पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३८६

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३९० बाहन-बाहुकगठ वाहन (हिं० पु०) १ एक बहुत लंबा पेड़ । जाड़े के दिन में दुर्ग है तथा बाहली नगरमें रामपुर और बसहर- इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके हीरकी लकड़ी बहुत राजका प्रीष्मावास है। नौषडिखोला नदी इसके पाद- ही लाल और भारी होती है। लोग खराद और इमाः मूल हो कर बहती है। रतके काममें इसे लाते हैं। २ जल्दी बढ़नेवाला एक | बाहवि ( स० पु०) बाहुका गोलापत्य । ऊंचा पेड़ । यह काश्मीर और पंजाबके इलाकोंमें अधि- बाहस (हि.पु.) अजगर । कतासे पाया जाता है। इसकी लकड़ी प्रायः आरायशी बाहांजोरी (हि० कि० वि०) भुजासे भुजा मिला कर, सामान बनानेके काममें आती है, सुफेदा। हाथसे हाथ मिला कर। बाहना ( हि कि० ) १ ढोना, लादना वा चढ़ा कर ले बाहा ( स० स्त्री०) बाहु-टाप् । बाहु, बांह । आना या ले आना। २ चलाना, फेकना। ३धारण वाहा (हिं० पु. ) वह रस्सी जिससे नावका डांड़ बंधा करना, पकड़ना । ४ प्रवाहित होना, बहना। ५ खेतमें रहता है। हल चलाना। ६ गौ, भैंस आदिको गाभिन कराना। बाहिक-इरावती नदीकी आपगाशाखाप्रवाहित प्रदेश ७ गाड़ी घोड़े आदिको हाँकना। वासी प्राचीन जातिविशेष । महाभारतमें लिखा है, कि वाहबली (हिंपु०) कुश्तीका एक पेंच। वाहिक नामक दस्युका बासस्थान वितस्ता तीरभूमि बाहम (फा० कि० वि०) परस्पर, आपसमें। बाहिक नामसे प्रसिद्ध था। बाहर (हिं कि० वि०) १ स्थान, पद, अवस्था या संबंध बाहिक (हिं० पु० ) ऊपरसे, बाहरसे। आदिके विचारसे किसी निश्चित अथवा कल्पित सीमा- बाहिनी (हि.स्त्री०) १ वह सेना जिसमें तीन गण अर्थात् ८१ से हट कर, अलग या निकला हुआ। २ वगैर, सिवा। हाथी, ८१ रथ, २४३ सवार और ४०५ पैदल हो । २ सेना, ३ प्रभाव, अधिकार या संवन्ध आदिसे अलग। ४ किसी फौज । ३ नदी । ४ यान, सवारी। दूसरे स्थान पर, किसी दूसरी जगह। बाहिर ( हि० क्रि० वि०) बाहर देखो। बाहर ( हि पु० ) वह आदमी जो कुएं की जगत पर बाही ( हिं० स्त्री० ) बाह देखो । मोटका पानी उलटता है। बाहीक (सं० वि० ) १ बहिस्। २ वाह्य । ३ पश्चनदके बाहरदेव-रणस्तम्भगढ़के प्रवलपराक्रान्त एक हिन्दू राजा। लोकसम्बन्धीय। १२५३ ई में उलघखाँके विरुद्ध इन्होंने कई बार युद्ध किया बाहु (स० पु० स्त्री० ) बाधते शलनिति बाध ( अर्जिशि- था। कम्यमिपंसिवाधामृजिपशितुकधुक् दीर्घहकारश्न। उप ११२८ ) बाहरी ( हि पु० ) १ बाहरवाला, वाहरका। २ जो इति कुप्रत्ययोऽन्तस्य हकारादेशश्च । भुजा, हाथ । घरका न हो, पराया। ३ जो केवल बाहरसे देखने पर्याय-भुज, प्रवेष्ट, दोष, बाहु, दोष। वैदिक पर्याय- भरको हो, ऊपरी। ४ जो आपसका न हो, अजनबी। आयती. च्यवना, अनीशू, अलवाना, विन गृसो, गमस्ती, बाहरोटांग (हिं॰ स्त्री० ) कुश्तोका एक पेंच। इसमें कवस्नी, वाहू, भूरिजी, क्षिपस्ती, शकरी, भरिने। २ प्रतिद्वन्द्वोके सामने आते ही उसे खींच कर अपनी बगल कपूरका अधोभाग, केहुनीका निचला हिस्सा । में कर लेते हैं और उसके घुटनोंके पीछेकी ओर अपने बाहुक (सपु०) १ राजानलका उस समयका नाम अब पैरसे आघात करके उसे पीठकी ओर ढकेलते हुए गिरा घे भयोध्याके राजाके सारथी बने थे।२ नकुलका नाम । ३एक नागका नाम। पाहव (स.पु. क्ली०) बाहु. बांह । बाहुकर (स० वि०) हस्त द्वारा कर्मकारी, हायसे काम पाहली--पक्षाब प्रदेशके बसहर राज्यके अन्तर्गत एक करनेवाला। गिरिश्रेणी। यह अक्षा० ३१ २२ उ० तथा देशा० ७७- बाहुकण्ठ (सं० लि०) वाही वाहोर्वावयवयोः कुण्ठः । ४२° पू०के मध्य अवस्थित है। इस पर्वतके ऊपर एक ! कुण्ठित बाहुयुक्त। पर्वाय-कुम्प, बोड़े।