पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बालमान-पालरोग बालभाव (संपु०) बालस्य भावः। बालकका भाव, | और कच्ची मूली। यह वैद्यकके अनुसार कटु, उष्ण, लड़कपन। तिक्त, तीक्ष्ण तथा श्वास, अर्थ, क्षय और नेत्ररोग आदि- बालभृत्य (संपु०) बाल्यकालसे दास। का नाशक, पाचक तथा बलवद्धक मानी जाती है। बालभैषज्य ( स० क्ली०) बालं भैषज्य, बालस्य शिशो- बालमूलिका (सं० स्रो०) आम्रातक वृक्ष, आमड़े का पेड़। भैषज्य । १ रसाञ्जन । २ बालकको औषध । | बालमृग (सं० पु० ) हरिणादि मृगवर्ग । बालभोग (स.पु० ) १ वह नैवेद्य जो देवताओं, विशे- बालम्भट्ट-१ गोत्रनिर्णयके प्रणेता। २ सूर्यशतकटीकाके षतः बालकृष्ण आदिकी मूर्तियों के सामने प्रातःकाल रचयिता। ३ आह्निकसारमञ्जरीके प्रणेता, विश्वनाथ रखा जाता है। २ जलपान, कलेवा। भट्ट दातारके पुत्र। बालभोज्य (सपु०) बालानां भोज्यः। चणक, बालयज्ञोपवीतक (सं० क्ली०) बाल यज्ञोपवीत ततः स्वाथें कन्। उपवीतविशेष । पर्याय---उरङ्कट, पञ्च- बालम (हिं० पु०) १ पति, स्वामी। २ प्रणयी, प्रेमी। घर । बालमउ-१ अयोध्याप्रदेशके हरदोई जिलान्तर्गत एक पर- बालरस (सं० पु०) रसौषधविशेष | इसकी प्रस्तुत प्रणाली- गना। सम्राट अकवरशाहके राजत्वके शेषभागमें बलाई पारा ८ तोला, गन्धक ८ तोला, स्वर्णमाक्षिक ४ तोला, कुर्मी नामक कोई हिन्दू चन्देलराजाओं का अत्याचार सह इन्हें लोहेके बरतनमें घोट कर केशराज, भृङ्गराज, निसोथ न सका और माडीके कच्छवह क्षत्रियगणकी शरणमें प्रत्येकके रसमें सात बार भावन दे। पीछे सरसोंके पहुचा । मुसलमानोंके आक्रमणसे उन्हें बचानेके कारण समान गोली बनाये। इसका सेवन करनेसे बालकके कच्छवह राजाओं ने उसे यह वनविभाग पारितोषिकमें त्रिदोष, जीर्णज्वर, कास और शूल आदि रोग जाते दिया। बलाईने जंगलको काट छांट कर इसे आवादी रहते हैं। बना दिया। पीछे उसने बलाई खेरा नामका जो प्राम ____ अन्यविधः-पारद ८ तोला, गन्धक ८ तोला, स्वर्ण- बसाया वही बालमऊ नगर नामसे प्रसिद्ध हुआ। बाल- माक्षिक ४ तोला इन्हें लोहेके बरतनमें घोट कर केशराज, मऊ नगरसे इस परगनेका नामकरण हुआ है। चौदह भृङ्गाराज, निसोथ, पान, काकमोचिका, सूर्यावर्त, पुन- प्राम ले कर यह परगना संगठित है। यहांके ८ प्रामों में र्णवा, भेकपणी और श्वेत अपराजिता प्रत्येकके रसमें कच्छवह क्षत्रिय, २में निकुम्भ, ३में सुकुल ब्राह्मण, १में सात बार भावन दे। पीछे उसमें ४ तोला मिर्चचूर्ण डाल कायस्थ और शेष १ ग्राममें कश्मीरी ब्राह्मणों का कर सरसोंके समान गोली बनावे । अनुपान पामका रस बास है। २ उक्त परगनेका एक नगर । बाणिज्य व्यापारमें यह रखा गया है। इसका सेवन करनेसे विदोषसम्भूत नगर विशेष उन्नतिशील है। सुदारुण ज्वर, काश आदि समस्त रोग प्रशमित होते हैं । बालमति (सं० स्त्री०) बालबुद्ध, लड़कोंकी-सी अक्ल । (रसेन्द्रसारस० बालरोगाधि०) बालमत्स्य (सं० पु०) मत्स्यविशेष, एक प्रकारको छिलका | बालराज ( स० क्ली० ) बालः स्वल्पोऽपि राजते इति राज- रहित छोटी मछली। इसका मांस पथ्य और बलकारक | पचायच् । १ वैदूर्गमणि। (पु०) २ बालकोष्ठ। माना जाता है। बालरूप-एक निबन्धकार। बाचस्पतिमिश्रने इनका बालमुकुन्द (सं० पु०) १ बाल्यावस्थाके श्रीकृष्णजी । २. उल्लेख किया है। श्रीकृष्णकी शिशुकालकी वह मूर्ति जिसमें वे घुटनोंके बालरोग ( स०पु०) बालस्य रोगः। बालककी व्याधि, बल चलते हुए दिखाए जाते हैं। बालककी पीड़ा। इसके विषयमें भावप्रकाशमें यों लिखा बालमुकुन्द आचार्य-सीताचरणचामरके प्रणेता । बलमूल (सं०क्ली० ) कच्ची मूली। बालरोगके निदान और लक्षण-गुरु भोजन, विषमाशन पासमूलक (सं० वी० ) अचिरजात कोमलमूलक, छोटी और आहार विहारसे धानीके शरीरमें वातादि दोष Vol xv, 86 .