पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३३०

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३२४ बारात कुछ समय बाद फूट-देवीने राजगृहमें प्रवेश किया और आपके उद्योगसे एक छोटा पुस्तकालय भी खोला गया बे सबके सब पृथक् पृथक् हो गये। पृजमोहन ठाकुर- है जिसमें प्रायः सब भाषाओंको पुस्तकोंका संग्रह है। के बार सुपुत्र थे, होरोमोहन ठाकुर, श्रीमोहन ठाकुर, माप अङ्रेजी, बङ्गला और हिन्दी भाषामें अनर्गल बन्दमोहन ठाकुर और इन्द्रमोहन ठाकुर। द्वितीय पुत्र कथोप कथन कर सकते हैं । जिस प्रासाद- श्रमोहन ठाकुर उच्चाभिलाषी प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। में आप रहते हैं उसका नाम श्रीभवन है। यह आपका वर्ण गौर, शरीर हृष्ट पुष्ट, गठीला और कद ऊँचा भवन चारों ओर आन-काननसे समान्छा है जिस. भ। भापका प्राकृतिक ज्ञान तथा मनुष्यको पहचान बहुत से इसकी शोभा देखती ही बन भाती है। इसके अच्छी थी। प्रजाका पालन पुलवत् करते थे। आपकी नैऋति कोणमें थोड़ी ही दूरके फासले पर भागलपुर- अदरता बहुत प्रसिद्ध है। आप पुराने जमानेके रईस | सेण्ट्रल जेल है। करीब दो वर्ष हुए आपके एक सुपुतने जो कोई किस्मत आजमाईको यहां आते थे, उसकी जन्मग्रहण किया है। माशाएं किसी न किसी रूपमें पूरी हो ही जाती थी। ____उधर जगमोहन ठाकुरके एक पुल थे। हरिमोहन भमिक कार्यों में आपकी पूर्ण श्रद्धा थी, इसी कारण माप ठाकुर उनका नाम था। आप बड़े साहसी सव्यसायी अपने प्रासादसे उत्तर गङ्गाके किनारे राधाकृष्णकी मूर्सि भौर साहित्यानुरागी थे। आपको घोरता, राज- अतिछा कर गये हैं। वृद्धावस्थामें एक पुनरत छोड़ भक्ति और सेवासे सन्तुष्ट हो कर भापके कृतकार्य मापने जीवनलीला सम्बरण की। के पुरस्कारस्वरूप वृटिश सरकारने आपको राय बहादुर- पुनका नाम श्री केशबमोहन ठाकुर है। भाप स्टेटके की उपाधिसे भूषित किया था। आप अपने नाम पर ३ पट्टीदारों से एक हैं। पिताकी मृत्युके समय भाप एक हाई-स्कूल भी खोल गये हैं जिसमें पहले शिक्षा नि:- बिलकुल नाबालिग थे। इस कारण आपका स्टेट कोर्ट शुल्क दी जाती थी। पर कुछ दिन हुए विद्यार्थियोंको भाव वार्ड लग गया। आपके लालन पालनका भार आधी फीस देनी पड़ती है। आपने प्रजाहितके अनेक भापकी पूजनीया माताके सिर रहा। 'लखनऊ काल कार्य किये हैं। टेटकी सीमा भापके समयमें बहुत कुछ भिन तालुकदार' Lucknow ('olvin Talukdar ) बढ़ गई। स्थानीय म्युनिस्पलिटीको पहले पहल पानी- स्कूलमें आपने अन्यान्य भारतीय राजकुमारोंके साथ की कल खोलनेमें आपने बीस हजार रुपयेका दान किया विवाशिक्षा प्राप्त की। शिशुपनसे हो आपमें अलौकिक था। बहुत दिनों तक राज्य-सुख भोग करके आप उम्र हि अंकुरित थे। कहा भी है कि:-"होनहार विरवान मोहन ठाकुर और प्राणमोहन ठाकुर दो पुनरत छोड़ के होत चोकनेपात" अध्यापक भापकी तीन बुद्धि और | परलोकको सिधारे। उपसोहन ठाकुरको निसन्ताका- स्मरणशक्तिको देख कर यिस्मित होते थे। थोडे. वस्था में मृत्यु हुई। उनका प्रसिद्ध भवन मानदया: ही दिन हुए ( १९२७ ई०को ७वीं नवम्बरको) मापने कारकार्यविशिष्ट है। आसपासकी हरियाली इसको बालिग हो कर राजकार्यका कुल भार अपने हाथ लिया। शोभाको और भी बढ़ाता है। आप रस थोड़े से समयमें अपने उच्च गुणोंसे अपनी बाबू प्राणमोहण ठाकुरका भाचार व्यवहार बहुत कुछ माके ही मेमपान नहीं किन्तु भास पासके सभी जो भपने पितासे मिलता जुलता था। इतिहासके पठन- मापको प्रजा नहीं हैं, उनके भी आदर और प्रेमके भाजन पाठनसे बहुधा यह परिणाम निकलता है, कि राम्पकी हो गये है। आपका स्वभाव बहुत हंसमुख है और स्थापना पाशविक तथा शारीरिक बलके द्वारा ही हस्ती मनाके दुःख सुम्बको सुननेके लिये सदैव तत्पर रहते है।' है। हां यह अवश्य है, कि उसकी स्थिरताके लिये उसके हो एक बार भी आपके साथ रह चुके हैं, वे भापके फलने फूलनेके लिये, उसके स्थायी जीवमके लिपे आत्म चरितमाधुर्य पर मुग्ध हो आपको सम्मान और श्रद्धाकी तथा धर्म-बलकी ही भावश्यकता होती है । नसीम दूधिसे देखनेको बाध्य हैं। भाप साहित्यसेवी है। क्यापित राज्य मापसे सीमा नाकर समानुभूतिले