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पार्लम-पाल
। .१२२० ई० में भारतवर्षमें सृष्टान धमका प्रचार करनेके बाहस्पत्य (स० पु०) बार्हस्पत्यं बृहस्पतिमोक्तशाल
लिये भाये थे।
भधीयमानत्वेनास्त्यस्येति, अर्श आदित्यादछ । १
बार्लम-खुष्टानधर्मशास्त्र बाइबिलके सेण्ट-जान विभाग- नास्तिक । (क्ली०) २ नोतिशाल। (लि०) ३ वृहस्पति
• वर्णित एक साधु। पारस्य सीमान्तवासी भारतवासी सम्बन्धीय ।
तथा साधु जोसेफत नामसे उल्लिखित हुए हैं। पाश्चात्य बाहिण (सं० वि० ) बहिणो विकारः तालादित्वात् भण् ।
• पण्डितगण भारतराजपुत जोसेफत्को 'बोधिसत्व' । बर्हिविकार ।
मानते हैं।
बाहिषद ( स० पु० : बर्हिषदका गोलापत्य ।
बार्लो सर जार्ज-मन्द्राजके अंगरेज शासनकर्ता। इष्ट- बाल (सं० पु० क्ली ) बलतीति बल ण। १ गन्धद्रव्य-
इण्डिया कम्पनीके परिदर्शकरूपमें इन्होंने भारतवर्ष पर विशेष, सुगन्धवाला नामक गन्धद्रव्य । पर्याय-होवेर
पदार्पण किया। इनके शासनकालमें १८०६ ई०को बर्हिष्ठ, उदीच्य, केशनामक, अम्बुनामक, हिवेर, बर्हिष्ठ,
बेल्लूर में सिपाही-विद्रोह उपस्थित हुआ। इस विद्रोहसे बालक, वारिद, वर, होवेरक, केश्य, वन, पिङ्ग, ललनाप्रिय,
अंगरेजवणिकगण बहुत डर गये थे।
कुन्तलोशीर। गुण---शीतल, तिक्त, पित्त, वमन, तृषा,
बार्घटीर (
सपु०) १ नपु, रांगा। २ अंकुर, संखुआ।३ | ज्वर, कुष्ठ, अतिसार, श्वास, और अणनाशक तथा केश-
गणिका सुत, जारज।
हितकर। २ अर्भक, बालक, लड़का । पर्याय-माणवक,
बाह (स.नि.) बहसम्बन्धीय ।
बालक, माणव, किशोर, बटु, मुष्टिम्धय, वटुक, किशोरक,
बार्हत (स क्लो०) वृहत्याः फलं प्लक्षादित्वादण। १ पाक, गर्भ, हितक, पृथुक, शिशु, शाव, अभ, डिम्भक,
बृहतीफल। उत्सादित्वात् अन् । (नि०) २ वृहति डिम्ब ।
भव।
मनुष्य जन्मकालसे ले कर प्रायः १६ वर्षकी अवस्था
बाह तानुष्टुभ ( स० वि०) वृहती अनुष्टुभ छन्द तक बाल या बालक कहा जाता है। लो भी १६ वर्ष
सम्बन्धीय ।
तक बाला कहलाती है।
बाहदग्न ( स० पु० ) वृहदग्नेरपत्यं कण्यादित्वादण । बृह-
"आषोडशाद्भवेद्वालस्तरुणस्तत उच्यते।
दग्नि ऋषिका गोलापत्य।
वृद्धः स्यात् सप्ततेरुद्ध वर्षीयान् नवतेः परम् ।।"
बाह दीषव( संपु०) बृहदिषुवंशीय ।
(भरत)
बाह दुक्थ ( स० वि०) बृहदुक्थसम्बन्धीय। गृहदुक्थ भावप्रकाशमें बालपरिचर्याविधि इस प्रकार
का गोलापत्य।
लिखी है-
बार्हदिर (सं० वि०) वृहद् गिरिसम्बन्धीय ।
बालकके भूमिष्ठ होनेसे यथाविधि कुलाचार और
बाह दैवत (सक्ली०) शौनक-रचित बृहदेवता सम्ब स्त्री-चार जो पूर्वापर प्रचलित है, उसका अनुष्ठान
न्धीय।
करना आवश्यक है।
बाहं छल (सक्लो०) १ गृहछल-सम्बन्धीय । २ वृतबलका
___ वयक्रममेदसे यह बालक तीन प्रकारका है, दुग्धपायी,
गोलापत्य।
दुग्धानभोजी और अन्नभोजी। इनमेंसे एक वष तकके
बाहद्रथ (सपु० स्त्री०) बृहदयस्यापत्यं शैषिकोऽण् ।
बालकको दुग्धपायी, दो वष तकको दुग्धान्मभोजी और
१ बृहदथ राजसुत । (लि०) २ बृहदय सम्बन्धी ।
तीन वर्षसे ले कर सोलह वर्ष तकके बालकको मन्न-
बाहं दथि (स. पु०) वृहदथका गोलापत्य ।
मोजी कहते हैं।
बाहवत (सं० वि०) बहधत शब्दयुक्त।
बालकको उमर छः अथवा आठ मास होनेसे यथोक्त
बार्हस्पत (सं० पु०) बृहस्पतेरिदं स वा देवताऽस्य भण।
१ हल्पति सम्बन्धी। २ वत्सरविशेष । ३ वृहस्पतिके
a विधिके अनुसार उसे थोड़ा थोड़ा करके अम्न खिलाये।
शसे चरप्रभृति।
पीछे बयोव बिके अनुसार उसकी मात्रा बढ़ातो जाय।
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३३५
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