाखसे ऊपर है। इसमें वांकुड़ा अवनति हुई। मराठा-डकैतोंके आक्रमण, मुसलमान नामका १ शहर और ४०६६ ग्राम लगते हैं। नवाबोंके अयथा करसंग्रह और १७७० ई०के महादुर्भिक्ष ३ उक्त उपविभागका एक शहर। यह अक्षा० २३ से विष्णुपुर जनहीन हो गया। विष्णुपुर राज्यका अधि- १४ उ० तथा देशा० ८७४ पू० धवलकिशोर नदीके कांश स्थान अरण्यमें परिणत हुआ। इस प्रकार धनहीन उत्तरी किनारे पर अवस्थित है। जनसंख्या प्रायः हो जानेसे राजाने अपनी मदनमोहन देवमूर्ति कलकता- २०७३७ है, हिन्दूको संख्या ज्यादा है। कहते हैं, कि वासी गोकुलचन्द्र मित्रके यहां बंधक रखो। पीछे अर्थ बांकूरायने इस नगरको बसाया था, इसीसे इसका बांकुडा संग्रह करके उक्त मूर्ति छुड़ानेके लिये उन्होंने मन्त्रीको नाम पड़ा है। उनके वंशधर आज भी इस शरमें वास कलकत्ता भेजा । गोकुलमित्रने रुपये ले कर भी देवमूर्ति करते हैं। टसरके कपड़े का यहां अच्छा कारबार चलता लौटाना न चाहा । इस पर राजाने देवमूर्तिकी पुनःप्राप्तिके है। १९०२ ई०में जो कुष्ठाश्रम खोला गया है उममें ७२ लिये कलकत्ते सुप्रिमकोटमें नालिश ठोंक दी। देवमूर्ति रोगो रग्वे जाते हैं। जलवायु स्वास्थ्यप्रद है। उन्हें वापस मिली । विस्तृत विवरण विष्णुपुर शब्दमें देखो। forणुपुर देखो। ____ अंगरेजोंके अधीन आने पर भी यहाको दुर्गति दूर न बांकुड़ी ( हिं० स्त्री० ) यांक ही देखो। हुई। महाराष्ट्रीय और मुसलमानोंके अयथा करसंग्रह ' बांग ( फा० स्त्री० ) १ शब्द, आवाज । २ चिलालाहट, से अव्याहति पाने और प्रजाका कष्ट दूर होने पर भी पुकार। ३ वह ऊ'चा शब्द वा मन्त्रोच्चारण जो नमाज १७७०ई०के दुर्भिक्षसे जो लोगोंको महता क्षति हुई थी का समय सूचित करनेके लिये कोई मुल्ला मसजिद में उससे वे अपनी अवस्था जरा भी सुधार न सके। करता है, अजान। ४ प्रातःकालके समय मुरगेके बोलने विष्णुपुरके ध्वंसावशिष्ट दुर्गमें एक प्राचीन कमान रखी का शब्द। हुई है जो १२॥ फुट लम्बो है । प्रवाद है, कि वह कमान बांगड़ (हि० वि० ) मूर्ख, बेवकूफ। देवतासे राजाको मिली थी। बांगर ( हिं० पु० ) १ छकड़ा गाडोका वह बांस जो फड़के इस जिलेमें ३ शहर और ३५९२ ग्राम लगते हैं । जन- ऊपर लगा कर फड़के साथ बांध दिया जाता है। २ संख्या ग्यारह लाखसे ऊपर है, जिनमेंसे हिन्दूको संख्या अवधमें पाये जानेवाले एक प्रकारके बैल। ३ खादरके अधिक है। इस जिले में कोढ़की शिकायत बहुत है । महा-, विरुद्ध वह भूमि जो कुछ ऊचे पर अवस्थित हो, वह मारीका भी अकसर प्रकोप देखा जाता है। यहांकी प्रधान भूमि जो नदी झील आदिके बढ़ने पर भी कभी पानी में न उपज धान, ईख, गेहूं, मकई, लाह और रुई है। पहले यहां डूबे । नोलकी अच्छी खेती होती थी, पर अब उसका बिलकुल बांगा (हिं० पु० ) वह रुई जो ओटी न गई हो, कपास । हास हो गया है। रेशमी, सूतीके कपड़े, पीतल और बांगुर (हिं० पु० ) पशुओं या पक्षियों के फंसानेका जाल, तांबेके अच्छे अच्छे बरतन तैयार होते हैं । बांकुड़ा शहर- फंदा । में टसरका अच्छा कारबार होता है। बांचना (हिं० कि० ) १ पढ़ना। २ शेष रहना, वाकी - विद्या-शिक्षामें यह जिला बहुत बढा चढ़ा है। अभी रहना। ३ बचाना, छोड़ देना। यहां कुल मिला कर १३८८ स्कूल हैं जिनमेंसे एक शिल्प- बांछना (हिं० कि० ) १ अभिलाषा करना, चाहना, इच्छा