पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३१५

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बाधकता-बाना रक्तमाद्रिमें-कदि, नाभि पेडू आदिमें घेदना होती बाध्य ( स० वि०) बाध-यत् । १ बाधनीय, बाधितव्य । है और ऋतु ठोक समय पर नहीं होता। इस प्रकारके २ निर्वस्य । ऋतुमें सन्तान नहीं होती। बाध्यता स० क्ली०) बाधस्य भावः बाध्य-तल-टाप । __यष्ठी बाधकमें-ऋतुकालमें आँखों, हथेलियों और बाध्यत्व । योनिमें जलन होती है और रक्तस्राव लालायुक्त होता बाध्योग ( स० पु० ) वध्योग-विवादित्वादण । वध्योगका है तथा ऋतु महीनेमें दो बार होता है। गोलापत्य । ___ अंकुरवाधकमें--ऋतुकालमें उद्वग रहता है। शरीर बाध्योगायन ( स० पु० ) बाध्योगस्य गोलापत्यं हरितादि- भारी रहता है, रक्तस्राव बहुत होता है, नाभिके नीचे त्यात् फक। बाध्योगका गोलापत्य । शल होता है, तीन तीन चार चार महीने पर ऋतु होता है, बान (हिं. पु.) १ शालि वा जडानको रोपनेके समय हाथ पैरमें जलन रहती है। उतनी पेड़ियां जो एक साथ ले कर एक स्थानमें रोपी जलकुमारबाधक रोगमें-शरीर सूज जाता है, बहुत दिनों जाती हैं। २ अफगानिस्तान तथा आसाममें होनेवाला में ऋतु हुआ करता है सो भी बहुत थोड़ा। गर्भ न एक पेड़ । यह मात हजारसे नौ हजार फुटकी ऊंचाई रहने पर गर्भ सा मालूम होता है। इन चारों बाधकों- तक होता है। पतझड नहीं होने पर भी बसन्तऋतुमें से प्रायः गर्भ नहीं रहता। पीछे इसकी प्रतिषेधक | इसकी पत्तियां रंग बदलती हैं। इसकी लकड़ी भीतरसे औषधका सेवन करनेसे वह रोग जाता रहता है । सुश्रु ललाई लिये सफेद रंगकी होती है और बहुत मजबूत तादिमें इस रोगका कोई उल्लेख देखनेमें नहीं आता। होती है। पत्तियां और छाल चमड़े सिझानेके काम (त्रि.)२ बाधाजनक, प्रतिबंधक । आती हैं। ३ बाण, तीर । ४ एक प्रकारकी आतशबाजी बाधकता (स० स्त्री०) बाधकस्य भावः तल-टाप । बाधक जो तीरके आकारकी होती है। इसमें आग लगते हो का भाव वा धर्म, बाधा। । यह आकाशकी ओर बड़े वेगसे छूट जाती है। ५ वह बाधन ( स० क्ली० ) बाध-ल्युट । १ पीड़ा, कष्ट। २ गुंबददार छोटा दंडा जिससे धुनकोको ताँतको झटका प्रतिबन्धक, बाधा। (नि० ) ३ पीड़ादाता, कष्ट देने ! दे कर गई धुनते हैं। ६ समुद्र या नदीकी ऊँची लहर । वाला। ४ प्रतिबन्धक, विघ्न डालनेवाला। ' (स्त्री०) ७ वेशविन्यास, बनावट । ८ अभ्यास, आदत । बाधना (हि० कि०) १ बाधा डालना, रोकना । २ विघ्न (पु.) । कान्ति, रंग। करना, बाधा डालना। बानइत (हिं० वि० ) १ बान चलाने या खेलनेवाला । २ बाधा (सं० स्त्री०) बाध-टाप । १ पीड़ा, कष्ट । २ विघ्न, बाण चलानेवाला, तीरंदाज । ३ बहादुर, योद्धा। रुकावट, अड़चन । ३ भय, डर आशङ्का। ४ निषेध, . बानक (हिं० स्त्री०) १ वेष, भेस । २ एक प्रकारका रेशम जो मनाही। पीला या सफेद होता है। बाधित (स० वि०) बाध-क्त। १ बाधायुक्त, जो रोका बानगी ( हिं० स्त्री०) किसी मालका वह अंश जो गया हो। २ जिसके साधनमें रुकावट पड़ी हो। ३ । ग्राहकको दिखाने के लिये निकाल कर दिया जाय। जिसके सिद्ध या प्रमाणित होनेमें रुकावट हो। ४ प्रभाव- बानर ( हिं० पु० ) बंदर। हीन, प्रस्त। बानवे ( हिं० पु० ) १ नब्बेसे दो अधिकको संख्या या अंक बाधित (स.लि.) बाधते इति बाध-तृण । वाधक। जो इस प्रकार लिखा जाता है ...६२। (वि०)२ जो बाधिरिक (स० पु०) बधिरिका शिवादित्वादण (पा गिनती में नब्बेसे दो ज्यादा हो, दो ऊपर नब्बे । ४।१।११२)। बधिरिकाका अपत्य । बाना (हिं० पु० ) १ वस्त्र, पोशाक। २ अङ्गीकार किया बाधिर्य ( स० क्ली० ) वधिरस्य भावः बधिर-व्यम् । हुआ धर्म, रीति । ३ एक प्रकारका हथियार जो सांग या बधिरका भाव, बधिरता रोग, बहिरापन । भालेके आकारका होता है। यह लोहेका होता है और Vo. xv. 78