प्रपोज-प्रोम है। जनसंख्या चौदह हजारसे ऊपर है। यहां जिला.. समृद्धिशाली नगरीके ध्वंसावशेषके निदर्शन पागोदा मुंसिफकी अदालत और दो रूईके कारखाने हैं। अलावा : आदि आज भी धान्यक्षेत्र और दलदल स्थानोंमें दूष्टि इसके तीन प्राचीन मन्दिर भी देखे जाते हैं। नील ही गोचर होते हैं। ऐतिहासिकोंका कहना है, कि थ-रे- यहांका प्रधान व्यवसाय है। खेत्र नगरके चारों किनारे प्रायः २० कोस परिधियुक्त प्रपोज (अॅ० क्रि०) १ तजवीज करना । २ प्रस्ताव करना। प्राचीर था जिसमें ३२ बड़े और २३ छोटे दरवाजे थे। प्रोपोजल ( अ० पु०) प्रस्ताव । श्रो शताब्दीमें वह नगर श्मशानमें परिणत हो गया। प्रोप्राइटर ( अं० पु० ) स्वामी, मालिक । फार्वेश साहब (Captain c. D. F. Forbes)ने लिखा प्रोफेसर ( पु० १किसी विषयका पूर्ण ज्ञाता, भारी है, कि ब्रह्मके इतिहासानुमार मालूम होता है, कि प्रोम- पण्डित। २ किसी विश्वविद्यालय आदिका अध्यापक। राजवंशने ४४४ खु०पू०से १०७ ई. तक राज्य किया था। प्रोबेशन ( अपु० ) काम करनेकी योग्यताके सम्बन्धमें . उन राजवंशके तृतीय राजाके शासनकालमें भारत-इति- जांच।
- हासमें भी दो प्रसिद्ध घटनाएं घटीं । एक ३२५ ख०पू०में
प्रोबेशनरी ( अं० वि० ) १ योग्यताकी जांचसे सम्बन्ध महावीर अलेकसन्दर कर्तृक भारत-आक्रमण और रखनेवाला। २ जो इस शर्त पर रखा जाय, कि यदि . दूसरी सम्राट अशोकके राज्याशासनके समय अहत् संतोप-जनक कार्य करेगा, तो स्थायी रूपमें रख लिया मोगगलि-पुत्रकी अधिनायकतामें ३०८ ख०पू०को तृतीय जायगा। महाबौद्धसङ्घ। प्रोम -निम्नब्रह्मके पेगू जिलान्तर्गत एक जिला । यह ___इसके बाद ६०० खु०पू०के निकटवत्तीं ममयसे ही इरावती नदोकी विस्तीर्ण उपत्यकाभूमि पर अक्षा० १८ विभिन्न देशोंकी ऐतिहासिक घटनावलोके साथ यहांका १८ से १६ ११ उ० और देशा० ६४ ४१ से १५५३ : ऐतिहासिक युग निणीत होता है। उस समय सिंहल- पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण २६१५ वर्गमील द्वीपमें बौद्धशास्त्र देश-भाषामें लिखे गये । तालपनमें है। इसके उत्तरमें थयेत् म्यो, पूर्व में पेगुयोमा पर्वतमाला, लिखित ब्रह्मके इतिहासमें घटनाका ते-प राजाके १७वें दक्षिणमें हेनजादा और थरावती तथा पश्चिममें आराकन : वर्षमें संघटित होना लिखा है। वह राजा पहले बौद्ध- गिरिश्रेणी है। मठमें धर्मालोचना करते थे। पूर्ववत्तीं राजाके कोई ___ इरावती नदीके उत्तरसे दक्षिणकी ओर बहनेके कारण सन्तान न रहनेके कारण उन्होंने इस बालकको गोद जिला दो भागोंमें विभक्त हुआ है। दोनों ही भाग वन लिया था। इस राजाका सिंहासनारोहणकाल १०० मालासे समाच्छन्न है और बीच बीचमें पर्वतमालानिःसृत स्व०पू०के किसी समय होगा। ये ही श्रीक्षेत्र राजवंशके छोटी छोटी स्रोतस्विनीके बहनेसे वहांको शोभा देखते : १९वें राजा थे। बन आती है । इन सब नदियोंमेंसे दक्षिण-पश्चिममें प्रवा- उस ते-प-राजवंशने प्रायः २०२ वर्ष तक थ-रे-खेलका हित ना-विन् नामक नदी ही सबसे बड़ी है। शासन किया। इसके बाद गृहविवादसे राज्य उजाड़. प्राचीनकालमें प्रोमराज्य विशेष समृद्धिशाली था। सा हो गया था। इसी समय आराकनवासी कन-रन- ब्रह्म-ऐतिहासिकोका कहना है, कि गौतम बुद्ध प्रोमराज्य लोगोंने उस पर अपना अधिकार जमा लिया। उस समय देखने आये और अपना धर्ममत प्रचार कर गये। उन्होंने थ-प-न्य राजा थे। समुद्वक्ष पर गोमय देख कर कहा था, कि एक समय वैदेशिकोंकी आगमनवार्ता सुनते ही राजाके भतीजे ( १०१ वर्ष बाद ) उस स्थान पर थ-रे क्षेत्र (श्रीक्षेत्र) थ-मुन-द-वित् प्रोमके दक्षिण-पूर्व तौङ्ग ग्नु नामक स्थान- नगर बसाया जायगा और उस महानगरीमें बौद्धधर्म को भाग चले। किन्तु कनरनोंने उनका पीछा किया, पूर्ण प्रतिष्ठालाभ करेगा।' आगे चल कर यथार्थ में ऐसा तब वे इरावती नदी पार कर उत्तर मिन्सून नामक स्थान- ही हुभा। वर्तमान प्रोम नगरसे ३ कोस पूर्व उस महा-! में जा छिपे। कनरनोंने उन्हें वहांसे खदेड़ा। अब वे