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बाहन-बाहुकगठ
वाहन (हिं० पु०) १ एक बहुत लंबा पेड़ । जाड़े के दिन में दुर्ग है तथा बाहली नगरमें रामपुर और बसहर-
इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके हीरकी लकड़ी बहुत राजका प्रीष्मावास है। नौषडिखोला नदी इसके पाद-
ही लाल और भारी होती है। लोग खराद और इमाः मूल हो कर बहती है।
रतके काममें इसे लाते हैं। २ जल्दी बढ़नेवाला एक | बाहवि ( स० पु०) बाहुका गोलापत्य ।
ऊंचा पेड़ । यह काश्मीर और पंजाबके इलाकोंमें अधि- बाहस (हि.पु.) अजगर ।
कतासे पाया जाता है। इसकी लकड़ी प्रायः आरायशी बाहांजोरी (हि० कि० वि०) भुजासे भुजा मिला कर,
सामान बनानेके काममें आती है, सुफेदा।
हाथसे हाथ मिला कर।
बाहना ( हि कि० ) १ ढोना, लादना वा चढ़ा कर ले बाहा ( स० स्त्री०) बाहु-टाप् । बाहु, बांह ।
आना या ले आना। २ चलाना, फेकना। ३धारण वाहा (हिं० पु. ) वह रस्सी जिससे नावका डांड़ बंधा
करना, पकड़ना । ४ प्रवाहित होना, बहना। ५ खेतमें रहता है।
हल चलाना। ६ गौ, भैंस आदिको गाभिन कराना। बाहिक-इरावती नदीकी आपगाशाखाप्रवाहित प्रदेश
७ गाड़ी घोड़े आदिको हाँकना।
वासी प्राचीन जातिविशेष । महाभारतमें लिखा है, कि
वाहबली (हिंपु०) कुश्तीका एक पेंच।
वाहिक नामक दस्युका बासस्थान वितस्ता तीरभूमि
बाहम (फा० कि० वि०) परस्पर, आपसमें। बाहिक नामसे प्रसिद्ध था।
बाहर (हिं कि० वि०) १ स्थान, पद, अवस्था या संबंध बाहिक (हिं० पु० ) ऊपरसे, बाहरसे।
आदिके विचारसे किसी निश्चित अथवा कल्पित सीमा- बाहिनी (हि.स्त्री०) १ वह सेना जिसमें तीन गण अर्थात् ८१
से हट कर, अलग या निकला हुआ। २ वगैर, सिवा। हाथी, ८१ रथ, २४३ सवार और ४०५ पैदल हो । २ सेना,
३ प्रभाव, अधिकार या संवन्ध आदिसे अलग। ४ किसी फौज । ३ नदी । ४ यान, सवारी।
दूसरे स्थान पर, किसी दूसरी जगह।
बाहिर ( हि० क्रि० वि०) बाहर देखो।
बाहर ( हि पु० ) वह आदमी जो कुएं की जगत पर बाही ( हिं० स्त्री० ) बाह देखो ।
मोटका पानी उलटता है।
बाहीक (सं० वि० ) १ बहिस्। २ वाह्य । ३ पश्चनदके
बाहरदेव-रणस्तम्भगढ़के प्रवलपराक्रान्त एक हिन्दू राजा। लोकसम्बन्धीय।
१२५३ ई में उलघखाँके विरुद्ध इन्होंने कई बार युद्ध किया बाहु (स० पु० स्त्री० ) बाधते शलनिति बाध ( अर्जिशि-
था।
कम्यमिपंसिवाधामृजिपशितुकधुक् दीर्घहकारश्न। उप ११२८ )
बाहरी ( हि पु० ) १ बाहरवाला, वाहरका। २ जो इति कुप्रत्ययोऽन्तस्य हकारादेशश्च । भुजा, हाथ ।
घरका न हो, पराया। ३ जो केवल बाहरसे देखने पर्याय-भुज, प्रवेष्ट, दोष, बाहु, दोष। वैदिक पर्याय-
भरको हो, ऊपरी। ४ जो आपसका न हो, अजनबी। आयती. च्यवना, अनीशू, अलवाना, विन गृसो, गमस्ती,
बाहरोटांग (हिं॰ स्त्री० ) कुश्तोका एक पेंच। इसमें कवस्नी, वाहू, भूरिजी, क्षिपस्ती, शकरी, भरिने। २
प्रतिद्वन्द्वोके सामने आते ही उसे खींच कर अपनी बगल कपूरका अधोभाग, केहुनीका निचला हिस्सा ।
में कर लेते हैं और उसके घुटनोंके पीछेकी ओर अपने बाहुक (सपु०) १ राजानलका उस समयका नाम अब
पैरसे आघात करके उसे पीठकी ओर ढकेलते हुए गिरा घे भयोध्याके राजाके सारथी बने थे।२ नकुलका नाम ।
३एक नागका नाम।
पाहव (स.पु. क्ली०) बाहु. बांह ।
बाहुकर (स० वि०) हस्त द्वारा कर्मकारी, हायसे काम
पाहली--पक्षाब प्रदेशके बसहर राज्यके अन्तर्गत एक करनेवाला।
गिरिश्रेणी। यह अक्षा० ३१ २२ उ० तथा देशा० ७७- बाहुकण्ठ (सं० लि०) वाही वाहोर्वावयवयोः कुण्ठः ।
४२° पू०के मध्य अवस्थित है। इस पर्वतके ऊपर एक ! कुण्ठित बाहुयुक्त। पर्वाय-कुम्प, बोड़े।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३८६
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