पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३२२ पारसितकली-बाराव २५१४ उ० तथा देशा० ८५.४६ पू०के मध्य अव- सींगों पर कड़ा आवरण नहीं होता, कोमल चमड़ा स्थित है। होता है। इसके सींगका आवरण हर साल फागुन चैतमें बारसितकली---वेरारराज्यके अकोला जिलेके अन्तर्गत उतरता है। भावरणके उतरने पर सींगमेंसे एक नई शाखा- पक नगर। का अंकुर दिखाई पड़ता है। इस प्रकार प्रति वर्ष एक बारह (हिं० पु०) १ बारहकी संख्या। २ बारहका अंक जो नई शाखा निकलती है जो कुमार कातिक तक पूरी बढ़ इस प्रकार लिखा जाता है.---१२। (वि०) ३ जो संख्या जाती है। मादाके सोंग नहीं होते, वे चैत वैशाखमें बचा दस और दो हो। देती हैं। बारहखड़ी ( हिं० स्त्री० ) वर्णमालाका एक अंश। इसमें बारहाँ (हिं० वि०) बारहमा देखो। प्रत्येक व्यञ्जनमें अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अ, बारही ( हिं० स्त्री०) बच्चोंके जन्मसे बाहरवां दिन । इस दिन उत्सब आदि किये जाते हैं। और अः इन बारह स्वरोंको, मात्राके रूपमें, लगा कर : बारहों ( हिं० पु० ) १ किसी मनुष्यके मरनेके दिनसे बार- बोलने या लिखते हैं। बारहटनरहरदास अवतारचरित नामक हिन्दी प्रन्थके हवां दिन, द्वादशाह । २ कन्या या पुलके जन्मसे बारहवां दिन । इस दिन कुल-व्यवहारके अनुसार अनेक प्रकारकी रचयिता। वारहदरी (हिं स्त्री०) चारों ओरसे खुला हवादा: बैठक । पूजा होती है। बहुतोंके यहां इसी दिन नामकरण भी होता है, बरही। . इनमें बारह द्वार रहते हैं। बारा--पञ्जाब प्रदेशके पेशावर जिलेमें प्रवाहित एक नदी । बारहपत्थर (हि० पु०) १ वह पत्थर जो छावनीकी सरहद यह बारा नामक उपत्यका भूमिसे निकल कर काबुल नदी- पर गाड़ा जाता है, सीमा । २ छावनी । की शाहआलम शाखामें मिली है । बारा नामक दुर्गके सामने बारहबान ( हि पु० ) एक प्रकारका बढ़िया सोना। यह नदी तीन धाराओंमें विभक्त हो गई है। एक धारा बारहबाना (हिं० वि०) १ सूर्यके समान दमकवाला। पेशावर' नगरमें और दूसरी खलील तथा मोहमन्द जाति २ चोखा, खरा। अधिवासित प्रदेशमें बह गई है। कोहट और आटकमें बारहबानो ( हिं० वि० ) १ सूर्य के समान दमकवाला। २ द्रव्यादि ले जाने के लिये नदीमें दो पुल हैं। बारा नदीके निषि, पापरहित । ३ पूर्ण, पूरा । ४ खरा, चोखा । (स्त्री०) किनारे धानकी अच्छी फसल लगती है । सिख-अधिकार- ५ सूर्यकी-सी दमक, चोखी चमक। में यहांसे पेशावर चावल मेजा जाता था जिसमेंसे अधि- बारहमासा (हिं० पु०) एक प्रकारका पथ या गीत । इसमें कांशकी रणजिसिंहके यहां खपत होती थी। यह पुण्य- बारह महीनोंको प्राकृतिक विशेषताओंका वर्णन किसी | सलिला नदी वहांके हिन्दूकी निगाहमें पवित्र समझी बिरही या बिरहिनीके मुंहसे कराया गया हो। जाती है। बारहमासी ( हिं० वि० ) १ सब ऋतुओंमें फलने फूलने.. बारा (हिं० वि०) १ जिसको बाल्यावस्था हो, जो वाला, सदाबहार। सयामा न हो। (पु०)२ लोहेकी कंगनी जो बेलनके बारहवफात ( अ० पु०) अरबी महीने रबी-उल-अव्वलकी सिरे पर लगाई जाती है और जिसके फिरनेसे बेलन वे बारह तिथियां जिनमें मुसलमानोंके विश्वासके अनु- फिरता है। ३ एक गीत जिसे कुएं से मोट खींचते सार महम्मद साहब बीमार पड़ कर मरे थे। समय गाते हैं। ४ वह आदमी जो कुएं पर खड़ा हो कर भर कर निकले हुए चरसे या मोटका पानी उलट कारहवाँ ( हिं० वि०) जो स्थानमें ग्यारहके बाद हो। कर गिराता है। ५ अंतरेसे तार खींचनेका काम। बारहसिंगा (हिं पु०) हिरनकी जातिका एक पशु । यह बात ( स्त्री०) १ बरयाना, किसीके विवाहमें उसके तीन चार फुट ऊँचा और सात आठ फुट लम्बा होता है। लोगोमधयों मिका nिt नरके सींगोंमें कई शाखाएँ निकलती हैं इसोसे इसका घर जाना। २ वह समाज जो बरके साथ उसे व्याहने- बारहसिंगा' नाम पड़ा। चौपायोंके सींगोंके समान इसके के लिये सज कर के घर जाता है।