पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३८४

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३७८ बाससो-बासिम बाससी ( स० पु०) वस्त्र, कपड़ा। | इस स्थानको देखने आये और इसे अपने शासनभुक्त कर वासा ( हि पु० ) १ एक प्रकारका पक्षी । २ अड़ सा।२ गये। एक प्रकारको घास। यह आकारमें बांसके पत्तोंके वेनगङ्गाके उत्तर पर्वत पर हेटकरी जातिका बास है। समान होती है और पशुओंको खिलाई जाती है। १६०० ई० में इन्होंने बासिमके चारों ओरके स्थान दखल वामि-पावप्रदेशके कलसिया राज्यका एक नगर । यह किये । अगरेजोंके अधिकारकाल तक ये लोग पाश्व यत्तों अक्षा० ३० ३५ २० तथा देशा० ७६.४ पू०के मध्य स्थानों में लूट मार मचाते रहे थे। १६७० ई०में मुगलोंका अवस्थित है। यहां एक बर्नाक्युलर मिडिल स्कूल और बल तेजहीन देख मराठोंने नाना स्थान लूट लिये। एक चिकित्सालय है। १६७१ ई०में शिवाजीके सेनापति प्रतापरावने इस स्थान बासि - पञ्जाबके पतियाला राज्यका एक नगर । यह अक्षा० पर आक्रमण करके 'चौथ' वसूल किया। औरङ्गजेबकी ३०४२ उ० तथा देशा० ७६२८ पू०के मध्य अवस्थित मृत्युके बाद १७१७ ई०में फरुखशियरसे मराठोंने है। जनसंख्या लगभग १३७३८ है। यहां सूती कपडे का चौथ और सरदेशमुखो वसूल किया था। १७२४ ई०में व्यवसाय जोरों चलता है। शहरमें एक वाफ्युलर चिंगलिच खाँ ( निजाम-उल मुल्क )ने मुगलोंको परास्त मिडिल स्कूल और एक पुलिस स्टेशन है। कर मरागेकी सहायतासे इस प्रदेशका राजस्व बांट वासित (हिं० वि० · सुगन्धित किया हुआ। लिया । १८०४ ई०की सन्धिके अनुसार निजामने वासिम- बासितङ्ग-चट्टग्राम पहाड़ी प्रदेशकी एक गिरिश्रेणी और का कुछ अंश खरीदा। १८०६ ई०में पिण्डारियोंने इस उसका सर्वोच्च शृङ्ग। यह अक्षा० २१३१ उ० तथा जिलेको अच्छी तरह लूटा। १८१६ ई०में यहांके नायक देशा० ९२.२६ पू०के मध्य अवस्थित है। नौसाजी मुस्कीने विद्रोही हो कर निजामके विरुद्ध बासिनकोण्डा- मन्द्राज प्रदेशके कड़ापा जिलान्तर्गत एक उमारखेड़े में लड़ाई ठान दी थी। वहांसे विताड़ित हो पर्वत। यह समुद्रपृष्ठसे २८०० फुट ऊँचा है। इसके कर उन्होंने अपने नये दर्गमें आश्रय ग्रहण किया। किन्त उच्च शिखर पर वेङ्कटेश खामीका मन्दिर विद्यमान है।। आत्मरक्षामें असमर्थ हो वे बदी हो हैदराबाद भेजे गये। बासिन्दा ( फा० यि० ) अधिवासी, रहनेवाला। यहीं पर उनकी मृत्यु हुई। बासिम-- बेरार राज्यके अन्तर्गत एक जिला। यह अक्षा० १८२२ ई०की सन्धिके अनुसार निजामको पेशवाधि- २५ से २०२८ उ० तथा देशा० ७६ ४० से ७४. कृत उमारखेड़ परगना मिला । अङ्गरेज सरकारने निजाम १४ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण २६४६ वर्ग राजको रुपयेसे सहायता पहुंचाई थी, इस कारण १८५३ मील है। इसके उत्तरमें अकोला और अमरौती जिला, ईमें उन्हें यह स्थान पारितोषिक स्वरूप दिया गया। पूर्वमें ऊन जिला, दक्षिणमें पेनगंगा नदी और हैदराबाद- १८५६ ईमें यहां अगरेजोंके साथ रोहिलाका युद्ध हुआ। राज्य तथा पश्चिममें बुलदाना जिला है। सारा जिला पीछे १८६०-६१ ई०की दूसरी सन्धिके अनुसार यह पर्वतमय है। पूसा, बेनगङ्गा, काटापूरण, अदन, कुच, स्थान पुनः अङ्ग्रेजों के हाथ लगा। अदोल और चन्द्रभागा नदी इस जिलेमें बहती हैं। इस जिलमें ३३ शहर और ८२४ ग्राम लगते हैं। जन- श्रीपुर और पुषादका बौद्ध तथा जैनमन्दिरादिकी आलो- संख्या साढ़े तीन लाखसे ऊपर है । हिन्दूकी संख्या चनाके सिवा इस स्थानका प्राचीन इतिहास जाननेका ! सैकड़े पीछे ६२ है। यहांको भाषा मराठी है । विद्या- कोई उपाय नहीं है । १२६४ ई० में अलाउद्दीनके इलिचपुर- शिक्षामें यह जिला बेरारके छ: जिलोंमें पांचवां पड़ता विजयकालमें यहां जैन-प्रभाव खूब बढ़ा चढ़ा था। पोछे है। अभी कुल मिला कर १२० स्कूल हैं। स्कूलके प्रायः १६वीं शताब्दी तक यह स्थान एक तरहसे स्वाधीन अलावा एक अस्पताल और पांच चिकित्सालय हैं। रहा। १५९६ ईमें चाँद सुलतामने अकबरके पुत्र मुराद- २बेरारके अकोला जिलेका उपविभाग। इसमें के हाथ यह स्थान मौंपा । १५६६ ई में खयं अकबर शाह | वासिम और मङ्गसल तालुक लगते हैं। . .