पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पासापर-पालासिनोर इसमें बालापुर, पातुर और पाडगांव नामके ३ शहर भौर बालारुण (सं० पु० ) बालाक, बालसूर्य । १६२ माम लगते हैं। यहांसे थोड़ी दूर पर अकवरके चौथे बालारोग (हि.पु.) नहरुआ रोग। लड़के सुलतान मुरादका बनाया हुआ राजप्रासाद भग्ना-बालाक (सं० पु०) बालः नवोदितोऽकः। १ प्रातःकालीन वस्थामें पड़ा है। सूर्य । यह सूर्यताप शरीरमें लगनेसे शरीरका अनिष्ट होता २ उक्त तालुकका एक शहर । यह अक्षा० २०४० | उ० तथा देशा० ७६५० पू० प्रेट इण्डियन पेनिनसुला ___ "शुल्कमांसं स्त्रियो वृद्धा बालार्क स्तरुणं दधि । रेलवेके पारस स्टेशनसे ६ मील दूरमें अवस्थित है। मून प्रभाते मैथुन निद्रा सद्यः प्राणहराणि षट् ॥” नदी इसके बीच हो कर बह गई है। मुगलोंकी अमलदारी- (चाणक्य) में इलिचपुरके बाद इसी शहर में सेनानिवास स्थापित बालाश्म (सं० क्लो०) बालुका, बालू। हुआ था। वाला नामक देवीमन्दिरके सामने पहले यहां बालासिनोर-गुजरात प्रदेशके रेवाकान्थ के अन्तर्गत एक एक भारी मेला लगता था। यहां बालादेवीका मन्दिर | सामन्तराज्य। यह अक्षा० २२५३ से २३ १७ उ० रहनेके कारण ही इसका बालापुर नाम पड़ा है। आईन-इ तथा देशा० ७३१७ से ७३°४० पू०के मध्य अवस्थित अकबरी प्रन्थमें इस परगनेकी समृद्धिकी कथा उल्लिखित है। भूपरिमाण १८६ वर्गमील है। इसके उत्तरमें मही- है। सम्राट औरङ्गजेवके पुत्र आजमशाह यहां पर कान्थ राज्य, पूर्वमें लूनावाद-राज्य, पश्चिम और दक्षिणमें रहते थे। १७२१ ई०में निजाम उलमुल्कने इस नगरके कैरा जिला है। यहां माही नामकी नदी बहती है। समीप मुगलसेनाको परास्त किया था। मेसघाट पहाड़ी कृषिकार्य में कृपका जल काम आता है। यहांके दुर्गको छोड़ कर बालापुरका दुर्ग ही बेरारमें सबसे बड़ा सरदार मुसलमान हैं। 'बाबी' या द्वाररक्षक (१) है। शिलालिपिसे जाना जाता है, कि इलिचपुरके नवाब इनको उपाधि है। अंगरेजराज-निर्दिष्ट राजनैतिक कर्म- इस्माइल खांसे १७५७ ई०में यह दुर्ग बनाया गया था। चारीकी सलाह ले कर ये हत्यापराधीको दण्ड देते हैं। १०३२ हिजरोमें निर्मित यहांकी जुमा मसजिद भग्नाव राजस्व सवा लाख रुपया है जिनमेंसे १५५३२ रु० वृटिश स्थामें पड़ी है। नगरके दक्षिण नदी किनारे 'छतरी' नामक सरकारको और ३०७८ रु० बड़ौदाके गायकबाड़को करमें छलाकृति अट्टालिका नगरको शोभाको बढ़ा रही है। देने पड़ते हैं। सैन्यसंख्या ११७ है जिनमेंसे १६ घुड़- प्रवाद है, कि सम्राट् आलमगीरके अनुचर राजा सवाई | सवार हैं। नवाबको सरकारको ओरसे । सलामी तो जयसिंहने यह छतरी बनबाई थी। मिलती हैं। सलापत् खांसे निम्न पांचवीं पीढ़ोमें बालाबर (फा०पु०) एक प्रकारका अंगरखा। इसमें शेरखां बाबीने १६६४ ई दिल्ली दरबारसे चार कलियां और छः बन्द होते हैं। अँगरखा देखो। बालासिनोर और बीजापुरका शासनभार ग्रहण पालामय (सं० पु०) बालस्य आमयः। बालरोग। बालरोग देखो। किया। पीछे जूनागढ़ राज्य भी उनके हाथ लगा । मृत्युक बाद बड़े लड़के बालासिनोरमें और छोटे जूनागढ़में अधि. बालायानि (सं० पु०) बालाया अपत्यं तिक्तादित्वात् फिङ् (पा ४११५४) बालाका अपत्य । ष्ठित हुए । गुजरातमें महाराष्ट्र-प्रभाव जम जानेसे (१७६८ बालाराव-विख्यात नाना साहबके भाई, अयोध्याप्रदेशके ई०में ) यहाँके सरदारने पेशवा और गायकवाडराजकी 'सिपाही-विद्रोहके एक नेता । तुलसीपुर पर्वतके नीचे अधीनता स्वीकार की। १८१८ ई०में पेशवा-अधिकृत इनके साथ अंगरेजोंको मुठभेड़ हुई थी। युद्धमें हार यह स्थान अंगरेजराजके पालिटिकल-एजेएटके शासन- खा कर ये अपने भाई नामाकी तरह जंगलमें भाग गये। मुक्त हुआ। इनके भाग जानेसे ही अयोध्या प्रदेशमें विद्रोह शान्त हुआ और प्रायः डेढ़ लाख सशस्त्र विद्रोहीसेनाने अंगरेजोंको | (१) मुगल राजदरबार में इस वंशके आदिपुरुष द्वाररक्षीका माग वश्यता स्वीकार की। . | करते थे।