पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३५४

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३४८ वालिद्वीप ८२ ३८ ३० पू०के मध्य अवस्थित है। ब्रह्म वरूदु | पहाड़के ऊपर बहुतसे तालाब और तलैया देखी जाती नामक विख्यात शिवालय प्रतिष्ठित रहने के कारण दूर दूर हैं। अत्यन्त गहरे तालाबोंके जलसे यहांकी खेती खूब देशके लोग देवदर्शन करनेको आते हैं। जिस पर्वत पर हरीभरी रहती है । धान, भुट्टा, कलाई, नारंगी और तरह यह मन्दिर स्थापित है वहांसे बराह नदी निकली है। इस तरहका चावल पैदा होता है। नदीके उत्तर-वाहिनी होनेके कारण लोग इसका तीर्थ- यहांके वासिन्दोंकी देहकी बनावट यव और मलय- माहात्म्य गाते हैं । इस नदीके किनारे एक गर्तमें भस्म द्वोपके रहनेवालोंसे मिलती जुलती है । लेकिन पहनाया- के जैसा पदार्थ देखा जाता है। देवमन्दिरके पुरोहित में बहुत गहरा भेद पाया जाता है। चीन और शिलेविस- उस भस्म राशिको बालिचक्रवती नामक किसी व्यक्ति द्वीपके प्रह लोगोंके साथ ये वाणिज्य व्यवसाय करते हैं। कृत यज्ञका होमावशेष बतलाते हैं । यहांकी देवमूत्ति सूती कपड़े, रूई, नारियल तेल, पक्षियोंके घोंसले और पश्चिममुखी है। वर्ग आदि चीजोंके बदलेमें बालिद्वीपवासी उक्त बनियों- बालिद्वीप-भारत महासागरके अन्तर्गत एक छोटा-सा से अफीम, सुपारी, होथोफे दांत, सोना, चांदी मोल लेते द्वोप। "बलि" अर्थात वीर मनुष्य उस द्वीपमें रहते थे! हैं। पहले इस द्वीपमें दास-विक्रयकी प्रथा प्रचलित थी। इसलिये 'बालिद्वीप' नाम पड़ा। अब तो बालि नामसे कैदी, वैरी, ऋणो और चोरोंको वे लोग चोनोंके हाथ ही प्रसिद्ध है। किसी समय यहां ब्राह्मण और बौद्धधर्म बेच देते थे। का प्रभाव बढ़ रहा था, ऐसा सभी स्वीकार करते हैं। समग्र बालिखोपके एकमात्र अधीश्वर बालि और मीचे इस द्वीपका विस्तृत इतिहास वर्णन किया लम्बककों के सम्राट् कहे जाते हैं । ये क्लोङ्ग कोङ्गसिओ- जाता है। साचोयेनन' नामसे मशहूर हैं। इस द्वोपसाम्राज्यमें आठ यह छोटा सा छोप यवद्वीपसे पूर्व १॥ मोल दूर अक्षा० छोटे छोटे सामन्तों के राज्य हैं। प्रत्येक भागमें एक एक ८ से दक्षिण तथा देशा० ११४ २६ से १५० ४० राजा राज्य करनेको नियुक्त हैं। ये करीब आठ लाख पू०के मध्य अवस्थित है। दोनोंके बीचमें एक नाली बह आदमियों पर हुकूमत करते हैं। यहांके वासिन्दे यव- गई है जिससे दोनों में व्यवधान पड़ जाता है। वालिद्वीप छोपको अपेक्षा ज्यादा उन्नत हैं । सभ्यता और शास्त्रज्ञानमें कोयषद्वीपका हिस्सा बहुत लोग मानते हैं । पाश्चात्य उन्हों ने दूसरे द्वीपों से अधिक श्रेष्ठता प्राप्त की है । किसी भौगोलिकोंने इस स्थानका "दालि या छोटा यव” | समय भी ये यवद्वोपके ओलंदाजों के साथ शत्रता करने (.Little Java ) नामसे उल्लेख किया है। पूर्व और बाज नहीं हुये। १८४६ ईमें ओलंदाजों और क्लोङ्ग- पश्चिममें यह ७० मील लम्बा तथा ३५ मील चौड़ा है। काङ्गोके राजाके बीच जो सुलह हुई उससे बालिराज भूपरिमाण १६८५ भौगोलिक वर्गमील है। उनके मित्र जरूर हुए पर उन्होंने ओलंदाजों की यश्यता इस रापूमें ज्यादातर पहाड़ है। वे कहीं चार हजार स्वीकार नहीं की। से १० हजार फुट तक ऊंचे हैं। इसकी ऊचाईमें कहीं इतिहास । कहीं जिनमें आग जला करती हैं ऐसी चोटियां हैं । गुनङ्ग बालिद्वीपका पुराना इतिहास नहीं मिलता है। अनङ्ग नामकी चोटी समुद्रकी तराईसे १२३७६ फुट ऊंची लोगों का विश्वास है, कि यहां पहिले राक्षस रहा करते हैं। इन पहाड़ोंकी वेतूर नामकी चोटीसे (६१६८) थे। कुछ दिनों के बाद 'मजपहित'से कुछ हिन्दुओं ने हमेशा गीली धातुएं निकला करती हैं। १८०४ और आ कर यहां उपनिवेश बसाया। उन्हींके द्वारा बासुकी १८१५ ई० में और दो दूसरी चोटियोंसे अग्नि निकलती (नागराज बासुकी )के मंदिरसे यहांके हिंदू प्राधान्य. हुई देखी गई थीं। यहांकी छोटी छोटी नदियोंमें जितनी साम्राज्यका समय कल्पित किया जा सकता है। उशम- दूर तक ज्वार भाटा आया करता है बस उतनी दूर तक बालि नामके प्रन्थमें लिखे हुये मय-राक्षस और उसके ही देशी नाव इनमें चल सकती हैं। इनके सिवाय अनुचरोंके पराभव तथा देवताओंका आधिपत्य विस्तार-