पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३१३

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३०७ बादामा-बादी पारस्य प्रभृति देशोंमें यह पैदा होता है। इसका गोंद ऊपर भगवान् विष्णु नरसिंहरूपमें स्थापित हैं। यूरोपमें 'Hog-tragacanth' नामसे बिकता है तथा अलावा इसके यहां सैकड़ों हिन्दूमन्दिरके निदर्शन देखे असल टागाकान्यके बदले में इसका व्यवहार होता है। जाते हैं। १७वीं शताब्दीमें यूएनचुवङ्ग यहां आये हुए तिक्त बादाम विरेचक औषधिके रूपमें प्रयोग किया थे। उस समय यह स्थान विजयनगरके राजाओंके जा सकता है। कभी कभी स्नायवीय वेदना, उसका अधिकारमें था। १८१८ ई०में जनरल मनरोने इसे प्रलेप करनेसे पीड़ा धीरे धीरे दूर हो जाती है। यह अगरेजी राज्यमें मिला लिया । १८४० ई०में निजामराज्य- दृष्टिशक्तिवद्ध क है। पिपरमेण्टके साथ इसके दूधका की मोरसे १२५ अरबोंने नरसिंह नामक एक अन्ध सेवन करनेसे सदी दूर होती है। साधारणतः यह तेज, ब्राह्मणको अधिनायकतामें इस प्राम पर दखल जमाया, स्वास्थ्यकर, मूत्रकारक, अश्मद्रवकर, प्लीहा और यकृत अङ्गारेजी-खजाना लूटा और लूटका माल एक एक करके दोषनाशक है। वांट कर माथेके वालोंमें लगानेसे जूं । निजाम-राज्य पहुंचाया । किन्तु इसके सात दिनके मर जाती हैं। इसके रेशेका गुण-धातुपरिवद्धक और बाद ही वे सबके सब पकड़े गये और जीवन भरके लिये स्वास्थ्यकर है। अवस्था विशेषमें इसके रसका सेवन कालापानी भेज दिये गये। शहरमें सिर्फ एक स्कूल है। तथा प्रलेप किया जाता है। बादामके रसका चीनीके वादि (हिं० अव्य०) व्यर्थ, फजुल। साथ सेवन करनेसे छीके बंद होती हैं। | वादिन्-१ सिन्धुप्रदेशके हैदराबाद जिलान्तर्गत एक बादामा (फा० पु.) एक प्रकारका रेशमी कपड़ा। तालुक। यह अक्षा० २४१३से २४.५८ उ० तथा देशा० बादामी (फा० वि० ) १ बादामके छिलकेके रंगका, कुछ ६८४३ से ६६१६ पू०के मध्य अवस्थित है। जनसंख्या पीलापन लिये लाल रंगका । २ अण्डाकार, बादामके प्रायः ७३८२३ है । इसमें कुल १६५ ग्राम लगते हैं। यहांकी थाकारका । (पु.)३एक प्रकारका धान । ४ बादामके प्रधान फसल धान और ईख है। आकारकी एक प्रकारकी छोटी डिबिया जिसमें गहने २ उक्त तालुकका एक शहर। यह अक्षा० २४.३८ आदि रहते हैं। ५ यह ख्वाजासरा जिसकी इन्द्रिय बहुत उ० तथा देशा०६८५४ पू० हैदराबाद शहरसे ६२ मीलकी छोटा हो। ६ पानीके किनारे रहनेवाली एक प्रकारकी दूरी पर अवस्थित है। जनसंख्या २ हजारसे ऊपर है। छोटी चिड़िया। इसका प्रधान खाद्य मछली है। १७५० ई०में सवालो नामके किसी हिन्दू व्यक्तिने इस बादामी-१ बम्बईके बीजापुर जिलेका एक तालुक। यह नगरको बसाया । विख्यात पठान सरदार मदद उर्फ शाह अक्षा० १५४६ से १६ उ तथा देशा० ७५.१० से ७६ नसिरुद्दिनने इसे तहस नहस कर डाला। यहां घी, चीनी. ३२ पू०के मध्य अबस्थित है। भूपरिमाण ६१५ वर्गमील गुड़, दधि, तमाकू, चमड़े,रई और लोह-पित्तलादि धातु- और जनसंख्या लाखसे ऊपर है। इसमें १ शहर और निर्मित द्रष्यका यथेष्ट बाणिज्य चलता है। प्रति वर्षके ११७ प्राम लगते हैं। यहांकी आबहवा जिले भरमें जूनमासमें एक बड़ा मेला लगता है। शहरमें सिर्फ एक खराब है। अस्पताल है। २ उक्त तालुकका एक प्रधान शहर । यह अक्षा० १५- बादिपुरी-मन्द्राज प्रदेशके नेल्लूर जिलेके अन्तर्गत एक ५५ उ० तथा देशा० ७५ ४१ पू०के मध्य अवस्थित है। भूसम्पत्ति । जनसंख्या लगभग ४४८२ है । यहां ६५० ई०में निर्मित | वादिया-पश्चिम बङ्गवासी जातिविशेष । एक जैन गुहामन्दिर और ५७६ ई०में उत्कीर्ण शिलालिपि- वादिया (हिं० पु०) लोहारोंका एक औजार जिससे पेच युक्त तीन हिन्दू गुहामन्दिर बाहिर हुए हैं। बौद्धधर्मकी बनाया जाता है। अवनतिके समय जब हिन्दुओंकी प्रधानता फिरसे स्था- | वादी (फा०वि० ) १ वायु सम्बन्धी । २ वायुविकार- पित हुई, तब इन सब मन्दिरोंका निर्माणकार्य सम्पन्न संबंधी। ३ वायुकुपित करनेवाला, विकार उत्पन करने- हुआ था। यहांके एक मन्दिरमें पञ्चशीर्ष सर्पमूर्तिके! पाला । (स्त्री०) ४ शरीरस्थ वायु, पातविकार । (पु०)