पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२९८

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२६२ बाबर-बापयतो (छोटी) उ० तथा देशा० ७६ २५ पू०के मध्य अवस्थित है। २६ पू०के मध्य अवस्थित है ।भूपरिमाण ४०५ वर्गमील बाघंबर (हिं० पु० ) १ बाघको खाल जिसे लोग विशेषतः, और जनसंख्या तीन लाख के लगभग है। इसमें ६ शहर साधु, त्यागी और अमीर बिछाने आदिके काममें लाते और २१८ प्राम लगते हैं। यह तहसील हिन्दन और हैं। २ एक प्रकारका रोएंदार कंबल जो दूरसे देखने पर यमुना नदीके मध्यस्थलमें पड़ती है। बाघको स्वालके समान जान पड़ता है। • २ उक्त जिलेका एक प्रधान शहर। यह अक्षा० २८ वाघ (हिं० पु०) शेर नामका प्रसिद्ध हिंसक जन्तु । ५७ उ० तथा देशा० ७७१३ पू० मीरट शहरसे ३० मील व्याघ्र देखो। पश्चिममें अवस्थित है। जनसंख्या करीब ५६७२ है। बाघ -मध्यप्रदेशके भण्डारा जिले में प्रवाहित एक नदी। महाभारतमें इस नगरका उल्लेख है। राजा युधिष्ठिर वह किचगढ़के निकटवर्ती पर्वतमालासे निकल कर कुछ दिन यहां ठहरे थे। नगर दो भागोंमें विभक्त है, बालाघाट जिलेको शोण और देव नामक शाखा-नदीमें एक भागमें कसबा ( गृहस्थ ) और दूसरे भागमें मण्डि मिलती है। बर्षाके समय इस नदीमें पण्य-द्रष्य ले कर ( वणिक ) रहते हैं। यमुना पार करनेके लिये नगरके गमना गमन किया जाता है। बाहर एक पुल है । यहांके अधिवासिगण चौहान बाघ ---१ ग्वालियर राज्यके भोपावर ऐजन्सीके अधिकृत एक वंशीय राजपूत हैं। चीनीकी बिक्रीके लिये यह स्थान परगना । इसको लम्बाई १४ मील और चौड़ाई १२ मील बहुत कुछ मशहूर है। अलावा इसके रुई, गेहू', लाल है। इस बनमय पार्वतीय स्थाममें भीषणकाय भील मिर्च, सजीमट्टी पंजाब, राजपूताने तथा बुन्देलखण्डके जातिका बास है। यहां लोहेकी एक खान है। नाना स्थानोंमें भेजी जाती हैं। शहर में तीन स्कूल हैं। २ ग्वालियर राज्यके अन्तर्गत एक छोटा नगर। यह बाघमती-उत्तर-विहार में प्रवाहित एक नदी । यह नेपाल- भक्षा०२२२४ उ० तथा देशा०७४४८३०प्र०गिउना। राज्यके काठमण्ड नगरसे निकल कर मुजफ्फरपुर, और वग्नी नदीके सङ्गम-स्थल पर अवस्थित है। जन चम्पारण और दरभंगा जिलेके मध्य होतो हुई बूढी गण्डक- संख्या दो हजारके करीब है। यहांका पञ्चपाण्ड नामक में मिली है। पर्वतके ऊपर हो कर बहनेके कारण वर्षा गुहामन्दिर बहुत कुछ प्रसिद्ध है। बिन्ध्यगिरिमालाके कालमें उसका जलप्रवाह बहुत अधिक हो जाता है। दक्षिणस्थ पार्वत्य भूमिके ऊपर यह गुहामन्दिर स्थापित कभी कभी इसमें ऐसी बाढ़ उमड़ आती है, कि आस- है। यहांके बौद्ध-विहार अजण्टाके गुहामन्दिरके जैसे पासके गांवोंकी बड़ी क्षति होती है। हैयाघाटके निकट हैं। ये सब ५वीं से ७वीं शताब्दीके मध्यके बने हुए इसको करई नामक शाखा निकल कर तिलकेश्वरमें तील- हैं, ऐसा प्रत्नतत्वविदोंका विश्वास है। युगा नदीमें गिरी है। लालवाफ्य, भुरेङ्गो, लावनई, वाघखाली-चट्टप्रामके अन्तर्गत एक छोटी नदी। छोटो वाघमती, धौस और झिम नामक इसकी शाखाए बाघजला---बङ्गालके २४ परगनेके अन्तर्गत एक नगर । प्रधान हैं । मलाईसे बेलनपुर-घाट तक वाघमतीका पुराना यह अक्षा० २२ ४७ ३८” उ० तथा देशा० ८८४७१६ | गर्भ दृष्टिगोचर होता है। वर्षाकालमें बाधमतीका स्रोत पू०के मध्य अवस्थित है । दमदमाका सेना-वास भी बहने के कारण उसके कलेवरकी वृद्धि होती है। परन्तु इसी नगरकी सीमाके अन्तभुक्त है। शीतकालमें उसमें सिर्फ २ फुट जल रह जाता है। पुरा- बाधबङ्गा-यशोर जिलेके अन्तगत एक छोटा ग्राम । यह तन गर्भके. पूर्वकूलमें बहुत-सी नीलकोठी देखने में अक्षा० २३ १३ उ० तथा देशा० ८६ १२° पू०के मध्य | आती हैं अवस्थित है। यहां मट्टीके अच्छे अच्छ. बरतन तैयार बाघमती (छोटी)-बाधमती नदीकी एक शाखा जो होते हैं। . . मुजफ्फरपुर जिलेमें बहती है। हैयाघाटसे ले कर दर- बाघपत-युक्तप्रदेशके मीरट जिलेकी तहसील । यह अक्षा भङ्गा तक इसमें वाणिज्य-पोत आ-जा सकते हैं। कमला, २०४७ से २६ १८ उ० तथा देशा०७७७ से.७७ । धौस और मिम इसके कलेवरकी वद्धि करती है।