पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२७५ बांसदिहा-बांसफोड़ बालिका-विद्यालय, औषधालय आदि प्रतिष्ठित हुए हैं। देखा जाता। नेपाल सीमान्तबासी बांसफोड़ वहांके हो वांसदिहा-१ युकप्रदेशके वलिया जिलेकी एक तहसील । विभिन्न थाकमें डीह-विवाह करते हैं। मिर्जापुर में महा- यह अक्षा० २५४७ से २६ उ० तथा देशा० ८३५४ से वती, चमकल, गौसल, समुद्र, लहर, कलई, मगरिह, ८४३१ पू० के मध्य अवस्थित है । भूपरिमाण ३७१ वर्ग : सहा आदि अनेक थाक हैं। इनमें सपिण्ड विवाह भी मील और जनसंख्या ३ लाखके करीब है इसमें ५ शहर चलता है । किन्तु ममेरी वा फुफेरी बहनसे शादी और ५१५ ग्राम लगते हैं। बहुत-सी छोटी छोटी नदियां नहीं होती। यहां तक कि जिस घरमें बांसफोड़ नाते- तहसीलके मध्य होती हुई घघरामें मिली हैं। प्रतिवर्ष दार कन्याका विवाह होता है उस घरमें बिना दो तीन वर्षाऋतु इसका अधिकांश स्थान घघराकी बाढ़से बह पीढ़ी वीते दूसरा विवाह नहीं हो सकता। गोरखपुरके जाता है। घरबाड़ी, बांसफोड, माङ्गता, डोम, धरकार, नाटक, २ उक्त तहसीलका एक शहर । यह अक्षा० २५५३ उ० तसिहा, हलालखोर, कूच वांधिया प्रभृति विभिन्न थाकों- और शा० ४१४ पू० बलिया शहरसे १० मोल उत्तर में विवाहादि क्रिया होती है। पड़ता है। जनसंख्या प्रायः १००२४ है। पहले यह स्थान ये लोग अनेक विषयों में हिन्दका अनुकरण करते हैं। नरौलिया राजपूतके अधिकारमें था। पीछे भूमिहारोंने समाजशासनके लिये इनमें एक नेता होता है जिसे सब इसे खरीद लिया। शहरमें अभी १ चिकित्सालय और कोई 'मोडल' कहते हैं। समाजमें जब अनीति अनाचार या विभ्राट उपस्थित होता है, तब वह अनेक सदस्योंकी बाँसपूर ( हि पु० ) एक प्रकारका बारीक कपड़ा । कहते सम्मति ले न्याय करता है। यदि कोई नीचाशय व्यक्ति हैं, कि यह इतना महीन होता था, कि इसका एक थान धोविन या डोमिनके साथ आसक्त होता है, तो वह जन्म बांसके चोंगेमें भरा जा सकता था। भरके लिये जातिच्युत किया जाता है। स्त्रियोंको भी बांसफल (हिं पु० ) संयुक्तप्रान्तमें पैदा होनेवाला एक इसी प्रकार दण्ड मिलता है। यदि कोई उच्च जातिकी प्रकारका धान । स्त्रीके प्रममें फंस जाय, तो वह एक जातीय भोज देने बांसफोड़--युक्तप्रदेशमें रहनेवाली निकृष्ट जाति। यह मात्रसे ही फिर समाजमें आ सकता है। इच्छानुसार डोम नामकी नीच जातिको एक शाखा है। बांस फाड़ना एक दो या तीन व्याह तक ये करते हैं। कोई भी पुरुष या धर्रामीका कार्य करना इनका जातीय व्यवसाय उपपत्नी नहीं रख सकता और न स्त्री हो स्वामीके रहते है, इसीसे यह नाम पड़ा है। मिर्जापुर-वासी बांस- दूसरा स्वामी कर सकती है। स्त्री यदि दूसरे पुरुषके फोड़ोंका कहना है, कि वे रेवा नगरके उत्तर पश्चिमस्थ प्रेममें फंसी हो, तो उसके स्वामी और पिताको एक बड़ा वीरसितपुर नामके स्थानसे यहां आये हैं। गोरखपुर- भोज देना पड़ता है। दोष साबित न हो, तो स्त्रीको बासी अपनेको घरवाड़ी डोम बतलाते हैं। ये दूसरोंको सजा नहीं मिलती। अपनी जातिमें मिला सकते हैं । यदि कोई इस जातिको इन लोगों में बालिका-विवाह ज्यादा होता है। यदि रमणी पर आसक्त हो इनमें मिलना चाहे, तो उसे महा- व्याहके पहले कोई लड़की ऋतुमती होवे, तो उसका भोज देना पड़ता है। पीछे उस जातिके साथ एकत्र पिता जातिच्युत किया जाता है। वरका मामा म्याह स्थिर बैठ कर मद्य पान करनेसे उसको इस जातिका पूर्ण करता है । सम्बन्ध स्थिर हो जाने पर कन्याके पक्षमें ४) भधिकार प्राप्त हो जाता है। रु०पहिले जमा करना पड़ता है। यदि कोई स्त्री स्वामी ये लोग डोम जातिके अन्तर्मुक्त होने पर भी कभी का तिरष्कार करे वा उच्छिष्ट भोजन सानेको दे, तो वह कभी अपनेको धानुक बतलाते हैं। भागलपुर शहरमें जो समाजकी अनुमति ले कर उसका त्याग कर सकता है बांसफोड़ हैं उनमें पङ्गत-विवाह प्रचलित है । किन्तु और दूसरा विवाह भी कर सकता हैं। विधवा उस जिलेके बाहर कहीं भी पङ्गस्त-विवाह प्रचलित नही | सगाई या धरैजा करती हैं और उनके पुत्र और कन्या